Sunday, July 13, 2025
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राष्ट्रपति के हस्ताक्षर नहीं और बन गया कानून! कंगाल पाकिस्तान में राष्ट्रपति के कर्मचारी ही नहीं सुन रहे उनकी बात, ट्वीट कर रोया दुखड़ा: कहा – ऊपरवाला सब जानता है

पाकिस्तान में जहाँ एक ओर नेशनल असेम्बली भंग है ऐसे में राष्ट्रपति के पास विशेष शक्तियों के होते हुए भी उनके ऑफिस की अधिकारी उनकी ही नहीं सुन रहे। वहीं कई कानूनविद राष्ट्रपति को ही अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने वाले के रूप में देख रहे हैं।

पाकिस्तान में संविधान को ताक पर रखकर बिना राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के ही कानून बना दिया गया है। इस पर वहाँ के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी खुद हैरान हैं। राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने रविवार (20 अगस्त, 2023) को दिए बयान में कहा कि उन्होंने ‘ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट’ और ‘पाकिस्तान आर्मी एक्ट’ में संशोधन करने वाले विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं किए क्योंकि वह इन कानूनों से असहमत थे। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके कर्मचारियों ने उनकी इच्छा और आदेश का उल्लंघन करते हुए अलग ही इतिहास बना दिया। 

राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर किए गए अपने पोस्ट में अपने कर्मचारियों से बिलों को अप्रभावी’ बनाने के लिए निर्धारित समय के भीतर बिना हस्ताक्षर किए वापस करने को कहा। जबकि कर्मचारियों ने उनकी बात ही नहीं मानी और इसके साथ ही पाकिस्तान में अराजकता का एक नया दौर आता दिखने लगा है। 

राष्ट्रपति ने अपने ट्वीट में लिखा, “मैंने उनसे कई बार पुष्टि की कि क्या उन्हें बिल वापस कर दिया गया है और आश्वस्त किया गया था कि वे वापस आ गए हैं। हालाँकि, मुझे आज पता चला कि मेरे कर्मचारियों ने मेरी इच्छा और आदेश की अवहेलना की है। अल्लाह सब कुछ जानता है, वह इंशाअल्लाह माफ कर देगा। लेकिन मैं उन लोगों से माफी माँगता हूँ जो इस कानून से प्रभावित होंगे।”

हालाँकि, अभी तक राष्ट्रपति भवन ने कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। लेकिन, पाकिस्तानी मीडिया पोर्टल ‘डॉन’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह बात बाहर आ गई थी कि अल्वी ने शनिवार (19 अगस्त, 2023) को ‘ऑफिसियल सीक्रेट (संशोधन) विधेयक, 2023 और पाकिस्तान सेना (संशोधन) विधेयक, 2023 पर अपनी सहमति दे दी थी, जिससे प्रस्तावित बिल अधिनियम (ACT) बन गए। 

रिपोर्ट के अनुसार, कुछ सप्ताह पहले ही विपक्षी सांसदों की आलोचना के बीच दोनों विधेयकों को सीनेट और नेशनल असेंबली ने मंजूरी दे दी थी और उन्हें मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया था। गौरतलब है कि राष्ट्रपति का यह बयान पीटीआई के उपाध्यक्ष शाह महमूद कुरेशी और पूर्व विदेश मंत्री और पीटीआई अध्यक्ष इमरान खान के खिलाफ ‘ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट’ के तहत 15 अगस्त को दर्ज की गई पहली FIR के एक दिन बाद आया है।

इमरान खान पर यह मामला तब दर्ज किया गया था जब एक अमेरिकी समाचार आउटलेट ‘द इंटरसेप्ट’ ने हाल ही में उस राजनयिक केबल को प्रकाशित किया था जो कथित तौर पर इमरान के ऑफिस से गायब हो गई थी। बता दें कि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तोशाखाना मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था जिसे उन्होंने अमेरिकी साजिश बताया था। 

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सप्ताह राष्ट्रपति ने एक दर्जन से अधिक विधेयकों को संसद में पुनर्विचार के लिए लौटा दिया था। वहीं इस मामले में पाकिस्तान के कानून कानून मंत्रालय का कहना है कि राष्ट्रपति के पास दो ही विकल्प होते हैं या तो सहमति दें या अपने कमेंट के साथ बिल लौटा दें। इसके अलावा उन्हें रोककर रखने का कोई तीसरा प्रावधान ही नहीं है।

हालाँकि, पाकिस्तान में जहाँ एक ओर नेशनल असेम्बली भंग है ऐसे में राष्ट्रपति के पास विशेष शक्तियों के होते हुए भी उनके ऑफिस की अधिकारी उनकी ही नहीं सुन रहे। वहीं कई कानूनविद राष्ट्रपति को ही अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने वाले के रूप में देख रहे हैं। इस पर वहाँ के कानून के जानकारों ने भी आश्चर्य व्यक्त किया है।

राजनेताओं और पत्रकारों ने अल्वी के दावों पर अविश्वसनीयता और निराशा के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की। वहीं पीटीआई नेता फारुख हबीब ने इस घटनाक्रम को ‘बेहद चौंकाने वाला’ और ‘पूरे सिस्टम के पतन’ के समान बताया।

उन्होंने कहा, “देश के वकील समुदाय को अब संविधान की सर्वोच्चता के लिए खड़ा होना चाहिए।”

पूर्व वित्त मंत्री इशाक डार ने कहा कि राष्ट्रपति की टिप्पणी अविश्वसनीय’ थी और उन्हें ‘अपने कार्यालय को प्रभावी ढंग से निभाने में विफल रहने’ के कारण इस्तीफा दे देना चाहिए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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