हाल में कई रिपोर्टें आई हैं जो बताती हैं कि नेपाल से लगी भारत की सीमा पर तेजी से डेमोग्राफी में बदलाव हो रहा है। मस्जिद-मदरसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए 20 से 27 अगस्त 2022 तक ऑपइंडिया की टीम ने भारत से लगे नेपाल के इलाकों का दौरा किया। हमने नेपाल के दांग और कपिलवस्तु जिलों में जो कुछ देखा उस पर हमने नेपाल के कपिलवस्तु से सांसद अभिषेक प्रताप शाह से बात की। प्रस्तुत है इस इस कड़ी की 23वीं रिपोर्ट:
सांसद अभिषेक प्रताप शाह ने सीमा पर और नेपाल में बढ़ रही इस्लामी गतिविधियों की ख़बरों की पुष्टि की है। साथ ही उन्होंने भारत सरकार से इन मुद्दे पर विशेष ध्यान देने की अपील की। सांसद के मुताबिक, अंग्रेजों ने 1923 में भारत को नेपाल से अलग किया था और रातों-रात सीमा रेखा खींच दी गई थी। उन्होंने आगे बताया कि सीमा विभाजन के बाद भी जो जहाँ रह रहा था, वहीं अपने-अपने धर्म को मानते हुए रहना जारी रखा।
अभिषेक प्रताप के अनुसार, तब बॉर्डर पर हिन्दू-मुस्लिम आबादी संतुलित थी, लेकिन बाद में कुछ बाहरी और असामाजिक तत्वों ने इसे बदल डाला और अब असंतुलन साफ़ देखा जा सकता है।
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मुस्लिमों में जनसंख्या पर नहीं है कोई रोक, 90% तस्कर इसी समुदाय से
अभिषेक प्रताप शाह ने हमें आगे बताया कि मुस्लिमों में आबादी बढ़ाने पर कोई रोक नहीं है, इस कारण हिन्दू नेपाल में कम होते चले गए। उन्होंने कहा कि पहले किसी को इसका एहसास नहीं हुआ लेकिन अब जब सब कुछ सामने नजर आने लगा तब हम लोग चिंतित हैं।
सांसद शाह के मुताबिक नेपाल में मुस्लिमों के कुछ खुराफाती तत्व अधिक से अधिक पैसा कमाने के लिए अपराधों में शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि अगर नेपाल और भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों का आँकड़ा निकाला जाए तो 90% नशे के अवैध कारोबारी मुस्लिम समाज से निकलेंगे।
नेपाल में 20 साल में डबल हो गई मुस्लिम आबादी
अभिषेक प्रताप ने कहा कि पिछले 20 साल के अंदर नेपाल में मुस्लिम आबादी में दोगुना हो गई है। उन्होंने बताया कि 20 साल पहले 4.5% मुस्लिम आबादी वाले नेपाल में अब 9% से अधिक मुस्लिम आबादी है। इसी के साथ सांसद ने आने वाले 20 वर्षों में मुस्लिम आबादी कई गुना और बढ़ जाने की आशंका जताई।
अभिषेक प्रताप शाह ने कहा कि नेपाल में मुस्लिम जनसंख्या सिर्फ भारत से लगे सीमावर्ती और तराई इलाकों में ही नहीं बल्कि सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों में बहुत तेजी से बढ़ रही है। सांसद के मुताबिक, पहाड़ी लोग काफी सीधे और सज्जन होते हैं और वो मुस्लिम समुदाय की मीठी और चिकनी-चुपड़ी बातों में आ जाते हैं। अभिषेक प्रताप ने जानकारी दी कि नेपाल में भी लव जिहाद जैसी घटनाएँ सामने आने लगी हैं।
अभिषेक प्रताप के मुताबिक, नेपाल के उत्तरी इलाकों में रोहिंग्याओं की काफी बड़ी तादाद में घुसपैठ हुई है। उन्होंने कहा कि ये घुसपैठ इसलिए हो गई क्योंकि रोहिंग्याओं की शक्ल-सूरत उत्तरी नेपाल के निवासियों से थोड़ी-बहुत मिलती जुलती है।
कभी 1 मस्जिद थी राजधानी काठमांडू में, आज हैं 12
अभिषेक प्रताप ने कहा कि नेपाल के हालत हमारे लिए सावधानी का अलार्म बजा रहे हैं। उनके मुताबिक, कभी नेपाल की राजधानी काठमांडू में सिर्फ 1 मस्जिद हुआ करती थी आज उसी शहर में 12 मस्जिदें हैं। सांसद के मुताबिक, ये तमाम मस्जिदें कभी सुन्नी तो कभी वहाबी के नाम पर बनाई जा रही हैं।
सांसद अभिषेक प्रताप ने आगे बताया कि भले ही नेपाल गरीब देश कहा जाता हो लेकिन यहाँ के मुस्लिम अपनी जकात का पैसा मस्जिद और मदरसों में लगाते है। इसी के साथ उन्होंने ये भी माना कि इबादतगाहों के लिए विदेश से भी धन आ रहा है। सांसद के माना कि नेपाल की चमकती मस्जिदें और मदरसे इसी पैसे की बदौलत हैं।
नेपाल के मुस्लिम सांसदों ने संसद में माँगा था शरिया क़ानून
अभिषेक प्रताप शाह के मुताबिक, लगभग 7 साल पहले जब उनकी मौजूदगी में नेपाल की संसद में संविधान बनाया जा रहा था तब तब नेपाल के मुस्लिम सांसदों ने सदन में अपने लिए शरिया कानून की माँग उठाई थी। उन्होंने आगे बताया कि इस माँग का नेपाल की हर पार्टी के मुस्लिम सांसद ने सदन में हाथ उठा कर समर्थन भी किया था और हाँ में हाँ मिलाई थी। शाह ने ये भी बताया कि कुल लगभग 260 सदस्यीय नेपाली सदन में फिलहाल लगभग 20 मुस्लिम सांसद हैं, जिसमें महिलाएँ भी शामिल हैं।
सांसद शाह ने आगे बताया कि अभी नेपाल के कई लोग मुस्लिमों से जुड़ी तमाम बातों को नजरअंदाज कर रहे हैं लेकिन जब यहाँ भी फ़्रांस जैसे हालात बन जाएँगे तब सबकी समझ में आ जाएगा। उन्होंने कहा कि फ्रांसीसी लोग मौज मस्ती वाले लोग थे और उन्हें एहसास ही नहीं था कि कभी ये दिन भी आएगा। शाह के मुताबिक, उनके संसदीय क्षेत्र में लगभग हर साल हिन्दू मुस्लिम विवाद होता है जिसमें कई बार तो मुझे भी फँसाने की साजिश रची गई।
मुस्लिम अपराधी चंद पैसो में खरीद लेते हैं नेपाली प्रशासन को, नेपाल का भी वामपंथी हिन्दू विरोधी
सांसद अभिषेक शाह के मुताबिक, कपिलवस्तु में हर साल होने वाले दंगों को भले ही वामपंथी करवाते हैं लेकिन उसको अंजाम मुस्लिम वर्ग के लोग देते हैं। सांसद शाह ने कहा कि तस्करी आदि अपराधों से पैसे जमा रखने वाले मुस्लिम अपराधी अपराध कर के भी छूट जाते हैं क्योंकि वो नेपाली प्रशासन को कुछ पैसों में खरीद लेते हैं। सांसद ने ये भी कहा कि जो व्यक्ति दंगों के बाद आरोपितों पर कार्रवाई की माँग करता है, उसी पर केस दर्ज कर दिया जाता है।
अभिषेक शाह के अनुसार, दुनिया का हर वामपंथी हिन्दू धर्म का विरोधी है जिसमें नेपाल के कम्युनिस्ट भी शामिल हैं। उनका मानना है कि हिन्दू राष्ट्र का दर्जा और नेपाल के राजा को हटाने का एजेंडा नेपाली वामपंथियों का ही था। शाह का दावा है कि नेपाल से होने वाली लगभग हर भारत विरोधी साजिश में यहाँ के वामपंथियों का ही हाथ होता है। सांसद के अनुसार, पाकिस्तान से आया अवैध पैसे धर्मांतरण जैसे कामों में लग रहा है लेकिन भारत के विरोध में चीन और पाकिस्तान दोनों ने पहले से ही हाथ मिला रखा है।
नेपाली राजनीति में मुस्लिमों की अच्छी दखल
अभिषेक ने बताया कि वर्तमान समय में नेपाल की केंद्रीय और प्रादेशिक राजनीति में कई मुस्लिम सक्रिय है। उन्होंने जानकारी दी कि मुस्लिमों के लिए सरकार बजट भी पास करती है और इसी के साथ मदरसों के लिए अनुदान भी जारी होता है।
अभिषेक प्रताप ने बताया, “कालांतर में नेपाल के अंदर सीमा पर भारत में देवरिया जिले से आए मिर्जा दिलशाद बेग जैसे अपराधियों ने अपने ठिकाने बना डाले। शुरू में बाहरी लोगों ने आ कर यहाँ व्यापार आदि के बहाने पैर जमाए और बाद में और लोगों को बसा लिया। आज जो कुछ भी दिख रहा उसके पीछे ये एक बड़ी वजह रही। भारत सरकार को नेपाल पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है क्योकि शायद अब दिल्ली की प्राथमिकता में यूरोपीय और अमेरिका जैसे देश शामिल हो गए हैं।”
अभिषेक प्रताप शाह का कहना है कि भले ही यूरोपीय देश व्यापारिक नजरिए से भारत के लिए लाभप्रद हों पर नेपाल सुरक्षा की दृष्टि से भारत के लिए अहम है। सांसद ने माना कि नेपाल में भारत विरोधी सोची-समझी साजिश के तहत माहौल बनाया जा रहा है।
नेपाली शासकों ने खुद को समझा अंग्रेजों के बराबर और भारतीयों को गुलाम
सांसद शाह की मानें तो नेपाल की फ़ौज अंग्रेजों की तरफ से लड़ी थी, इस वजह से अंग्रेज उन्हें अतिरिक्त इज्जत देते थे। शाह के मुताबिक, इस वजह से नेपाल के पूर्व शासकों ने खुद को अंग्रेजो के बराबर मान लिया और उनके नजरिए में भारतीय उनके गुलाम ही रहे। सांसद का मानना है कि कहीं न कहीं उस सोच को यहाँ नेपाल में हवा दिलाई गई और इसी वजह से कइयों के मन में भारत विरोध भावनाएँ भड़कीं।
लिपुलेख सीमा विवाद का खुलासा करते हुए सांसद अभिषेक प्रताप शाह ने कहा कि वो विवाद नेपाली प्रधानमंत्री ओली द्वारा जानबूझ कर खड़ा किया गया था। अभिषेक शाह ने कहा कि विवाद खड़ा करने की टाइमिंग तब रखी गई थी, जब भारत में धारा 370 हटी थी। शाह ने बताया कि के पी ओली को भरोसा दिलाया गया था कि अगर भारत से हालत बिगड़े तो नेपाल की मदद के लिए चीनी फ़ौज भेज दी जाएगी। शाह के मुताबिक, धारा 370 आने से चीन की सीपैक परियोजना को झटका लगा है।
वामपंथ उठाता है गरीबी का फायदा, ISI भी सक्रिय
नेपाल में बढ़ते वामपंथी दखल पर वहाँ के सांसद अभिषेक शाह ने कहा कि नेपाल की गरीबी का फायदा वामपंथ उठा रहा है और यही कम्युनिस्टों की सोच भी होती है। भारत के शाहीन बाग़ के पीछे भी कम्युनिस्ट भी थे क्योकि कम्युनिस्टों को भारत से हमेशा विरोध रहा है। उन्होंने कहा कि जो वामपंथी भारत की छाती पर बैठ कर के भारत का गला दबा सकते है उनके लिए नेपाल कौन सी दूर की बात है।
अभिषेक प्रताप ने माना कि नेपाल में पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI एक लम्बे समय से सक्रिय है। उनके मुताबिक, ISI न सिर्फ सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देती है बल्कि वो नकली नोटों जैसे कारोबार को भी चला रही है।
दोनों देशों का बने साझा गश्ती दल
सांसद शाह ने सुरक्षा के लिए दोनों देशों की साझा पेट्रोलिंग टीम बनाने की माँग की और बताया कि इस माँग को वो दिल्ली में भी उठा चुके हैं। शाह के मुताबिक, सीमाएँ खुली होने के चलते कोई भी अपराधी आराम से दोनों देशों में कहीं भी अपराध कर के भाग सकता है और प्रत्यर्पण संधि न होने के चलते बाद में अपराधी को पकड़ने में बहुत दिक्कतें आती हैं। सांसद ने बताया कि ये फ़ोर्स सीमा के 20 किलोमीटर तक अधिकृत की जाएँ और यदि ऐसा हुआ तो सीमावर्ती इलाकों में बहुत कुछ सुधारा जा सकता है।
योगी आदित्यनाथ के CM बनने के बाद बहुत बदलाव
अभिषेक शाह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए उन्हें भारत की नेपाल हितों के प्रति सबसे गंभीर शख्सियत बताया। उन्होंने बताया कि UP में योगी सरकार बनने के बाद नेपाल से बॉर्डर पार करने वाले अपराधियों की UP पुलिस तुरंत धर-पकड़ करती है। शाह का मानना है कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद भारत और नेपाल के रिश्तों में काफी सुधार आया है क्योंकि नेपाल की ज्यादातर सीमा UP से ही लगी हुई है। सांसद के मुताबिक नेपाल के भारत समर्थक लोग मोदी के बाद योगी को प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं और उसके बाद दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत होंगे।
अभिषेक शाह ने कहा कि नवम्बर 2022 में एक बार फिर से नेपाल में चुनाव होने जा रहे हैं और इस बार नेपाली जनता चुनावों में ओली की वामपंथी पार्टी को शिकस्त देगी। नेपाल के फिर से हिन्दू राष्ट्र बनने की संभावनाओं पर सांसद अभिषेक ने कहा, “आज भी हमारी राष्ट्रीय पशु गाय है और तमाम विरोधों के बाद भी कोई नहीं जानता कि क्या पता हम फिर से इस देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने में सफल रहें। हम ये भी चाहते हैं कि भारत और नेपाल एक साथ ही हिन्दू राष्ट्र बनें।”
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