Thursday, April 25, 2024
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‘मैं कहाँ चला जाऊँ, राजदीप? मैं तो गर्त में हूँ!’ भूमिपूजन पर विलाप करते ओवैसी के जवाब पर राजदीप हुए ट्रोल

राजदीप सरदेसाई को यह भी कहा गया था कि उन्हें AIMIM और अकालियों जैसी पार्टियों को 'निशाना' नहीं बनाना चाहिए। इसके बजाय, उन्हें अपना ध्यान भाजपा, शिवसेना और आरएसएस पर केंद्रित करना चाहिए जो 'प्रमुख राजनीति' करते हैं।

ऐसा लग रहा है कि प्रोपेगैंडिस्ट-इन-चीफ राजदीप सरदेसाई अब अपने ही प्रशंसकों के बीच अलोकप्रिय हो रहे हैं। हाल ही में एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी के साथ इंटरव्यू की एक क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद, राजदीप सरदेसाई को इस्लामवादियों और अन्य लोगों द्वारा सरकारी लाइन पर बोलने के लिए ट्रोल किया गया था।

वायरल हुआ वीडियो क्लिप 5 अगस्त को भूमि पूजन से एक दिन पहले के लाइव शो का है। जिसमें हैदराबाद के नेता और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का मेल्टडाउन होते हुए देखा जा सकता है।

क्लिप में साक्षात्कार के दौरान राजदीप सरदेसाई द्वारा पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे हैं। हालाँकि, उन्होंने बड़े ही चतुराई से प्रश्न को घुमा दिया।

सवाल इस संबंध में था कि क्या यह हिंदू और संप्रदाय विशेष के लोगों दोनों के लिए भविष्य में “अतीत के मनमुटाव के साथ जीने की बजाय” दोनों समुदायों के लिए एक नई कॉम्पैक्ट खोजने का समय है।

हालाँकि, असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल को अलग संदर्भ में ले लिया और इसका मतलब यह निकाला कि उन्हें राजदीप सरदेसाई द्वारा ‘मूव ऑन’ करने के लिए कहा जा रहा था। इसके बाद संप्रदाय विशेष वाला नेता ओवैसी का भारी मेल्टडाउन देखने को मिला। उन्होंने पूछा कि क्या देश को मोहनदास करमचंद गाँधी की हत्या, 1984 में कॉन्ग्रेस पार्टी द्वारा किए गए सिख नरसंहार और 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस को भूल कर आगे बढ़ जाना चाहिए।

फिर असदुद्दीन ओवैसी ने, “राजदीप, आप मुझे कहाँ ले जाना चाहते हो? मैं पहले से गर्त में हूँ।” उन्होंने पूरे मामले पर ‘धर्मनिरपेक्ष दलों’ को भी उनकी चुप्पी के लिए जमकर फटकार लगाई। इसके साथ ही उन्होंने राजदीप सरदेसाई जैसे लिबरलों को भी लताड़ा, जो हिन्दुओं के बढ़ते वर्चस्व को रोकने में नाकाम रहे।

क्लिप के वायरल होने के बाद, सोशल मीडिया पर यूजर्स ने राजदीप सरदेसाई और भारत के बहुसंख्यक समुदाय के ‘प्रमुख वर्चस्ववादी’ होने की निंदा की। असदुद्दीन ओवैसी से सऊदी और ईरान के इस्लामिक शासन पर सावल पूछने को लेकर इंडिया टुडे के एंकर की भी निंदा की गई।

इन टिप्पणियों के बाद राजदीप सरदेसाई ने माना कि इस्लामिक देशों के संबंध में प्रश्न को गलत तरीके से रखा गया था लेकिन उन्होंने कहा कि हैदराबाद के नेता अपनी पार्टी की अल्पसंख्यक राजनीति के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा, “हमें प्रमुखतावाद और अल्पसंख्यकवाद को खारिज करना चाहिए।” हालाँकि, इस्लामवादियों और धर्मनिरपेक्ष-उदारवादी खेमे ने उनकी बातों पर नरमी नहीं दिखाई।

राजदीप सरदेसाई को उनके सवाल की लाइन के साथ-साथ अल्पसंख्यकवाद के बारे में उनकी टिप्पणी के लिए भी लताड़ा गया था। कथित स्वास्थ्य पत्रकार विद्या कृष्णन ने राजदीप सरदेसाई पर अपनी पत्रकारिता के बारे में अच्छा महसूस करने के लिए ओवैसी पर ‘धौंस’ दिखाने का आरोप लगाया और दावा किया कि उनकी पत्रकारिता केवल संप्रदाय विशेष के लिए जवाबदेह है। विद्या कृष्णन ने यह भी कहा कि यह ‘अविश्वसनीय’ था कि उसने माफी माँगने से इनकार कर दिया।

एक अन्य व्यक्ति ने इंडिया टुडे के एंकर द्वारा की गई टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि ‘उदारवादी संघियों के गधे हैं।’

एक अन्य व्यक्ति ने टिप्पणी की कि राजदीप सरदेसाई के दिमाग में ‘पूरा गोबर’ भरा हुआ है।

राजदीप सरदेसाई पर सरकार के ‘दलाल’ होने का आरोप भी लगाया गया था।

ओवैसी के साथ के साथ कई अन्य लोगों का भी मेल्टडाउन होते देखा गया, जिन्होंने दावा किया कि भारत में सामूहिक हत्यारे का शासन है और उत्तर प्रदेश में एक ‘अतिवादी भिक्षु’ का शासन है।

राजदीप सरदेसाई को यह भी कहा गया था कि उन्हें AIMIM और अकालियों जैसी पार्टियों को ‘निशाना’ नहीं बनाना चाहिए। इसके बजाय, उन्हें अपना ध्यान भाजपा, शिवसेना और आरएसएस पर केंद्रित करना चाहिए जो ‘प्रमुख राजनीति’ करते हैं।

काफी सारी प्रतिक्रियाओं से पता चलता है कि लोगों की राय थी कि ‘अल्पसंख्यकवाद’ नाम की कोई चीज मौजूद नहीं है। हालाँकि, हम निश्चित तौर पर नहीं कह सकते हैं कि राजदीप सरदेसाई के शब्दों से क्या मतलब है। मगर ऐसा लग रहा है कि वह एआईएमआईएम नेता के भड़काऊ बयानबाजी के संदर्भ में बात कर रहे थे।

उदाहरण के लिए, AIMIM सुप्रीमो के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी ने एक बार खुलेआम हिंदुओं को धमकी दी थी और कहा था कि अगर 15 मिनट के लिए देश भर में पुलिस हटा ली गई, तो संप्रदाय विशेष के लोग हिंदुओं को दिखा देंगे कि मालिक कौन है। अभी हाल ही में, एआईएमआईएम के वरिष्ठ नेता वारिस पठान ने सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान कहा था कि 15 करोड़ संप्रदाय विशेष के लोग 100 करोड़ हिंदुओं पर हावी होंगे। पठान ने हिंदू समुदाय से कहा, “कल्पना करें कि हम आपके साथ क्या कर सकते हैं।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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