Saturday, July 27, 2024
Homeरिपोर्टमीडियाऑपइंडिया की एडिटर-इन-चीफ और CEO के खिलाफ बंगाल सरकार की चौथी FIR पर भी...

ऑपइंडिया की एडिटर-इन-चीफ और CEO के खिलाफ बंगाल सरकार की चौथी FIR पर भी सुप्रीम कोर्ट का स्टे: पढ़िए डिटेल

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने जून 2020 में बंगाल सरकार द्वारा चार लोगों के विरुद्ध की गई एफआईआर पर स्टे लगाया था। इनमें से तीन लोग ऑपइंडिया से संबंध रखते थे, जबकि चौथे व्यक्ति वैभव शर्मा थे।

ऑपइंडिया के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा की गई चौथी एफआईआर पर भी सुप्रीम कोर्ट ने आज (सितंबर 3, 2021) स्टे लगा दिया। अब शीर्ष अदालत नवंबर में इस मामले की सुनवाई करेगी। इस बीच अदालत ने किसी भी तरह की पड़ताल पर रोक लगा दी है। यह चौथी एफआईआर साल 2020 में हुए तेलिनिपारा दंगों से संबंधित थी, जिस पर ऑपइंडिया ने अपनी कवरेज की थी।

इस मामले में ऑपइंडिया की एडिटर-इन-चीफ नुपूर जे शर्मा और सीईओ राहुल रौशन को कुछ दिन पहले पूछताछ के लिए सीआईडी ने समन भेजा था। इसके बाद दोनों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पूछताछ का अनुरोध किया था। साथ ही दोनों पूछताछ में सहयोग देने को आगे भी आए।

राहत पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को नुपूर जे शर्मा और राहुल रौशन की ओर से वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी और रवि शर्मा ने पेश किया। याचिका में स्पष्ट बताया गया कि ये चौथी प्राथमिकी उन्हीं एफआईआर की श्रृंखला में सबसे नई है जो ऑपइंडिया के ख़िलाफ़ दुर्भावनापूर्ण तरीके से दर्ज की गई थी। इससे पहले तीन एफआईआर पर सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में रोक लगा दी थी।

याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट को बताया गया कि भले ही उनके ख़िलाफ़ ये एफआईआर 2020 में दर्ज हुई थी, लेकिन दोनों में से किसी को इसकी सूचना नहीं थी। उनके मुताबिक, ये एफआईआर बंगाल पुलिस और सीआईडी दोनों ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड नहीं की थी, जबकि एफआईआर को साइट पर अपलोड करना अनिवार्य है।

सुनवाई के दौरान महेश जेठमलानी ने तर्क दिया कि चौथी एफआईआर को भी पिछली तीन एफआईआर के साथ जोड़ा जाना चाहिए और इस पर रोक लगनी चाहिए। इसके बाद शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में नुपूर जे शर्मा और राहुल रौशन को राहत देते हुए मामले की अगली सुनवाई नवंबर में रखी।

पूर्व में हुई FIR पर भी लगाई थी रोक

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने जून 2020 में बंगाल सरकार द्वारा चार लोगों के विरुद्ध की गई एफआईआर पर स्टे लगाया था। इनमें से तीन लोग ऑपइंडिया से संबंध रखते थे, जबकि चौथे व्यक्ति वैभव शर्मा थे। वैभव, ऑपइंडिया की एडिटर-इन-चीफ के पति हैं जिनका साइट से भी कोई संबंध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने उस समय इन एफआईआर पर स्टे लगाने के साथ ही बंगाल सरकार को नोटिस भी जारी किया था।

उल्लेखनीय है कि साल 2020 में ऑपइंडिया के ख़िलाफ़ जो तीन एफआईआर हुई थीं उसका आधार भी मीडिया रिपोर्ट्स थीं। ये सारी रिपोर्ट्स अन्य पोर्टल्स पर भी प्रकाशित हुई थीं, लेकिन ममता बनर्जी सरकार ने केवल ऑपइंडिया को निशाना बनाया था। आप इस संबंध में विस्तार से यहाँ पढ़ सकते हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘तुम कोटा के हो ब#$द… कोटा में रहना है या नहीं तुम्हें?’: राजस्थान विधानसभा में कॉन्ग्रेस विधायक ने सभापति और अधिकारियों को दी गाली,...

राजस्थान कॉन्ग्रेस के नेता शांति धारीवाल ने विधानसभा में गालियों की बौछार कर दी। इतना ही नहीं, उन्होंने सदन में सभापति को भी धमकी दे दी।

अग्निवीरों को पुलिस एवं अन्य सेवाओं की भर्ती में देंगे आरक्षण: CM योगी ने की घोषणा, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ सरकारों ने भी रिजर्वेशन...

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी और एमपी एवं छत्तीसगढ़ की सरकार ने अग्निवीरों को राज्य पुलिस भर्ती में आरक्षण देने की घोषणा की है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -