Thursday, July 3, 2025
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बार एंड बेंच, लाइव लॉ करते हैं सुनवाई की गलत और एकतरफा रिपोर्टिंग: जस्टिस मिश्रा ने लगाई लीगल मीडिया पोर्टल्स को लताड़

प्रशांत भूषण अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली है। सजा की मात्रा पर फैसला आना बाकी है। इससे पहले बहस के दौरान जस्टिस मिश्रा ने कहा कि रिटायर होने से पहले यह सब कुछ करना बेहद कष्टदायक है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हमेशा आलोचना के लिए तैयार रहा है।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने लीगल मीडिया पोर्टल ‘बार एंड बेंच’ और ‘लाइव लॉ’ द्वारा कोर्ट की सुनवाइयों की, की जाने वाली रिपोर्टिंग के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि मुकदमों की लाइव रिपोर्टिंग जिस तरह से की जाती है, वह अक्सर एकतरफा होती है और वह भी गलत अंदाज में। विडंबना यह है कि इस मामले को बार और बेंच ने खुद अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट भी किया है।

प्रशांत भूषण अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली है। सजा की मात्रा पर फैसला आना बाकी है। इससे पहले बहस के दौरान जस्टिस मिश्रा ने कहा कि रिटायर होने से पहले यह सब कुछ करना बेहद कष्टदायक है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हमेशा आलोचना के लिए तैयार रहा है। मुकदमों की जिस तरह से लाइव रिपोर्टिंग की जाती है वह अक्सर एकतरफा होती है। क्या कभी कोर्ट ने उसमें कार्रवाई की? कोर्ट ने कहा कि कम से कम वरिष्ठ सदस्यों से ऐसी उम्मीद नहीं की जाती और आजकल यह चलन बन चुका है।

जस्टिस अरूण मिश्रा ने कहा, “अपने ट्वीट्स के बचाव में दिए गए प्रशांत भूषण के जवाब निराशाजनक और अनुचित थे। आपको सहनशील होना होगा। कोर्ट ने कहा कि आप देखें कि अदालत क्या कर रही है और क्यों कर रही है? सिर्फ हमला मत करिए, जज खुद का बचाव करने या समझाने के लिए प्रेस के पास नहीं जा सकते। क्या लोग हमारी आलोचना नहीं कर रहे हैं? इतने लोग हमारी आलोचना करते हैं, लेकिन हमने कितने लोगों को दोषी ठहराया या सजा दी है?”

सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को फिर से उन आरोपों के बारे में ‘विचार करने’ के लिए कहा और कहा कि अगर वह चाहते हैं तो अपना बयान वापस ले सकते हैं, कोर्ट की सुनवाई 30 मिनट बाद फिर से शुरू होगी। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है।

अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब बुनियाद हिलाने का दुस्साहस कोई करे तो कुछ न कुछ करना होगा। इसके लिए उन्होंने (प्रशांत भूषण) अपना सच गढ़ा और उसकी ही आड़ ली। ये बहुत नकारात्मक है और कई मामलों में हतोत्साह करने वाला भी।

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने सजा नहीं देने की माँग की। इस सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रशांत भूषण का ट्वीट अनुचित था। कोर्ट ने कहा कि हमारे बुनियादी तथ्य और वास्तविकता इनसे अलग हैं और हमें इनके (प्रशांत भूषण) के बयान दुर्भावना से भरे लग रहे हैं।

इसके पहले कोर्ट की सुनवाई शुरू होने के साथ अपने प्राथमिक सबमिशन में प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने 2009 अवमानना मामले को संविधान पीठ को दिए जाने की माँग की थी, जिसे कोर्ट ने दूसरी बेंच को सौंपने की सिफारिश कर दी। इस तरह से तहलका इंटरव्यू वाले केस को एक दूसरी बेंच को सौंप दिया गया। और इसकी सुनवाई 10 सितंबर को होगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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