Saturday, October 5, 2024
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समर्थकों के अकाउंट किए डिलीट तो युगांडा सरकार ने Facebook-Twitter पर ही लगा दिया बैन, ट्विटर ने किया ‘मानवाधिकार’ का विलाप

राष्ट्रपति मुसेवेनी ने कहा, “मैं माफी माँगता हूँ कि युगांडा की सरकार ने फेसबुक को युगांडा में बंद कर दिया है, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन अपरिहार्य है। अगर वे यहाँ काम करना चाहते हैं, तो उन्हें न्यायसंगत बनना होगा।''

युगांडा में राष्ट्रपति चुनावों की तैयारियाँ जारी हैं। युगांडा में 14 जनवरी को होने वाले राष्ट्रपति और संसदीय चुनावों से ठीक दो दिन पहले, यानी 12 जनवरी को पहले ट्विटर और फेसबुक के साथ अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया है। कंपाला में राष्ट्र को संबोधित करते हुए वहाँ के राष्टपति मुसेवेनी ने फेसबुक पर ‘घमंडी’ होने का आरोप लगाया।

दरअसल, कुछ दिन पहले ही फेसबुक ने दो मुसेवेनी समर्थकों के एकाउंट्स को ‘प्लेटफ़ॉर्म का दुरुपयोग’ करने के आरोप में प्रतिबंधित कर दिया था, जिसके बाद राष्ट्रपति ने फेसबुक को ही प्रतिंधित करने का फैसला किया। उन्होंने सत्ता विरोध में अपने कुछ समर्थकों के एकाउंट्स को बंद करने तक के फैसले लेने पर फेसबुक की आलोचना की और कहा कि फेसबुक को यह कहने का कोई अधिकार नहीं है कि युगांडा में कौन अच्छा है और कौन बुरा।

वैचारिक मुद्दों पर संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर प्रतिबंध लगाकर बोलने की आजादी पर रोक लगाने के लिए ट्विटर को दुनिया भर में भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक, युगांडा ने कुछ सरकारी प्रतिनिधियों के सोशल मीडिया अकाउंट को ब्लॉक करने के बाद यह फैसला लिया है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, युगांडा सरकार ने मंगलवार (जनवरी 12, 2021) को युगांडा संचार आयोग (UCC) के माध्यम से इंटरनेट सेवा प्रोवाइडर्स को सोशल मीडिया ऐप्स और वेबसाइट्स को ब्लॉक करने का आदेश दिया है। बताया गया कि ट्विटर और फेसबुक कुछ सरकार समर्थक आवाजों को रोककर चुनाव में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहे थे।

दरअसल, अब फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स भी राजनीतिक मामलों में एक पक्ष बनने लगे हैं। ये मंच लोगों के राजनीतिक और वैचारिक पसंदों और नापसंदों पर मुहर लगाने या नकारने का ठेका लेकर घूम रहे हैं और यहाँ तक कि ये भी तय कर रहे हैं कि किस नेता के समर्थकों को उनकी सेवाएँ इस्तेमाल करने का अधिकार है और किन्हें नहीं।

ट्विटर और फेसबुक जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियों द्वारा चुनावों में जारी हस्तक्षेप के बीच, युगांडा के अधिकारियों ने मंगलवार को इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को सोशल मीडिया और मैसेजिंग एप्लिकेशन को बंद करने का आदेश दिया। यह कदम देश के राष्ट्रपति चुनाव से दो दिन पहले उठाया गया। यह मुताबला युगांडा के मौजूदा राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी और विपक्षी फ्रंटरनर एवं लोकप्रिय गायक बोबी वाइन के बीच है।

ट्विटर, फेसबुक पर लगा युगांडा में चुनावी हस्तक्षेप का आरोप 

सोशल मीडिया कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला तब हुआ जब फेसबुक ने कुछ सरकार से जुड़े खातों को मनमाने ढंग से डिलीट कर दिया। फेसबुक ने दावा किया कि उसने चुनाव से पहले सार्वजनिक बहस में हेरफेर करने के लिए खातों को यह कहते हुए हटाया कि वे सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय से बँधे थे। चुनावों से पहले युगांडा के अधिकारियों पर नकेल कसने के बाद युगांडा ने फेसबुक और ट्विटर पर इंटरनेट से प्रतिबंध लगा दिया।

सोशल मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के बाद, युगांडा के राष्ट्रपति के मुसेवेनी ने कहा,“इन प्लेटफॉर्म्स का समान रूप से उपयोग किया जाना चाहिए, यदि आप किसी भी हिस्से को लेना चाहते हैं, तो आप युगांडा में काम नहीं कर सकते, क्योंकि युगांडा हमारा देश है हम उन्हें यह तय करने नहीं दे सकते कि कौन अच्छा है और कौन बुरा।”

राष्ट्रपति मुसेवेनी ने कहा, “मैं माफी माँगता हूँ कि युगांडा की सरकार ने फेसबुक को युगांडा में बंद कर दिया है, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन अपरिहार्य है। अगर वे यहाँ काम करना चाहते हैं, तो उन्हें न्यायसंगत बनना होगा।”

युगांडा सरकार ने ट्विटर पर कहा, “हम माँग करते हैं कि फेसबुक और ट्विटर सीधे उन लोगों को लिखें, जिन्होंने अपना अकाउंट खो दिया। चूँकि फेसबुक ने अपने बयान में युगांडा के MoICT का हवाला दिया, इसलिए उन्हें हमें लिखने दें ताकि निष्पक्ष सुनवाई का मौका मिल सके। फेसबुक पर हटाए गए खाते युगांडा सरकार के कर्मचारियों के हैं।”

ट्विटर पर प्रतिबंध से नाराजगी, ’मानवाधिकारों के उल्लंघन’ का दावा

युगांडा में सोशल मीडिया ऐप्स पर अस्थायी प्रतिबंध के बाद, ट्विटर ने चुनावों में तकनीकी दिग्गजों के हस्तक्षेप को रोकने के लिए युगांडा सरकार की कार्रवाई की निंदा करने के लिए ‘ट्वीट’ किया। ट्विटर ने इसे ’मानवाधिकारों का उल्लंघन’ बताया है।

माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ने एक ट्वीट पोस्ट करते हुए कहा, “युगांडा चुनाव से पहले, हम ऐसी रिपोर्ट सुन रहे हैं कि इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप को ब्लॉक करने का आदेश दिया जा रहा है। हम इंटरनेट शट डाउन की कड़ी निंदा करते हैं- वे बेहद हानिकारक हैं और बुनियादी मानवाधिकारों एवं #opininternet के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं।”

ट्विटर ने इंटरनेट पर फ्रीडम ऑफ स्पीच के मुद्दे पर अपनी खुद के पाखंड को उजागर करने वाले एक ट्वीट में दावा किया, “ट्विटर पर सार्वजनिक बातचीत सहित सूचना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तक पहुँच, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के दौरान, विशेष रूप से चुनावों से अधिक महत्वपूर्ण नहीं है।”

गौरतलब है कि शुक्रवार (जनवरी 08, 2021) को डोनाल्ड ट्रंप का अकाउंट सस्पेंड करने के बाद ट्विटर ने कहा था, “डोनाल्ड ट्रंप के अकाउंट के हालिया ट्वीट को देखने के बाद हमने उनके अकाउंट को स्थायी रूप से हिंसा को और भड़काने के जोखिम को देखते हुए सस्पेंड कर दिया है।”

ट्विटर पर पहले से ही पक्षपात के आरोप लगते रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी लोग सितंबर 2018 की उस घटना को याद कर रहे हैं, जब एक महिला एक्टिविस्ट लॉरा लूमर ने कैपिटल हिल में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ चल रही सुनवाई में घुस कर ट्विटर के CEO जैक डॉर्सी को खरी-खोटी सुनाई थी। उन्होंने CEO जैक को पक्षपात वाला रवैया त्यागने की चेतावनी दी थी और आरोप लगाया था कि ट्विटर विरोधी विचारधारा के लोगों को सेंसर करने में लगा हुआ है।

उल्लेखनीय है कि अमेरिका में कई सोशल मीडिया कम्पनियाँ दक्षिणपंथियों को निशाना बनाती रहती हैं और वामपंथी विचारधारा के विरोधियों को प्रतिबंधित करती रहती हैं। काफी बार ये गुप्त-रूप से किया जाता है, जिसे शैडो-बैन भी कहते हैं। डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थकों ने भी सोशल मीडिया से प्रतिबंधित किए जाने के बाद ‘Parler’ को ही अपनी बात रखने का जरिया बनाया था। अब गूगल और एप्पल के स्टोर्स से पार्लर डाउनलोड के लिए उपलब्ध नहीं है। गूगल ने उसे भी हटा दिया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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