मुंबई के 26/11 अटैक के आरोपित आतंकी तहव्वुर राणा की भारत आने से बचने की आखिरी कोशिश नाकाम हो गई। अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने उसकी वो याचिका ठुकरा दी, जिसमें उसने अपने प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी। अब राणा को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है।
64 साल का तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, इस वक्त लॉस एंजिल्स के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद है। उसने अपने बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली की मदद की थी, जिसने मुंबई में हमले की जगहों की रेकी की थी। भारत लंबे वक्त से उसे अपने यहाँ लाने की माँग कर रहा था, और अब ये माँग पूरी होने वाली है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में 27 फरवरी 2025 को ‘इमरजेंसी एप्लिकेशन फॉर स्टे’ दायर की थी। ये याचिका जस्टिस एलेना कागन के पास भेजी गई थी, जो सुप्रीम कोर्ट की एसोसिएट जस्टिस और नाइंथ सर्किट की जस्टिस हैं। उसने दावा किया था कि भारत आने पर उसकी जान को खतरा है और उसे टॉर्चर का शिकार होना पड़ सकता है। लेकिन पिछले महीने जस्टिस कागन ने उसकी अर्जी खारिज कर दी थी।
इसके बाद उसने फिर कोशिश की, पर इस बार भी सुप्रीम कोर्ट ने कोई राहत नहीं दी। राणा की दलील थी कि उसका पाकिस्तानी मूल और मुस्लिम होना उसे भारत में खतरे में डाल सकता है। मगर कोर्ट ने इसे नहीं माना और भारत प्रत्यर्पण को हरी झंडी दे दी।
इससे पहले, फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी राणा के प्रत्यर्पण का ऐलान किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वॉशिंगटन में हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा था, “राणा को भारत भेजा जाएगा, जहाँ उसे इंसाफ मिलेगा।” राणा का नाम डेविड हेडली के साथ जुड़ा है, जो 26/11 हमले का मुख्य साजिशकर्ता था। हेडली ने मुंबई में कई जगहों की रेकी की थी, और राणा ने उसे फर्जी पहचान और पैसे देकर सपोर्ट किया था। अब राणा को भारत में कोर्ट के सामने पेश होना होगा, जहाँ उस पर सख्त कार्रवाई तय मानी जा रही है।
बता दें कि 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने पूरे मुंबई शहर को दहला दिया था। उस रात शुरू हुआ हमला चार दिन तक चला। आतंकियों ने लियोपोल्ड कैफे, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, कामा हॉस्पिटल, नरीमन हाउस, मेट्रो सिनेमा और सेंट जेवियर कॉलेज को निशाना बनाया। उनके पास भारी मात्रा में हथियार थे—IED, RDX, हैंड ग्रेनेड और AK-47। इस हमले में 166 लोग मारे गए, जिनमें कुछ विदेशी नागरिक भी थे। करीब 300 लोग घायल हुए। NSG, मरीन कमांडो, मुंबई पुलिस, RAF, CRPF और फायर ब्रिगेड ने मिलकर ऑपरेशन चलाया। इस दौरान एक आतंकी अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया, जिसे 2012 में फाँसी दे दी गई।
तहव्वुर राणा इस हमले का बड़ा किरदार था। वो पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है और शिकागो में ‘फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज’ नाम की फर्म चलाता था। इस फर्म की एक ब्रांच मुंबई में भी थी, जिसके जरिए उसका दोस्त हेडली भारत आया और हमले की जगहों की रेकी की। राणा और हेडली बचपन के दोस्त थे। दोनों ने पाकिस्तान के हसन अब्दाल कैडेट स्कूल में पढ़ाई की थी। हेडली बाद में अमेरिका चला गया, जहाँ उसकी माँ अमेरिकी और पिता पाकिस्तानी थे। राणा ने पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर की नौकरी की, फिर कनाडा जाकर वहाँ की नागरिकता ले ली।
भारत की जाँच एजेंसी NIA ने 405 पन्नों की चार्जशीट में राणा को मुख्य आरोपितों में शामिल किया था। चार्जशीट कहती है कि राणा ने लश्कर-ए-तैयबा और ISI के साथ मिलकर हमले की साजिश रची। उसने हेडली को फर्जी कागजात और पैसा दिया, ताकि वो मुंबई में टारगेट ढूँढ सके। राणा को पता था कि हेडली किससे मिल रहा है और क्या प्लान कर रहा है। उसने हमले की पूरी योजना में साथ दिया। अमेरिकी कोर्ट में राणा ने माना था कि उसे हेडली के लश्कर से रिश्तों की जानकारी थी। FBI ने उसे 2009 में शिकागो से पकड़ा था।
हेडली को भी अमेरिका में 2009 में गिरफ्तार किया गया था। 2013 में उसे 35 साल की सजा सुनाई गई। वो अमेरिकी नागरिक है, और भारत उसका भी प्रत्यर्पण चाहता है। हेडली ने मुंबई में कई जगहों की रेकी की थी-ताज होटल, CST, नरीमन हाउस। राणा ने अपनी फर्म के जरिए हेडली को कवर दिया। चार्जशीट में साफ है कि राणा ने आतंकियों को ठहरने की जगह और टारगेट चुनने में मदद की। वो हमले का ब्लूप्रिंट बनाने में शामिल था।