राजस्थान में जारी सियासी संकट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (23 जून, 2020) को राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि पहले हाईकोर्ट का फैसला आ जाए, उसके बाद सोमवार को फिर इस मामले की सुनवाई होगी।
गौरतलब है कि राजस्थान विधानसभा स्पीकर की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि हाईकोर्ट के फैसले को रद किया जाए, किसी निर्णय से पहले विधानसभा अध्यक्ष के मामले में दखल नहीं दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने सचिन पायलट और 18 विधायकों की ओर से हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी से जवाब माँगा है। मामले की अगली सुनवाई अब सोमवार को होगी।
बता दें कि राजस्थान में चल रहे सियासी घमासान के बीच, राजस्थान स्पीकर ने पिछले सप्ताह सचिन पायलट और अन्य बागी विधायकों को नोटिस जारी किया था। अध्यक्ष ने यह भी तर्क दिया था कि बागी स्पीकर द्वारा की गई किसी भी कार्रवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका नहीं दायर कर सकते।
हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद कॉन्ग्रेस पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट शुक्रवार को बागी नेताओं की याचिका पर अपने फैसले की घोषणा कर सकता है। लेकिन अंतिम आदेश सुप्रीम कोर्ट के अधीन होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राजस्थान के स्पीकर सीपी जोशी की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, “विरोध की आवाज को लोकतंत्र में दबाया नहीं जा सकता है।” बता दें राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने बर्खास्त उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित 19 विरोधी कॉन्ग्रेस विधायकों के खिलाफ अयोग्यता कार्यवाही शुरू करने के कारणों पर सवाल उठाया था।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद, कॉन्ग्रेस पार्टी और उसके मीडिया इकोसिस्टम इस बात को लेकर परेशान हो गए कि कैसे कोर्ट ने उनके अनुसार आदेश नहीं दिया। अपने अनुकूल फैसला नहीं आने से नाराज लोगों ने न्यायपालिका के खिलाफ ही हमला बोल दिया।
कोर्ट के फैसले से निराश राजदीप सरदेसाई ने अपने मन की भड़ास ट्विटर पर निकाली। उन्होंने ट्वीट कर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अरुण मिश्रा के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की। गौरतलब है कि जस्टिस अरुण मिश्रा ने सचिन पायलट द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट बेंच की अध्यक्षता की थी। राजदीप सरदेसाई ने उनका नाम घसीटते हुए कहा कि यह वही अरुण मिश्रा है, जिन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी को ‘बहुमुखी प्रतिभा’ के रूप में वर्णित किया था।
आश्चर्यजनक है कि राजदीप सरदेसाई ने अप्रत्यक्ष रूप से संकेत दिया कि जस्टिस अरुण द्वारा सचिन पायलट के पक्ष में निर्णय और कुछ महीने पहले पीएम मोदी के लिए उनकी प्रशंसा करना, इन दोनों का आपस में कोई मेल है। इस तरह की बयानबाजी करने से पत्रकार सरदेसाई (जिन्हें कई बार फर्जी खबरें फैलाते पकड़ा गया है) ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल खड़ा कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने अदालत की अवमानना भी की है।
राजदीप सरदेसाई द्वारा न्यायपालिका पर किए गए इस हमलें को लेकर सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस पर आपत्ति जताई। जिसके बाद सरदेसाई को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने तुरंत अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया।
कॉन्ग्रेस के प्रति सहानुभूति रखने वाले राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट करने के बाद यह महसूस किया कि सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ दिए गए अपने फर्जी बयान की वजह से उनपर अदालत की अवमानना का आरोप भी लग सकता है। अपने पुराने ट्वीट को हटाने के बाद, ‘पत्रकार’ ने जल्द ही राजस्थान के सियासी घमासान और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक और पोस्ट किया। हालाँकि, इस ट्वीट में जस्टिस अरुण मिश्रा का कोई संदर्भ नहीं था।
शायद, राजदीप सरदेसाई को इस तथ्य के बारे में पता था कि उनपर न्यायपालिका पर ऐसी अपमानजनक टिप्पणी करने पर मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता है। जैसे कि ‘अर्बन नक्सल” वरवरा राव (Varavara Rao) को लेकर न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक ट्वीट पोस्ट करने के लिए विवादास्पद ‘एक्टिविस्ट‘ वकील प्रशांत भूषण के साथ हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने ‘पीआईएल एक्टिविस्ट’ प्रशांत भूषण के खिलाफ अदालती की अवमानना करने का नोटिस जारी किया था।