Sunday, September 1, 2024
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क्या है Quad, क्यों चिढ़ता है चीन: टोक्यो में PM मोदी ने हिंद-प्रशांत महासागर को मुक्त और खुला बनाए रखने का संकल्प दोहराया

इसकी स्थापना 2004 में हिंद महासागर में सुनामी के बाद भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने आपदा राहत प्रयासों में सहयोग करने के लिए एक अनौपचारिक गठबंधन के तौर पर हुई थी। 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इसे औपचारिक रूप दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (24 मई 2022) को जापान की राजधानी टोक्यो में आयोजित क्वाड समिट (Quad Summit) में हिस्सा लिया। बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने जापान के पीएम फुमियो किशिदा को बेहतरीन मेजबानी के लिए बधाई दी। साथ ही कोरोना महामारी के दौरान भारत में स्वास्थ्य प्रबंधों और दुनिया को सहयोग को लेकर भी चर्चा की।

इस दौरान प्रधानमंत्री ने चीन को साफ और कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि टोक्यों में मित्रों के बीच होना सौभाग्य की बात है। भारत हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र को मुक्त, खुला और समावेषी बनाए रखने के लिए संकल्पबद्ध है। भारत सहयोगी देशों के साथ आर्थिक संबंध मजबूत कर क्षेत्र में सतत विकास, शांति और संपन्नता का माहौल बनाने में विश्वास रखता है। आज क्वाड की संभावना काफी व्यापक हो गई है। कम समय में ही क्वाड ने अहम जगह बनाई है। इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में क्वाड अच्छा काम कर रहा है। सोमवार (23 मई 2022) को अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान और भारत के रिश्तों पर बात की थी। उन्होंने समझाया था कैसे दोनों देश सांस्कृतिक तौर पर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

 QUAD क्या है?

QUAD का पूरा नाम क्वाडिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग है। ये चार देशों का एक संगठन है। इसमें भारत के अलावा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। ये चारों देश इस मंच पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक-दूसरे की सुरक्षा के मुद्दों के साथ-साथ अन्य समसामयिक मुद्दों पर चर्चा करते हैं। चारों देश दनिया की आर्थिक शक्तियाँ भी हैं। 

इसकी स्थापना 2004 में हिंद महासागर में सुनामी के बाद भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने आपदा राहत प्रयासों में सहयोग करने के लिए एक अनौपचारिक गठबंधन के तौर पर हुई थी। 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इसे औपचारिक रूप दिया। 

फिर 2017 में चीन का खतरा बढ़ने पर चारों देशों ने क्वाड को पुनर्जीवित किया, इसके उद्देश्यों को व्यापक बनाया। इसके तहत एक ऐसे तंत्र का निर्माण किया, जिसका उद्देश्य धीरे-धीरे एक नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था स्थापित करना है और इसके केंद्र में चीन है।

क्या है QUAD का मकसद?

इसका मुख्य उद्देश्य हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर के बीच पड़ने वाले इलाके में चीन के बढ़ते दबदबे को नियंत्रित करना और बाकी देशों को भी चीन के प्रभुत्व से बचाना है। यही कारण है कि दुनिया के चार कोनों पर स्थित चार देश इसका हिस्सा हैं।

पिछले दो दशकों में चीन ने लगातार कोशिश की है कि एशियाई महाद्वीप में और खासकर समुद्री क्षेत्र में वह अपना दबदबा कायम कर सके। इसी क्रम में उसने पूरे साउथ चाइना सी पर तो दावा ठोंका ही है, कई इलाकों में विवादित क्षेत्रों पर कब्जा भी कर लिया है। यही वजह है कि चीन को नियंत्रित करने के लिए जापान और अमेरिका ने भारत और ऑस्ट्रेलिया को इस गठबंधन में शामिल किया। QUAD संगठन का मकसद है कि महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग किसी भी तरह के राजनीतिक और सैन्य दबाव से मुक्त रहें। इसके अलावा, हिंद-प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र और खुला रखने के साथ-साथ साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा, आपदा राहत, जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर भी यह संगठन काम करता है।

क्वाड की वजह से चीन की बौखलाहट बढ़ी

क्वाड की वजह से चीन के माथे पर सिलवटें रहती हैं। क्वाड समूह की शुरुआत से ही चीन इसका धुर विरोधी रहा है। चीन को लगता है कि क्वाड में शामिल भारत, अमेरिका और जापान जैसे शक्तिशाली देश उसके खिलाफ मिलकर किसी रणनीतिक साजिश को रच रहे हैं। चीन को ये भी लगता है कि क्वाड समुद्र में चीन के आसपास अपने वर्चस्व को बढ़ाना चाहता है और भविष्य में उसे टारगेट किया जा सकता है। चीन क्वाड को अपने खिलाफ अमेरिका की साजिश के तौर पर देखता है। उसे लगता है कि क्वाड के जरिए अमेरिका उसके अस्तित्व को मिटाना चाहता है।

चीनी कई बार आरोप भी लगाता है कि QUAD उसके हितों को नुकसान पहुँचाने के लिए काम करता है। कई मौकों पर चीन, क्वाड को एशियाई NATO तक कह चुका है। विशेषज्ञों के मुताबिक, चीन की सबसे बड़ी चिंता QUAD में भारत के जुड़े होने से है। चीन को डर है कि अगर भारत अन्य महाशक्तियों के साथ गठबंधन बनाता है तो वह भविष्य में उसके लिए बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है। चीन कई बार क्वाड विरोधी बयान भी दे चका है। 2018 में चीनी विदेश मंत्री ने क्वाड को ‘सुर्खियों में रहने वाला विचार’ बताया था। चीन सीधे तौर पर इसे अपने लिए खतरा मानता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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