राहुल गाँधी ने ट्विटर पर मंगलवार (जून 1, 2021) को कुल 63 लोगों को अनफॉलो किया। शुरू में लग रहा था कि उन्होंने सिर्फ 8 कॉन्ग्रेसी प्रोपेगेंडाबाजों को अनफॉलो किया है लेकिन बाद में पता चला कि इन्हें अनफॉलो करने के साथ उन्होंने कुछ पत्रकारों और अपने प्रशंसकों को फॉलो किया था। राहुल गाँधी ने ‘पत्रकार’ संजुक्ता बासु को भी अनफॉलो किया।
इस उठा-पटक के बीच कॉन्ग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड की कंसल्टिंग एडिटर संजुक्ता बासु ने इस मुद्दे पर अपनी पूरी चर्चा की और इस बारे में कई खुलासे किए। चर्चा के मुख्य बिंदु अब सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे हैं। इनके मुताबिक, संजुक्ता बासु ने राहुल गाँधी के इस फॉलो-अनफॉलो वाले क्रम को एक रणनीतिक कदम करार दिया।
राहुल गाँधी द्वारा अनफॉलो किए जाने के बाद संजुक्ता बासु को ये सब अपना अपमान नहीं लगता बल्कि वो इसे एक बहुत बड़ी रणनीति का हिस्सा मानती हैं।
RIP logic. She is giving logic why Rahul Gandhi unfollowed Journalists including her . Please listen to this if you had a bad day. @TajinderBagga @MrsGandhi pic.twitter.com/QClH7qg0W6
— Rudhan Sharma (Dogra)🇮🇳 (@Rudhans1) June 1, 2021
वह कहती हैं, “बरखा, निधि राजदान, राजदीप सरदेसाई जैसे लोग, आप जानते हैं, जो तथाकथित उदारवादी, वाम-उदारवादी हैं और हर्ष मंदर, हंसराज मीणा जैसे कार्यकर्ता और मेरे और प्रतीक सिन्हा जैसे लोग। उन्होंने सबको अनफॉलो कर दिया है। मुझे भी। मेरे को लगता है ये एक बहुत बड़ी रणनीतिक चाल है, ये एक संदेश है कि चाहे आप वामपंथी मीडिया हों, दक्षिणपंथी मीडिया हों, ये मीडिया हों, वो मीडिया हों, कोई मतलब नहीं है। वह किसी मीडियाकर्मी को नहीं फॉलो कर रहे। वह कॉन्ग्रेस हैंडल्स को फॉलो कर रहे हैं और हर कॉन्ग्रेस नेता को फॉलो कर रहे हैं। इसके अलावा कॉन्ग्रेस की हर राज्य ईकाई को फॉलो कर रहे हैं। तो ये वो चीज है जिस पर वह ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।”
अब इस रिपोर्ट को लिखने के समय तक, कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अपने ट्विटर अकॉउंट से अर्थशास्त्री कौशिक बसु, वकील करुणा नंदी, पूर्व सीईसी एसवाई कुरैशी, शिक्षक अशोक स्वैन, जूनियर अभिनेत्री श्रुति सेठ, वरिष्ठ पत्रकार जावेद अंसारी, पत्रकार राघव बहल, वरिष्ठ विशेषज्ञ पी साईनाथ, जूनियर लेखक सोनिया फलेरियो, और ओला कैब्स के संस्थापक भाविश अग्रवाल सहित अन्य लोगों को फॉलो कर रहे थे। ऐसे में यदि संजुक्ता द्वारा दिया तथ्य सही है तो शायद हो सकता है कि इन लोगों ने कॉन्ग्रेस ज्वाइन कर ली हो।
एक फहाद नाम का ट्विटर यूजर इस मामले में अपनी राय रखते हुए कहता है कि वह राहुल के इस कदम को संरचनात्मक सुधार और परिवर्तनों की रणनीति के तौर पर देखता है। जिसे पढ़कर बासु फहाद की कही बात पर अपनी सहमति देती हैं।
एक अन्य वीडियो में आजतक के पत्रकार पाणिनि आनंद भी ये समझा रहे हैं कि इससे कोई मतलब नहीं है कि राहुल गाँधी किसे फॉलो करते हैं या किसे नहीं, महत्वपूर्ण ये हैं कि वह अपने नाना जवाहरलाल नेहरू और संविधान के दिखाए नक्शे कदमों पर चले।
Haha this man @paninianand is a journalist with Aajtak.. 🤡 pic.twitter.com/mmG7giaY3Q
— Mr Sinha (@MrSinha_) June 1, 2021
आनंद कहते हैं राहुल गाँधी यूपीए 2 के बाद से पूंजीवादी विरोधी रहे हैं और इसलिए उनसे सबसे पहले उद्योगपति नाराज हुए। मालूम हो कि ये आनंद वही पत्रकार हैं जिन्होंने मोदी विरोधी लेख न लिखने पर अपने एक सहयोगी को परेशान करके रख दिया था।
पाणिनी ने अपने सहयोगी से कथिततौर पर कहा था, “साले तुम कीड़े-मकोड़े हो। मुझको जो मन आएगा करूँगा। मैं गधों को बड़ी जिम्मेदारी दूँगा और उनका प्रमोशन करूँगा व अप्रेजल करूँगा, क्योंकि वो मेरी विचारधारा के लोग हैं। तेरी क्या औकात है। साले तुझको सड़क पर ला दूँगा और तेरे परिवार को बर्बाद कर दूँगा। अगर सुधरा नहीं, तो साले तुझको जूतों से मारूँगा और तेरी हत्या करवा दूँगा। तेरी लाश को कुत्ते खाएँगे। तुझको न मोदी बचाने आएगा और न बीजेपी।”
Congress supporters removed me from speaker panel of their Space when I asked about their stand on lynching of Mahadalits by Islamists in Poornia. So intolerant. The 😢😢😢https://t.co/rr6rxBOOnL
— Divya Kumar Soti (@DivyaSoti) June 1, 2021
इसके बाद पंडित नेहरू द्वारा प्रदर्शित किए गए अभिव्यक्ति की आजादी और सहिष्णु परंपरा का अनुसरण करते हुए नेशनल हेराल्ड की कंसल्टिंग एडिटर ने अपनी बातचीत में एक गैर कॉन्ग्रेसी को बोलने का मौका दिया लेकिन कुछ देर बाद वह व्यक्ति पूरी चर्चा से बाहर हो गया क्योंकि वह ‘नेहरू के सेकुलर सिद्धांतों’ पर नहीं चल रहा था। बाद में चर्चा से निकाले गए व्यक्ति ने ट्विटर पर इसकी शिकायत भी की।
Any argument starting with “What about” is called whataboutery. Do not do whataboutery, you appear dumb. Yday on my @TwitterSpaces I gave mic to @DivyaSoti thinking he’d be able to hold a meaningful intellectual conversation. He started with ‘what about’. RW is always dumb.
— Sanjukta Basu (@sanjukta) June 2, 2021
लेकिन संजुक्ता बासु ने इस शिकायत का रिप्लाई देते हुए ऐसे सवाल पूछने वाले सभी लोगों को बेवकूफ करार दे दिया।
बता दें कि इस चर्चा को कई भाजपा समर्थकों ने ज्वाइन किया था कि वह जान सकें बासु का क्या कहना है। लेकिन भाजपा समर्थक इससे जुड़ने के बाद सिर्फ हंसने वाले इमोजी भेजते रहे। कई लोगों ने बाद में माना भी कि वह संजुक्ता के ज्ञान से ‘प्रभावित’ थे जो राहुल गाँधी के कदम को इस तरह समझा रही थी कि राहुल गाँधी भी उसे स्वयं न बता पाएँ।
It’s totally a leaders’ prerogative to follow unfollow- but the way done reflects distrust of a professional or profession u also need to take along
— pallavi ghosh (@_pallavighosh) June 2, 2021
बासु ने बाद में ये भी कहा कि अनफॉलो करना उन लोगों को एक ऐसा संदेश है जो राहुल गाँधी से सवाल करते हैं लेकिन कभी भी उनकी गतिविधियों पर रिपोर्ट नहीं करते। एक ट्विटर यूजर @ruchhan ने ऑपइंडिया से बात करते हुए कहा, “हम सुहाग रात के दौरान दूध के महत्व जैसे असंख्य विषयों को होस्ट कर रहे हैं, लेकिन राहुल गाँधी की रणनीति पर बासु मैडम की चर्चा एक आँख खोलने वाली है। उसी से प्रेरित होकर, जल्द ही हम इस पर चर्चा करेंगे कि अगर किसी को आईबीएस चाहिए तो क्या किसी को कब्ज या दस्त को प्राथमिकता देनी चाहिए।”