Friday, April 26, 2024
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वो इस्लामिक देश जो पहले दे रहा था धमकी, अब कोरोना पर भारत से माँग रहा मदद की भीख

ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर स्पष्ट तौर पर मदद माँगी है और कहा है कि उसे अमेरिकी प्रतिबंधों में ढील दिलवाई जाए। इस आवश्यकता की अनिवार्यता हेतु रूहानी ने कोविड-19 के खतरे के बीच अमेरिका द्वारा लगाए प्रतिबंध को अमानवीय कहा है।

दिल्ली में हुए दंगों पर भारत सरकार एवं हिंदुओं के ख़िलाफ़ बयान देने वाला इस्लामिक देश ईरान इन दिनों कोरोना वायरस से लड़ने के लिए भारत से मदद की गुहार लगा रहा है। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर कोरोना से बदहाल हुए अपने देश के हालातों की जानकारी दी है। साथ ही अपने पत्र में जोर देकर कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई के लिए संयुक्त अंतरराष्ट्रीय उपायों की आवश्यकता है। उन्होंने पत्र में इस महामारी से निपटने के लिए ठोस रणनीति बनाने पर जोर दिया।

बता दें, ईरान पश्चिम एशिया में कोरोना वायरस का केंद्र बना हुआ है। वहाँ इस वायरस से संक्रमित 12, 700 मामले सामने आए हैं। धीरे-धीरे ये आंकडा 13,000 की ओर बढ़ रहा है। इस समय ईरान की हालत इतनी गंभीर है कि वहाँ के बड़े नेताओं को भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। इनमें वहाँ के सर्वोच्च धार्मिक नेता खोमैनी के सलाहकार भी शामिल हैं।

ऐसे में ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर स्पष्ट तौर पर मदद माँगी है और कहा है कि उसे अमेरिकी प्रतिबंधों में ढील दिलवाई जाए। इस आवश्यकता की अनिवार्यता हेतु रूहानी ने कोविड-19 के खतरे के बीच अमेरिका द्वारा लगाए प्रतिबंध को अमानवीय कहा है।

रूहानी ने मदद का यह पत्र और भी कुछ वैश्विक नेताओं को लिखा है और कहा है कि ईरान को कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई के लिए संयुक्त अंतरराष्ट्रीय उपायों की आवश्यकता है।

ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने भी रविवार को बताया कि राष्ट्रपति हसन रूहानी ने दुनिया भर के अपने समकक्षों को एक ख़त लिखकर बताया है कि ईरान ने कैसे कोरोना से लड़ने का काम किया है। हालाँकि, अमेरिका के लगाए आर्थिक प्रतिबंध इन अभियानों की राह में लगातार रोड़ा बन रहे है। ये अमानवीय है कि किसी की धौंस के चलते निर्दोष लोगों की जान जा रही है। ये वायरस राजनीति और भूगोल नहीं समझता है, और ऐसे वक़्त पर हमें भी ये सब नहीं देखना चाहिए। इसके अलावा एक अन्य ट्वीट में जारिफ ने दवाई की कमियों और संसाधनों की कमियों को उजागर किया है, जिनका सामना इस समय ईरान को करना पड़ रहा है।

ईरानी मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, ईरानी राष्ट्रपति ने विश्व नेताओं को लिखे अपने पत्र में कहा है कि उनके देश ने दो साल के व्यापक और अवैध प्रतिबंधों से उत्पन्न गंभीर बाधाओं और प्रतिबंधों का सामना किया है। इसके बावजूद अमेरिका कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू होने के बाद भी ईरान पर दबाव बनाने से बाज नहीं आ रहा। अमेरिका के विदेश मंत्री ने ‘बेशर्मी’ से देशों से आग्रह किया कि वे तेहरान को मानवीय सहायता तभी भेजें जब वॉशिंगटन की ‘नासमझ और अमानवीय’ माँगें पूरी हो।

संयुक्त राष्ट्र में ईरान के दूत ने भी प्रतिबंधों को हटाने के लिए अमेरिका को फोन किया और कोरोना वायरस प्रकोप से संबंधित प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए इस मामले को राजनीति से परे रखने का आग्रह किया। संयुक्त राष्ट्र में ईरानी दूत माजिद तख्त रवांची ने एक ट्वीट में लिखा है कि ऐसी दर्दनाक परिस्थिति में अमेरिका को राजनीति से ऊपर उठकर प्रतिबंधों में ढील देनी चाहिए और मानवीय प्रयासों को आगे बढ़ाना चाहिए।

इन सबके बीच आपको बता दें कि ईरान में कोरोना वायरस के खौफ में जी रहे 234 भारतीयों को मोदी सरकार वापस स्वदेश लौटा लाने में कामयाब रही है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया है कि इन भारतीयों में 131 स्टूडेंट और 103 श्रद्धालु शामिल हैं, जो ईरान में फँसे हुए थे। जिनकी वापसी के बाद भारतीय विदेश मंत्री ने इसके लिए ईरान के अधिकारियों को धन्यवाद भी दिया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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