Tuesday, March 19, 2024
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सौम्या के बेटे ने इजरायल को दिलाई मोशे की याद: इस्लामी आतंक ने दोनों से छीने अपने

मेरा दिल उनके 9 साल के बेटे अडोन के लिए दुखी है, जिसने इतनी कम उम्र में अपनी माँ को खो दिया है। यह हमला मुझे छोटे मोशे की याद दिलाता है

इजरायल में रह रही भारतीय महिला सौम्या संतोष की फलस्तीन के इस्लामी आतंकी संगठन हमास के रॉकेट हमले में मौत पर शोक व्यक्त करते हुए इजरायली राजदूत रॉन माल्क ने 2008 के मुंबई आतंकी हमले में अपने माता-पिता को गँवाने वाले इजरायली बच्चे मोशे को याद किया।

सौम्या पिछले 7 साल से इजरायल में रहकर एक बुजुर्ग महिला की देखरेख करती थीं। केरल के इडुक्की में उनके पति और 9 साल का बेटा रहता है। मंगलवार (11 मई) को जब सौम्या अपने पति से वीडियो कॉल पर बात कर रही थीं, उसी समय हमला हुआ।

बाद में इजराइल के राजदूत रॉन माल्क ने मंगलवार को सोशल मीडिया के जरिए सौम्या की मौत की पुष्टि की। माल्क ने घटना पर दुख प्रकट करते हुए मुंबई आतंकी हमले में बचे मोशे को याद किया और कहा कि उनका मन सौम्या के बेटे अडोन के लिए व्यथित है।

उन्होंने कहा, “मैंने हमास के आतंकवादी हमले की शिकार हुईं सौम्या संतोष के परिवार से बात की। मैंने उनकी दुर्भाग्यपूर्ण क्षति के लिए दुःख व्यक्त किया और इजराइल की ओर से अपनी संवेदना व्यक्त की। पूरा देश उनके जाने का शोक मना रहा है और हम उनके लिए यहाँ हैं।”

मॉल्क ने कहा, “मेरा दिल उनके 9 साल के बेटे अडोन के लिए दुखी है, जिसने इतनी कम उम्र में अपनी माँ को खो दिया है। अब उसे उनके बिना बड़ा होना पड़ेगा। यह हमला मुझे छोटे मोशे की याद दिलाता है, जिसने 2008 के मुंबई हमलों के दौरान अपने माता-पिता को खो दिया था। ईश्वर उन्हें शक्ति और साहस दे।”

कौन है मोशे जिसका इजरायली राजदूत ने किया जिक्र

26 नवंबर 2008 को जब मुंबई आतंकी हमला हुआ, उस समय इजरायली बच्चा मोशे होल्त्जबर्ग मात्र 2 साल का था। उसके माता पिता नरीमन हाउस में एक सांस्कृतिक केंद्र चलाते थे। लेकिन 26 नवंबर को रात करीब पौने नौ बजे चार आतंकियों ने नरीमन हाउस पर हमला किया और इजरायली नागरिकों को बंधक बना लिया। 

आतंकियों ने उस दिन जिन लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी थी उनमें मोशे के माता-पिता भी शामिल थे। आतंकियों ने मोशे के पिता गैवरिएल होल्त्जबर्ग और माँ रिवका को उसके सामने ही गोली मार दी थी। लेकिन मोशे अपनी भारतीय आया सैंड्रा सैमुएल के कारण बच गया। सैंड्रा ने ही मोशे को उस कमरे से उठाया था जहाँ उसके माता-पिता की हत्या हुई थी।

सैंड्रा मोशे के रोने की आवाज सुनकर जब स कमरे में पहुँची तो उसे खून से सनी लाशों के बीच रोता पाया। सैंड्रा ने उसे चुपचाप उठाया और वहाँ से भागने में कामयाब रहीं। इसके बाद मोशे को उसके नाना-नानी को सौंप दिया गया।

मुंबई आतंकी हमले में अपने माता-पिता के मारे जाने के 10 साल बाद मोशे जनवरी 2018 में भारत आया था और इस दौरान वह मुंबई के उस नरीमन हाउस भी गया। पीएम मोदी ने दिसंबर 2019 में मोशे के नाम एक खत लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि मोशे की कहानी हर किसी को प्रेरित करती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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