Friday, April 26, 2024
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तिलक लगा, भगवा पहन एंकरिंग करना अपराध है? सुदर्शन न्यूज ने केंद्र के शो-कॉज नोटिस का दिया जवाब

“हमने कुछ भारतीय संगठन और विदेशी आतंकवादियों के बीच संबंध खोज कर निकाले हैं। अगर वह आतंकवादी मुस्लिम हैं तो क्या यह हमारी गलती है? क्या समाचार प्रस्तोता बन कर तिलक लगान या भगवा वस्त्र पहनना अपराध है? मुझे अपनी पवित्र संस्कृति और पूर्वजों में पूरी आस्था है, क्या इसकी वजह से मैं मुस्लिम विरोधी बन जाता हूँ?”

सुदर्शन चैनल ने ‘बिंदास बोल’ कार्यक्रम के लिए जारी किए गए शो-कॉज नोटिस का जवाब दिया है। इस कार्यक्रम में ज़कात फ़ाउंडेशन पर आरोप लगाया गया था कि उसे आतंकवादी संगठनों से आर्थिक मदद मिलती है। इस आर्थिक सहयोग से वह लोक सेवा संबंधी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे मुस्लिम उम्मीदवारों की मदद करता है। यह नोटिस सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी किया गया था। 

चैनल के एडिटर इन चीफ सुरेश चव्हाणके ने ‘यूपीएससी जिहाद’ के संबंध में जारी किए गए नोटिस पर दिए गए जवाब को ट्विटर पर साझा किया है। चव्हाणके ने यह भी बताया कि नोटिस का जवाब कुल 1 हज़ार पन्नों में दिया गया है और जल्द ही इसके अन्य अहम हिस्से साझा किए जाएँगे।

उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “आज हमने यूपीएससी जिहाद के संबंध में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नोटिस का जवाब दिया है। उस जवाब के कवर लेटर का 5 पन्ना आप सभी के साथ साझा कर रहा हूँ। आने वाले कुछ दिनों तक हम अपने हज़ार पन्नों के जवाब के कुछ अहम हिस्से साझा करेंगे, बिंदास बोल।”

भारत सरकार को जवाब देते हुए सुरेश चव्हाणके ने अपने ट्वीट में लिखा, “हमसे कुल 13 सवाल पूछे गए थे, लेकिन हम 63 सवालों का जवाब दे रहे हैं। यह सवाल हमसे सर्वोच्च न्यायालय और सोशल मीडिया माध्यमों द्वारा पूछे गए थे। हमें ऐसा लगा कि इन प्रश्नों को संबोधित करना हमारी ज़िम्मेदारी है। हमारी तरफ से इसे एक ईमानदारी भरा प्रयास माना जाए। हमारे खिलाफ इतने बड़े पैमाने पर साज़िश रही गई है, उसे उजागर करने में भी हमारी मदद की जानी चाहिए।”

गोबेल्स के लॉ ऑफ़ प्रोपोगेंडा का उल्लेख करते हुए उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “एक झूठ को इतनी बार दोहराया जाए कि वह सच में तब्दील हो जाए।” कवर लेटर में उन प्रयासों का सिलसिलेवार तरीके से ज़िक्र है जब यूपीएससी जिहाद कार्यक्रम को बंद करने की बात हुई। साथ ही लोगों को भड़काने का भी पूरा प्रयास किया गया और सरकारी संस्थानों को इस मुद्दे पर धोखे में रखा गया। 

लेटर में कहा गया है, “इतना कुछ होने के चलते खोजी पत्रकारिता पर आधारित कार्यक्रम कानूनी विवाद में फँस गया। इसके साथ देश की राष्ट्रीय सुरक्षा पर मँडराने वाले एक बड़े खुलासे का पर्दाफ़ाश अधूरा ही रह गया। इस तरह के हालातों का फायदा उठाते हुए साज़िश में शामिल सभी आरोपित सबूत मिटाने की कोशिश में जुट गए हैं। हम इकलौते ऐसे चैनल हैं जिस पर इस तरह की कार्रवाई हुई है, क्योंकि हम पूरी दुनिया की इंसानियत के दुश्मन – कट्टर इस्लामियों की सच्चाई सामने लेकर आ रहे हैं।” 

इसके अलाव सुदर्शन चैनल ने यह भी आरोप लगाए कि विरोधी यूपीएससी जिहाद को बंद करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। यह असल मायनों में ‘बुद्धिजीवी स्लीपर सेल है’ जो ज़कात फ़ाउंडेशन को मिलने वाली फंडिंग के आतंकवादी कनेक्शन से देश का ध्यान हटाना चाहते हैं। सुरेश चव्हाणके ने इस बात पर भी जोर दिया कि कार्यक्रम की ब्रांडिंग ‘मुस्लिम विरोधी’ की तरह इसलिए की गई, क्योंकि उन्होंने लोगों से कार्यक्रम देखने का निवेदन किया। इसके अलावा कार्यक्रम के प्रोमो में कट्टरपंथियों की सतही मानसिकता दिखाई गई थी। 

सुरेश चव्हाणके ने सवाल पूछते हुए लिखा, “हमने कुछ भारतीय संगठन और विदेशी आतंकवादियों के बीच संबंध खोज कर निकाले हैं। अगर वह आतंकवादी मुस्लिम हैं तो क्या यह हमारी गलती है? क्या समाचार प्रस्तोता बन कर तिलक लगान या भगवा वस्त्र पहनना अपराध है? मुझे अपनी पवित्र संस्कृति और पूर्वजों में पूरी आस्था है, क्या इसकी वजह से मैं मुस्लिम विरोधी बन जाता हूँ?”

23 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय ने यूपीएससी जिहाद मामले की सुनवाई को टाल दिया था, क्योंकि सरकार ने अदालत को सूचित किया था कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से चैनल को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। नोटिस मूल रूप से इस बात पर आधारित था कि क्या सुदर्शन चैनल ने इस कार्यक्रम में चैनल कोड की अवहेलना की है। यूपीएससी जिहाद मुद्दे पर आधारित इस कार्यक्रम में ज़कात फाउंडेशन (गैर सरकारी संगठन) पर आरोप लगाया गया था कि वह सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे मुस्लिम उम्मीदवारों को प्रशिक्षण देता है। इसके अलावा उसे तमाम आतंकवादी संगठनों से फंडिंग भी मिलती है।       

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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