वैसे तो तमाम पत्रकारों ने खुद ही अपने व्यवहार से अपनी ‘पक्षकारिता’ साबित की है लेकिन आज राहुल गाँधी की स्वीकृति ने उस पर मुहर भी लगा दी। राहुल गाँधी ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वयं स्वीकार किया कि कुछ पत्रकार उनके साइड के हैं जो विरोधियों से कॉन्ग्रेस पार्टी की ओर से कठिन सवाल पूछने का काम करते हैं।
आज एक तरफ जहाँ बीजेपी की प्रेस कॉन्फ्रेंस चल रही थी तो ठीक उसी समय राहुल गाँधी भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। उसी समय राहुल ने कहा, “मैंने अभी सुरजेवाला जी से कहा, उधर मोदी जी की प्रेस कॉन्फ्रेंस चल रही है तो जरा कुछ अपने पत्रकार भी भेज दीजिए जो हमारी तरफ से भी 1-2 सवाल पूछ लें, तो सुरजेवाला ने बताया कि दरवाजे वहाँ बंद कर दिए गए हैं।”
Here @RahulGandhi admits how he failed to plant Congress journalists at PM Modi’s press conference. He is causally admitting that he has bought a bunch of pet journalists.
— Times Of Rahul (@times_of_rahul) May 17, 2019
Good use of all the scam money that his family hoarded over these 60 years.#CongressMuktBharat pic.twitter.com/2nPPR4g2MV
संभवतः यहाँ उन्ही पत्रकारों की बात हो रही है जो खुलेआम ‘पक्षकार’ होने के बाद भी ‘न्यूट्रल’ पत्रकार बने हुए हैं। ऐसे पक्षकार लगातार कॉन्ग्रेस की तरफ से पैडलिंग करते पाए जाते हैं जिन्हें राहुल गाँधी ने आज खुलेआम स्वीकार कर इस हकीकत को मान्यता प्रदान कर दी।
राहुल के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर यह बहस छिड़ गई कि देखिए कॉन्ग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी खुद स्वीकार रहे हैं कि पार्टी के ‘पाले हुए’ कुछ पत्रकार है जो कॉन्ग्रेस के लिए काम करते हैं।
Pappu agrees that he has media on congress pay rolls.
— Chowkidar of Trolls (@hindufanatic) May 17, 2019
Didn’t know he had a set of personal journalists whom he sends on party’s errands.
— Swarna Gouri Prasad (@GouriP16) May 17, 2019
‘Journalists from our side’ .. that !!
— Chowkidar #huatohua (@ExSecular) May 17, 2019
Who are his “apne journalists”, any idea @aroonpurie @PrannoyRoyNDTV @vineetjaintimes? https://t.co/wZhD3RbPyk
— iMac_too (@iMac_too) May 17, 2019
हमने पहले भी कई बार रिपोर्ट किया गया है कि कैसे कुछ कॉन्ग्रेसी ‘पक्षकार’ फेक न्यूज़ फैलाते, कॉन्सिपिरेसी थ्योरीज़ गढ़ते और यहाँ तक कि कॉन्ग्रेस के इलेक्शन कैम्पेन से लेकर स्ट्रैटजी प्लानिंग में भी खुलेआम अपने चवन्नी छाप विचार रखकर भी ‘निष्पक्ष’ बने हुए हैं।