केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट पेश कर चुकी हैं। सुनने में आ रहा है कि निर्मला सीतारमण जी ने इस बार के बजट में आज तक की सबसे लंबी स्पीच दे डाली। इसमें हैरान होने वाली कोई बात नहीं है क्योंकि –
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माफ़ करना मैं जरा इधर-उधर हो जाता हूँ। तो हम बात कर रहे थे बजट की, जिसे पढ़ते-पढ़ते वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी की तबीयत ख़राब हो गई और बजट भाषण को रोकना पड़ा। लेकिन इस बीच दुनियादारी से एकदम हटकर कुछ लोग अपनी ही दुनिया में मस्त थे। जहाँ कुछ लोग इनकम टैक्स स्लैब में राहत मिलने की बात सुनकर खुश हुए, वहीं एक बड़ा वर्ग ऐसा भी था जिसे अभी उस इनकम टैक्स स्लैब तक पहुँचना बाकी है। खैर, उनकी समस्या भी अपनी जगह पर वाजिब है।
लेकिन आम दुनिया से अलग एक मेन्टोस दुनिया भी है, जिसे कहते हैं दी लल्लनटॉप! वही दी लल्लनटॉप जो आखिरी बार जर्मनी में नाज़ी सेनानायक और फासिस्ट बादशाह हिटलर के पीछे इंच-टेप और फीता लेकर घूमते देखे गए थे। दी लल्लनटॉप की चिन्ताएँ एकदम लल्लनटॉप हुआ करती हैं। महिलाओं के विषयों पर अन्य से अधिक चिंतित दी लल्लनटॉप जहाँ होली पर इस वजह से चिंतित होता है कि कहीं यह वीर्य का त्योहार तो नहीं, वही दी लल्लनटॉप बजट के दौरान इस बात को लेकर परेशान था कि आखिर प्रियंका चोपड़ा की ड्रेस खिसकती क्यों नहीं?
वही प्रियंका चोपड़ा जिन्हें दिवाली पर अस्थमा होता है, और क्रिसमस के समय जिनके पटाखे पर्यावरण में ऑक्सीजन छोड़ते हैं। प्रियंका चोपड़ा अपने पति निक जोनास के साथ 62वें ग्रैमी अवार्ड्स में एक ऐसी ड्रेस पहनकर गईं, जिसने दी लल्लनटॉप को परेशान कर दिया।
स्वयं विचार करें –
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खैर, वो लल्लनटॉप है, वो कुछ भी कर सकता है। लेकिन ऊपरवाले को इस ज्ञानवर्धक वेबसाइट क्वोरा को हिंदी में उतारने की क्या सूझी थी? मेरा सवाल एकदम जायज है। Quora का वर्चस्व एक समय ऐसा हुआ करता था कि हर दूसरा व्यक्ति अमुक सूत्रों की पुष्टि के लिए विकिपीडिया छोड़कर Quora का रिफ्रेंस देता था और भोकाल काटता था। लेकिन ग्रहों की दशा पलटी और Quora ने अपना हिंदी वर्जन जारी कर दिया। Quora के इस हिंदी वर्जन में जो कुछ आता है उसे अपनी आँखों से देख सकते हैं तो जरूर देखिए। इसे देखकर आपको यह तय कर पाना मुश्किल हो जाएगा कि आप Quora पढ़ रहे हैं या ‘दी लल्लनटॉप’ पढ़ रहे हैं।
खुद देखिए मारक मजा-
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एक और शख्सियत है जिसे बजट-वजट से कोई लेना-देना नहीं था। वो है सेक्रेड गेम्स जैसी ‘गोची’ बनाने वाले अनुराग कश्यप। अनुराग कश्यप आजकल CAA-विरोध और रोजगार की कमी के चलते एकदम ‘इधर-उधर’ नजर आ रहे हैं। अनुराग कश्यप का कहना है कि वो सामान्य ज्ञान के लिए ‘दी स्क्विंट‘ पढ़ते हैं। माफ़ कीजिए, ऐसा उन्होंने नहीं कहा लेकिन ट्विटर पर उनकी हरकतें कम से कम यही बताती हैं।
NDTV पर या तो सत्यान्वेषी पत्रकार चलते हैं या फिर सपना चौधरी। बजट-वजट बाद में देखा जाएगा, पहले NDTV चाहता है कि आप सपना चौधरी का डांस देखें।
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लिबरल मीडिया का प्यार तैमूर के डायपर से, अनुराग कश्यप का गोची से और ‘दी लल्लनटॉप’ का हिटलर से कोई छुपी हुई बात नहीं है। लेकिन देश का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है, जिसकी हरकतें भी एकदम लल्लनटॉप हैं। उन पर भी बात कर लेनी चाहिए, क्योंकि गोदी मीडिया हमेशा उन्हें किनारे ही करता आया है। वह वर्ग है टिकटॉक बनाने वाले युवाओं का।
बजट में टिकटॉक वीडियो बनाने वालों पर कोई कर ना लगाने से टिकटॉक समाज में एक बार फिर ख़ुशी की लहर देखी गई है। फेसबुक पर ‘वर्क्स एट स्टूडेंट ऑफ़ दी ईयर’ वाले लोग अभी भी टैक्स के दायरे से बाहर रखे गए हैं। बजट भाषण के दौरान ‘हंस मत पगली प्यार हो जाएगा’ जैसी कविता करने वालों को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना से वंचित रखे जाने के प्रावधान भी शामिल किए गए हैं।
अभी युवाओं का एक ऐसा भी वर्ग है जिसे कम से कम कल सुबह तक भी इस बजट से कोई फर्क नहीं पड़ता है। क्योंकि उसे जब तक न्यूज़ पेपर दो कॉलम बनाकर नहीं समझा देता कि कौन सी चीज महँगी हुई है और कौन सी सस्ती, तब तक वह इस बजट पर वह किसी भी प्रतिक्रिया देने से बचते हुए बस यही कह रहा है कि –
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