मीडिया संस्थान ‘The Lallantop’ और इसके संस्थापक सौरभ द्विवेदी को अक्सर भाजपा के विरोध में भ्रम फैलाने के लिए जाना जाता रहा है। अपनी ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान भी ‘दी लल्लनटॉप’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में कुछ भी सुनना पसंद नहीं करता। अब भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा को लेकर मीडिया संस्थान ने झूठ फैलाया है। लल्लनटॉप अक्सर सेक्स से जुड़ी बातें कर के भी ट्रैफिक जुटाता रहा है। YouTube पर इसके 2.96 करोड़ सब्सक्राइबर्स हैं।
नूपुर शर्मा को लेकर सौरभ द्विवेदी का झूठ
यूट्यूब चैनल द लल्लनटॉप पर नेता नगरी नाम के शो में एक दर्शक ने नुपूर शर्मा को लेकर द्विवेदी से प्रश्न पूछा। पंकज शर्मा ने एक शख्स ने प्रश्न उठाया कि लल्लनटॉप पर नुपूर शर्मा को बुलाकर उनसे बातचीत क्यों नहीं की गई। इसका द्विवेदी ने जवाब दिया कि उन्होंने नुपूर शर्मा की टिप्पणियों और उससे उपजे विवाद को लेकर उन्हें अपने चैनल पर आकर चीजें साफ करने के लिए आने का मौक़ा दिया था। सौरभ द्विवेदी ने बताया कि नुपूर शर्मा ने इस पर इनकार कर दिया था। द्विवेदी ने यह भी दावा किया कि उनकी टीम ने फिर से नुपूर शर्मा तक पहुँचने की कोशिश की है ताकि वह अपना पक्ष रख सकें।
ऑपइंडिया से बातचीत में नुपूर शर्मा ने माना है कि 31 मई, 2022 की प्रेस वार्ता में उनकी सौरभ द्विवेदी से से भेंट हुइ थी। कई अन्य पत्रकारों से भी वे मिली थीं जो उस कार्यक्रम में मौजूद थे। लेकिन सौरभ द्विवेदी ने उन्हें कोई प्रस्ताव दिया था ऐसा उन्हें स्मरण नहीं है। सौरभ के दावे को लेकर इसलिए भी संदेह होता है क्योंकि 31 मई को मीडिया से नुपूर के बात करने पर कोई प्रतिबंध नहीं था। उन्होंने मीडिया को बाइट दिया था। 31 मई को ही करीब एक घंटे का साक्षात्कार ऑपइंडिया को दिया था।
नुपूर शर्मा ने ऑपइंडिया को बताया कि अप्रैल 2023 में एक IAS के यहाँ आयोजित पार्टी में सौरभ द्विवेदी और उनकी पत्नी को देख वे हैरान रह गईं थी। उन्होंने ही सौरभ और उनकी पत्नी से मिलने की पहल की थी। इस दौरान नुपूर ने जुबैर के कारण उनकी जिंदगी पर आए खतरों को लेकर बात की थी लेकिन सौरभ द्विवेदी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उन्हें यह भी याद नहीं कि उन्हें लल्लनटॉप पर आकर अपना पक्ष रखने का कोई प्रस्ताव मिला था, जैसा कि सौरभ द्विवेदी दावा कर रहे हैं।
कोरोना वायरस को लेकर भी लल्लनटॉप ने बेचा ‘सेक्स’
सबसे पहले बात करते हैं हाशमी दवाखाना की। हिटलर के लिंग की सटीक नाप बताकर चर्चा में आए दी लल्लनटॉप आजकल किलोमीटर के हिसाब से (लोकोक्ति) यूट्यूब पर वीडियो बनाते हुए देखा गया था, इनमें से एक सबसे ज्यादा जोशीला वीडियो, जिसने घर पर बंद बैठे युवाओं का ध्यान आकर्षित किया, वो था – “सेक्स पावर बढ़ाने जैसी चाहत से आया कोरोना वायरस”। इस वीडियो की गहराई में जाने की जरूरत तो नहीं है लेकिन इस वीडियो को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस वायरस के खिलाफ वैक्सीन तैयार करने में जुटे हुए वैज्ञानिकों को तो दे ही देना चाहिए था।
अगर यह सम्भव ना हो तो इस विडियो की यूट्यूब लिंक कम से कम से कम नॉर्थ कोरिया को तो दे ही देनी चाहिए थी, क्योंकि जो लोग हिटलर की मौत के इतने वर्षों बाद भी उसके गुप्तांग पर Ph.D कर सकते हैं, वो कोरोना के लिए कोई एंटीडॉट भी जरूर तैयार कर ही देते। यही नहीं, दी लल्लनटॉप अपनी ऑडियंस का ख़ास ध्यान रखते हुए उनके मतलब का फैक्ट चेक करते हुए यह भी साबित करते हुए देखा गया था कि सरसों के तेल से कोरोना वायरस से बचाव नहीं हो पाता है। यह वो ऑडियंस है जो दैनिक सस्ते इन्टरनेट की पूरी डेढ़ जीबी या तो टिकटॉक, या फिर दी लल्लनटॉप के चरणों में ही समर्पित करती रही है।
ब्रा, पैंटी, योनि, सेक्स, लिंग, वीर्य… लल्लनटॉप में और क्या?
गोपालगंज में एक बच्चे की मौत के बाद उसके पिता ने दावा किया कि मस्जिद में उसकी बलि दी गई है। हालाँकि, बाद में वो अपने बयान से पलट गया। इसके बाद किए गए कथित फैक्ट-चेक में ऑपइंडिया को प्रोपेगंडा और फर्जी खबरों का पोर्टल बिना सबूत के बता दिया। लल्लनटॉप ने इसी तरह हास्य-व्यंग्य पोर्टल द्वारा बनाई गई एक रिपोर्ट का फैक्ट चेक किया था। इसके बाद पत्रकारिता के इस आखिरी मसीहा ने एक बार सारी जनता के सामने केंद्र सरकार की NPR-NRC नीतियों पर अपने पत्रकारिता के गुरु राजदीप सरदेसाई के साथ बैठकर खुलेआम झूठे आँकड़े पेश किए थे।
साथ ही पकड़े जाने पर बेहद बेशर्मी से यूट्यूब से वीडियो को ना हटाकर चुपके से इसके विवरण में इस ‘भूल’ के बारे में लिख दिया। MEME और फेकिंग न्यूज़ का फैक्ट चेक करना तो दी लल्लनटॉप के मूल्यों का पहला सबक है ही। शूटिंग कर रहे कुछ कलाकारों को मुस्लिम पर हो रहा अत्याचार बताकर दी लल्लनटॉप और उनकी टीम ने जमकर सेक्युलर साहित्य लिखा था।एक साल पुरानी खबर, जिसे पुलिस की जाँच में महीनों पहले फर्जी बता दिया गया था, को ठीक होली के ही दिन दोबारा इसलिए प्रकाशित किया गया ताकि होली को वीर्य का त्योहार साबित कर कुछ सस्ती लोकप्रियता का जुगाड़ किया जा सके।
बजट के दौरान भी लल्लनटॉप ने छपी कामोत्तेजना वाली खबरें
महिलाओं के विषयों पर अन्य से अधिक चिंतित दी लल्लनटॉप जहाँ होली पर इस वजह से चिंतित होता है कि कहीं यह वीर्य का त्योहार तो नहीं, वही दी लल्लनटॉप बजट के दौरान इस बात को लेकर परेशान था कि आखिर प्रियंका चोपड़ा की ड्रेस खिसकती क्यों नहीं? प्रियंका चोपड़ा अपने पति निक जोनास के साथ 62वें ग्रैमी अवार्ड्स में एक ऐसी ड्रेस पहनकर गईं, जिसने दी लल्लनटॉप को परेशान कर दिया। इसके बाद उसने इस पर एक पूरी की पूरी रिपोर्ट छाप दी।
सौरभ द्विवेदी, उनके पिता और कंडोम
ऐसे ही इंडिया टुडे मीडिया समूह की छत्र-छाया में डिजीटल प्लेटफॉर्म पर नाम कमाने वाले ‘दी लल्लनटॉप’ के संपादक सौरभ द्विवेदी की एक छोटी सी चूक से उनकी निष्पक्ष पत्रकारिता वाले मुखौटे की कल बखिया उधड़ गई थी। दरअसल, सोशल मीडिया पर कल सौरभ द्विवेदी को भाजपा समर्थकों को नीचा दिखाने के लिए ड्यूरेक्स कंडोम के विज्ञापन के साथ आपत्तिजनक टिप्पणी शेयर करते पकड़ा गया। स्क्रीनशॉट में देख सकते हैं कि सौरभ द्विवेदी के ट्वीट में ड्यूरेक्स कंडोम के विज्ञापन के साथ एडिटिंग करके लिखा है- ” ये उन लोगों के लिए है जो अब भी भाजपा को समर्थन दे रहे हैं। कृपया इसका इस्तेमाल करें। हम आप जैसे और लोग इस दुनिया में नहीं चाहते।”
इसे शेयर करते हुए वह अपने फॉलोवर्स से पूछते हैं ” HASHTAG चलाना चाहिए कि नहीं मित्रों।” सौरभ ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया। लेकिन, उनके ट्वीट का स्क्रीनशॉट ट्विटर पर इस बीच तेजी से वायरल होने लगा और लोग जोर-शोर से दी लल्लनटॉप के संपादक सौरभ द्विवेदी को उसकी पत्रकारिता और विचारधारा के लिए सवालों के घेरे में घेरने लगे। गौरतलब है कि आज भाजपा के प्रति लोगों में सरेआम जहर फैलाने का करने वाले सौरभ द्विवेदी के पिता (रविकांत द्विवेदी) खुद भाजपा के टिकट पर विधायकी का चुनाव लड़कर दो बार हार चुके हैं।