Sunday, June 1, 2025
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जैसे यूक्रेन ने उड़ाए रूस के 40 विमान, वैसा ही हमला भारत में करने की फिराक में थे ISIS के आतंकी : 44 ड्रोन किए थे तैयार, NIA ने ध्वस्त किए थे इरादे

यूक्रेन ने पहले से रूस के अंदर ड्रोन तैनात कर रखे थे, जिनसे 40 से ज्यादा रूसी लड़ाकू विमान या तो जल गए या टूट गए। इनमें बड़े-बड़े बॉम्बर और एक खास जासूसी विमान भी था। रूस में लोग इसे ‘पर्ल हार्बर’ जैसा बता रहे हैं।

रविवार (1 जून 2025) की तारीख रूस के लिए एक काला दिन बनकर इतिहास में दर्ज हो गया। यूक्रेन ने रूस के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया, जिसमें कई रूसी हवाई अड्डों को निशाना बनाते हुए कम से कम 40 लड़ाकू विमानों-बमबर्षकों और मल्टीरोल फाइटर जेट्स को हवा में उड़ने से पहले जमीन पर ही ढेर कर दिया गया।इस हमले में यूक्रेन ने FPV (फर्स्ट पर्सन व्यू) ड्रोन स्वार्म्स का इस्तेमाल किया, जिन्हें पहले से ही रूस के अंदर तैनात कर दिया गया था।

ये हमले रूस की सीमा में 4000 से 5000 किमी अंदर तक किए गए हैं। विशेषज्ञ इन हमलों को अभूतपूर्व बता रहे हैं। हालाँकि लोगों को कम ही पता है कि ऐसे हमले की कोशिश भारत के खिलाफ हो चुकी है, लेकिन भारत उन हमलों को विफल कर चुका है।

यूक्रेनी अधिकारियों के मुताबिक, इस हमले में 40 से ज्यादा रूसी विमानों को नुकसान पहुँचाया गया या नष्ट कर दिया गया, जिसमें Tu-95 और Tu-22M3 जैसे स्ट्रैटेजिक बॉम्बर्स और कम से कम एक A-50 एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग विमान शामिल हैं। हमले का निशाना चार प्रमुख रूसी हवाई अड्डे थे – बेलाया, डायघिलेवो, ओलेन्या और इवानोवो… जो रूस के सुदूर उत्तर तक स्थित हैं। इन हमलों के लिए न तो रूस तैयार था और न ही उसकी सुरक्षा एजेंसियाँ, क्योंकि रूस के सुदूर उत्तर यानी 4000 से 5000 किमी अंदर उसे किसी हमले की अंशमात्र भी आशंका नहीं थी।

यह हमला अपने आप में एक सैन्य मास्टरस्ट्रोक था। यूक्रेन ने इन ड्रोन्स को रूस के अंदर तस्करी करके पहले से ही हवाई अड्डों के पास तैनात कर दिया था, जिससे वे सटीकता के साथ विमानों को निशाना बना सके। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियोज में रूसी हवाई अड्डों पर जलते हुए विमान और धुएँ के गुबार दिखाई दे रहे हैं। रूसी ब्लॉगर्स ने इसे ‘रूसी पर्ल हार्बर’ करार दिया है, जो इस हमले की भयावहता को दर्शाता है।

यूक्रेन की सिक्योरिटी सर्विस (SBU) के एक अधिकारी ने इसे ‘दुश्मन के पीछे तक पहुँचने’ की शुरुआत बताते हुए कहा कि अब रूसी विमानों की वह ‘अनछुई’ स्थिति खत्म हो गई है, जो यूक्रेनी नागरिकों पर बमबारी करते थे। क्योंकि यूक्रेन के पास न तो इन्हें इंटरसेप्ट करने की क्षमता थी और न ही इन्हें मार गिराने की। ऐसे में रूसी बॉम्बर, अटैक फाइटर जेट आते… यूक्रेन की पहुँच से बाहर रहकर मिसाइलों से हमला करते और दूर-से-दूर ही और भी दूर निकल जाते।

भारत पर भी हो चुकी है ऐसे हमले की कोशिश

लेकिन इस घटना को देखते हुए एक सवाल उठता है – क्या इस तरह की रणनीति पहले भी कहीं देखी या कोशिश की गई है? जवाब हाँ है… और वह जगह है भारत। भारत में भी कुछ ऐसी ही कोशिश की गई थी, लेकिन भारतीय एजेंसियों ने इसे समय रहते नाकाम कर दिया। यह घटना मुंबई के पास पडघा गाँव में हुई थी, जो 2023 में एक बड़े आतंकी साजिश का केंद्र बन गया था। आइए, इस घटना को विस्तार से समझते हैं और इसे यूक्रेन-रूस घटनाक्रम से जोड़कर देखते हैं।

मुंबई से महज 50 किलोमीटर दूर पडघा एक छोटा सा गाँव है। उसे साल 2023 तक भारत में ISIS का एक प्रमुख केंद्र बनाया जा चुका था। इस गाँव को कुख्यात आतंकी साकिब नाचन ने ‘अल-शाम’ नाम दिया और इसे अलग शरिया कानूनों के तहत चलाने की कोशिश की जा रही थी। यहाँ शरिया ही लागू कर दिया गया था।

इसकी कमान संभालने वाला कुख्यात आतंकी साकिब नाचन पहले SIMI (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) जैसे आतंकी संगठन से जुड़कर मुंबई में कई आतंकी हमलों को अंजाम दे चुका था। इनमें मुख्य थे- साल 2002 में मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर हुए बम धमाके, जिनमें 25 लोग घायल हुए… तो साल 2003 में विले पार्ले और मुलुंड स्टेशन पर हुए धमाकों में कई लोगों की जान गई थी। इन हमलों के बाद नाचन को गिरफ्तार किया गया, लेकिन 2017 में वह जेल से बाहर आ गया और उसने पडघा को अपने आतंकी मंसूबों का अड्डा बना लिया।

एनआईए ने फेल किए थे दुश्मनों के खतरनाक इरादे

साल 2023 में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने पडघा में एक बड़ा ऑपरेशन चलाया। इस छापेमारी में 44 ड्रोन बरामद किए गए, जो मुंबई पर हमले के लिए तैयार किए गए थे। इसके अलावा, भारी मात्रा में हथियार, विस्फोटक और कट्टरपंथी साहित्य भी मिला। हैरानी की बात यह थी कि वहाँ से इजरायली झंडे भी बरामद हुए, जिससे संकेत मिलता है कि इस साजिश के पीछे बड़े और जटिल मकसद थे। यह साफ था कि आतंकी संगठन मुंबई में एक बड़े हमले की योजना बना रहे थे, शायद 26/11 जैसे हमले से भी बड़ा।

दोनों ही मामलों में ड्रोन्स बने मुख्य हथियार

पडघा की यह घटना और यूक्रेन का रूस पर ड्रोन हमला एक-दूसरे से कई मायनों में जुड़े हुए हैं। दोनों ही मामलों में ड्रोन्स का इस्तेमाल एक प्रमुख हथियार के रूप में किया गया। यूक्रेन ने रूस के हवाई अड्डों को निशाना बनाने के लिए ड्रोन्स को पहले से तैनात कर दिया था, ठीक वैसे ही जैसे पडघा में आतंकियों ने ड्रोन्स को मुंबई पर हमले के लिए तैयार रखा था। दोनों ही घटनाओं में रणनीति एक जैसी थी – दुश्मन की सीमा के अंदर घुसकर, उनकी सुरक्षा को भेदकर, उनके ही क्षेत्र में हमला करना। लेकिन जहाँ यूक्रेन अपने मकसद में कामयाब रहा, वहीं भारत ने इस साजिश को समय रहते नाकाम कर दिया।

यहाँ एक और समानता है – दोनों ही मामलों में हमलावरों ने दूसरे पक्ष की कमजोरियों का फायदा उठाया। यूक्रेन ने रूस के हवाई अड्डों की सुरक्षा में सेंध लगाई, जो शायद रूस को अजेय लगते थे। वहीं, पडघा में आतंकियों ने एक शांत गाँव को अपना अड्डा बनाकर भारत की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देने की कोशिश की। लेकिन भारतीय एजेंसियों की सतर्कता ने इस साजिश को विफल कर दिया और मुंबई को एक बड़े हमले से बचा लिया गया।

रूस पर हमला भारत के लिए बड़ा सबक

यूक्रेन की घटना से यह साफ होता है कि आधुनिक दौर के युद्ध में ड्रोन तकनीक कितनी अहम हो गई है। लेकिन पडघा की घटना हमें यह भी याद दिलाती है कि इस तकनीक का दुरुपयोग आतंकी संगठन भी कर सकते हैं। भारत में जो हुआ, वह एक चेतावनी थी कि हमें अपनी सुरक्षा को और मजबूत करना होगा, खासकर ऐसे समय में जब तकनीक तेजी से बदल रही है। यूक्रेन ने रूस को जो सबक सिखाया, वह भारत के लिए भी एक सबक है – हमें हर समय सतर्क रहना होगा, क्योंकि दुश्मन किसी भी रूप में, कहीं से भी हमला कर सकता है।

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श्रवण शुक्ल
श्रवण शुक्ल
I am Shravan Kumar Shukla, known as ePatrakaar, a multimedia journalist deeply passionate about digital media. Since 2010, I’ve been actively engaged in journalism, working across diverse platforms including agencies, news channels, and print publications. My understanding of social media strengthens my ability to thrive in the digital space. Above all, ground reporting is closest to my heart and remains my preferred way of working. explore ground reporting digital journalism trends more personal tone.

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