Saturday, July 27, 2024
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बिक गया TheQuint, लेकिन राघव बहल ही रहेंगे मालिक! शेयर और प्रोमोटेड कंपनी का 2 साल से चल रहा था झोल

राघव बहल के झोलझाल को समझना हो तो ऐसे समझिए। कुछ समय पहले उन्होंने 5.50 रुपए प्रति शेयर की दर से एक कंपनी के शेयर खरीदे। वो कंपनी 2 सालों तक किसी भी व्यापारिक गतिविधि में शामिल नहीं रही। लेकिन राघव बहल ने जब अपने शेयर बेचे तो उसकी कीमत 848 रुपए प्रति शेयर थी।

कुछ घंटे पहले इंटरनेट पर दावा किया गया कि राघव बहल ने हल्दीराम को अपनी वेबसाइट बेच दी है। कुछ ऐसी खबरें आईं थीं कि कंपनी फिलहाल मुश्किल समय से गुजर रही है, क्योंकि कंपनी ने अपने 200 से अधिक कर्मचारियों में से 45 कर्मचारियों को बिना वेतन के अनश्चितकाल के लिए छुट्टी पर भेज दिया था।

दरअसल इसके पीछे कोरोना वायरस के चलते पैदा हुआ अतिरिक्त दवाब और वित्तीय घाटा एक प्रमुख कारण था। बहरहाल यह वह है, जो वास्तव में हुआ था।

2018 के अंत में TheQuint के संस्थापक राघव बहल और उनकी पत्नी रितु कपूर ने 5.64 करोड़ रुपये में गौरव मर्केंटाइल्स नामक एक फर्म में 66.42% की हिस्सेदारी ली थी। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने खुले ऑफर के लिए 2 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च किए थे। अधिग्रहण की कीमत 42.5 रुपए प्रति शेयर थी।

राघव बहल के द्वारा शिप-ब्रेकिंग कंपनी के अधिग्रहण ने उत्सुकता बढ़ा दी थी। फिर जुलाई 2019 में यह खुलासा हुआ कि शिप-ब्रेकिंग कंपनी अपने स्वयं के प्रमोटर समूह की फर्म का अधिग्रहण करके मीडिया व्यवसाय में प्रवेश करेगी तो इस कारण से इसके शेयरों की कीमत में बढ़ोतरी हुई।

इसके बाद जुलाई 2019 में गौरव मर्केंटाइल्स के शेयर की कीमतें 151 रुपए प्रति शेयर पर आ गए, जो कि 52 सप्ताह के उच्च स्तर पर थीं। वहीं 6 मई 2020 को गौरव मर्केंटाइल्स का शेयर मूल्य 250 रुपए प्रति शेयर पर बंद हुआ।

गौरव मर्केंटाइल्स पहले शिप ब्रेकिंग, व्यापार और निवेश में लगे हुए थे, लेकिन अब वह वर्षों से शिप ब्रेकिंग पर ही लगे हुए हैं। ईटी की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 17 जुलाई 2019 को गौरव मर्केंटाइल्स के नए बोर्ड के सदस्य यह तय करेंगे कि फर्म क्विंटिलियन मीडिया में हिस्सेदारी खरीदेगी, जो ऑनलाइन पोर्टल द क्विंट चलाती है।

गौरव मर्केंटाइल्स के नए बोर्ड के सदस्य जो द क्विंट के भाग्य का फैसला करने वाले थे, वो द क्विंट के असली प्रमोटर राघव बहल और रितु कपूर थे। इसलिए वास्तव में राघव बहल और उनकी पत्नी ने एक कंपनी खरीदी थी, जो अब एक और कंपनी खरीदने का फैसला करेगी और उस कंपनी के मालिक पहले से ही राघव बहल और उनकी पत्नी थीं।

क्या हल्दीराम ने द क्विंट को खरीद लिया?

वास्तव में नहीं। वीसी सर्कल की रिपोर्ट के अनुसार यूके स्थित निवेश बैंक एलारा कैपिटल पीएलसी और दिल्ली स्थित हल्दीराम का अग्रवाल परिवार गौरव मर्केंटाइल्स में कंवर्टिवल्स वॉरंट (convertible warrants) रखता है। राघव बहल, प्रत्यक्ष निवेश के जरिए या संबंधित संस्थाओं के माध्यम से कंवर्टिवल्स वॉरंट को इक्विटी में बदलने के बाद गौरव मर्केंटाइल्स में बहुमत से हिस्सेदारी बनाए रखेंगे।

हल्दीराम के मालिक क्विंटिलियन मीडिया में 17-18% तक की हिस्सेदारी बना सकते हैं। साथ ही एलारा कैपिटल पीएलसी 10% तक की हिस्सेदारी प्राप्त कर सकती है। दरअसल क्विंटिलियन मीडिया को खरीदने जा रहे गौरव मर्केंटाइल्स के लिए इस डील की कीमत 12 करोड़ रुपए बताई जा रही है, जबकि क्विंटिलियन मीडिया की पेड-अप कैपिटल 85 करोड़ रुपए की है।

राघव बहल और निवेश का जाल

मई 2019 में कथित तौर पर अपनी बेनामी विदेशी संपत्ति को लेकर राघव बहल ईडी द्वारा जाँच के दायरे में थे। यह संपत्ति 31 मिलियन पाउंड में लंदन में खरीदी गई थी। ईसीआईआर के साथ ही पुलिस ने बहल और अन्य के खिलाफ आयकर विभाग की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए जून महीने में एफआईआर दर्ज कराई थी।

आईटी विभाग ने मेरठ की एक अदालत में काला धन विरोधी कानून और 2015 के कर अधिनियम के प्रावधानों के तहत बहल के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। आईटी अधिकारियों ने 11 अक्टूबर, 2018 को द क्विंट के मालिक की संपत्तियों की छानबीन भी की थी।

मामले से जुड़े दस्तावेजों और केस से जुड़े कुछ सबूतों की तलाश के लिए विभाग के अधिकारियों ने नोएडा स्थित उनके आवास पर छापा मारा था। टैक्स अधिकारियों द्वारा दिए गए शपथ पत्र में राज कुमार मोदी ने बहल पर आरोप लगाते हुए कहा था कि बहल ने अपनी कंपनी का प्रयोग धन लूटने और कर से बचने के लिए किया था।

दरअसल मोदी उस पीएमसी फिनकॉर्प के प्रबंध निदेशक हैं, जिसमें बहल ने कथित रूप से पैसा लगाया था। मोदी ने कथित तौर पर आईटी अधिकारियों को एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि बहल के चार्टर्ड अकाउंटेंट ने उन्हें 100 करोड़ रुपए का कैश ‘सफेद धन’ में बदलने के लिए दिए थे।

खबरों के मुताबिक राघव बहल और उनकी पत्नी ने पीएमसी फिनकॉर्प लिमिटेड कंपनी में 3.03 करोड़ का निवेश किया है। कंपनी के किसी भी व्यापारिक गतिविधि में शामिल न होने के बावजूद दो वर्षों के अंदर कंपनी शेयरों की कीमत 848 रुपए प्रति शेयर पहुँच गई, जबकि इसकी शुरुआती कीमत 5.50 रुपए प्रति शेयर थी, जब बहल ने उन्हें खरीदा था।

इसके बाद बहल ने अपने शेयर बेच दिए, जिसके बाद शेयर की कीमतें एक साथ नीचे गिर गईं। हालाँकि एक प्रेस विज्ञप्ति में बहल ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों से इनकार किया था। उन्होंने कहा था कि कोई भी लेनदेन छिपाया नहीं गया और यह कर के दायरे में था।

राघव बहल और नेटवर्क18

वास्तव में इससे पहले भी मीडिया उद्यमी बहल ने जितनी भी कंपनी में निवेश किया, सब में झोलझाल है। दरअसल 1993 में, राघव बहल ने नेटवर्क18 की स्थापना की। यह जल्द ही भारत के सबसे बड़े मीडिया हाउसों में से एक बन गया। 2014 की एक रिपोर्ट में कहा गया कि रिलाइंस इडस्ट्री लिमिटेड ने नेटवर्क18 पर अपने पूर्ण नियंत्रण के लिए 4,000 करोड़ रुपए दिए थे।

2012 में मुकेश अंबानी की RIL ने नेटवर्क 18 में पूंजी निवेश किया था, जो 10 साल के भीतर किसी भी समय हिस्सेदारी में बदल सकता था। रिलायंस ने उस समय तक कंपनी में ऋण निवेश के बदले कैश दिया। इसके अगले दो वर्षों तक बहल ने कर्मचारियों की छंटनी करने और नुकसान उठाने वाले उपक्रमों को बंद करने में समय लगाया। ऋण निवेश के ढाई साल बाद RIL ने पूर्ण नियंत्रण लेने के लिए इसे हिस्सेदारी में बदल दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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