भारत में आतंक फैलाने के पड़ोसी देशों के मंसूबों पर पानी फेरने में देश की पुलिस को कामयाबी हासिल हुई है। जहाँ यूपी के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने जम्मू-कश्मीर से हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी फिरदौस अहमद डार की गिरफ्तारी की। वहीं असम में बांग्लादेशी आतंकी संगठन अंसारुल बांग्ला टीम (एबीटी) अब्दुस सुकुर अली की गिरफ्तारी की गई है।
भले ही पाकिस्तान लाख दलीलें दें कि वो भारत के साथ रिश्ते सही करना चाहता है, लेकिन उसकी नापाक फितरत का सबूत बार-बार इन आतंकियों के पकड़े जाने पर जगजाहिर होता है।
आतंकी फिरदौस को भारत में शरिया कानून लागू करने के मिशन पर भेजा गया था और वो यहाँ तेजी से आतंकी फौज में युवाओं की भर्ती को अंजाम दे रहा था। यूपी एटीएस की टीम ने उसकी गिरफ्तारी भी उसी के ट्रेंनिंग दिए संदिग्ध आतंकवादी अहमद रजा (24) के पकड़े जाने के ठीक एक दिन बाद कश्मीर में शुक्रवार (4 अगस्त, 2023) को अनंतनाग (जम्मू-कश्मीर) से की है।
एनआईए की मदद से यूपी एटीएस ने दबोचा फिरदौस
‘इंडिया टीवी’ की रिपोर्ट के मुताबिक, हिजबुल मुजाहिदीन आतंकी फिरदौस अहमद डार को राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) की मदद से गिरफ्तार किया गया। उसे गिरफ्तारी के बाद ट्रांजिट रिमांड पर उत्तर प्रदेश लाया गया। एटीएस अदालत ने डार से पूछताछ के लिए उसे शनिवार यानी 5 अगस्त को सुरक्षा एजेंसी की 14 दिन की हिरासत में भेजा है।
वो रविवार 6 अगस्त सुबह 10 बजे से 19 अगस्त शाम 6 बजे तक जाँच एजेंसी की हिरासत में रहेगा। एटीएस के एक सीनियर अधिकारी ने अदालत में उसकी हिरासत रिमांड की माँग की थी।
उन्होंने कहा कि डार ने अहमद रजा को अपने झाँसे में लेकर हिजबुल मुजाहिदीन में भर्ती करा था। फिरदौस से पहले पकड़ा गया आतंकी रजा कई मैसेजिंग एप्लिकेशन के जरिए से पाकिस्तानी हैंडलर अहसान गाजी के साथ लगातार सँपर्क में था।
भारत में शरिया कानून लागू करने के मिशन पर था भेजा गया
एटीएस के सीनियर अधिकारी बताया कि अहसान गाजी ने घाटी में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने और भारत में शरिया कानून लागू करने के लिए डार को हथियारों, गोला-बारूद और विस्फोटकों की खेप मुहैया कराने का वादा किया था। डार को इस मिशन के लिए देश भर में लोगों की भर्ती करने के लिए भी कहा गया था।
आतंकी रजा का हिजबुल कैंप में ट्रेनिंग लेने का कबूलनामा
फिरदौस को पकड़वाने वाला मुरादाबाद का रहने वाला अहमद रजा ऊर्फ शाहरुख ऊर्फ मोहीउद्दीन पाकिस्तानी हैंडलर के साथ ही लगातार दो हिजबुल कमांडरों के संपर्क में था।
‘हिंदुस्तान टाइम्स‘ की रिपोर्ट के अनुसार, रजा ने 2022 में जम्मू-कश्मीर में दो जगहों पर हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी ली थी। एटीएस अधिकारी ने कहा कि उसने हिजबुल कैंप में ट्रेनिंग लेने और आतंकवादी संगठन में भर्ती के लिए शपथ लेने की बात कबूली है।
वो कुछ आतंकवादी गतिविधि को अँजाम देने का प्लान भी बना रहा था। एटीएस ने उसकी मोबाइल फोन गैलरी से कई जिहादी वीडियो, कई तरह के हथियारों और गोला-बारूद की तस्वीरें और इसके ट्रेनिंग मॉड्यूल बरामद करने का दावा किया।
एटीएस ने यह भी दावा किया कि उसे मुंबई की एक औरत अमीना ने हनीट्रैप में फँसा कर उससे फोन पर बातचीत के जरिए उसे आतंकी नेटवर्क में खींच लिया था। इससे पहले एटीएस ने आतंकी रजा की 14 दिन की कस्टडी रिमांड भी हासिल की थी।
एटीएस ने रिमांड की माँग करते हुए कहा कि आतंकी के नापाक इरादों और योजनाओं के बारे में अधिक जानकारी हासिल करने के लिए उसे जम्मू-कश्मीर, मुरादाबाद और सहारनपुर ले जाया जाएगा। वह कथित तौर पर हिज्बुल मुजाहिदीन से जुड़ा है। जानकारी के मुताबिक, उसका पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान जाकर भारत में आंतकी हमला करने का इरादा था। वो वहाँ जाकर बद्री कमांडो की ट्रेनिंग लेना चाहता था।
रजा पाकिस्तान और अफगानिस्तान में लड़ रहे कई जिहादी संगठनों के मुजाहिदीनों से प्रभावित है। उसने हिंदुस्तान में काफिरों और काफिर सरकार के खिलाफ जिहाद करने को अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया था। वो हिजुबल मुजाहिदीन के पीर पंजाल तंजीम से जुड़े अनंतनाग के रहने वाले सीनियर साथी फिरदौस डार के लगातार संपर्क में था। अहमद रजा का कहना है कि वो भारत के संविधान और सरकार को नहीं मानता।
क्या है हिज़बुल मुजाहिदीन?
अमेरिका ने 2017 में कश्मीर के सबसे बड़े सशस्त्र समूह हिज़बुल मुजाहिदीन के एक विदेशी आतंकी संगठन घोषित किया था और तत्काल प्रभाव से इस पर प्रतिबंध लगा दिए थे। कहा गया था कि देश में मौजूद इसकी संपत्ति को ज़ब्त किया जाएगा।
हिज़बुल मुजाहिदीन ने 1989 में भारत के ख़िलाफ़ कश्मीर में सशस्त्र विद्रोह शुरू किया था। साल 2017 की शुरूआत में अमरीका ने पाकिस्तान में मौजूद इस संगठन के कमांडर मोहम्मद यूसुफ़ शाह उर्फ़ सैयद सलाहुद्दीन को आतंकवाद घोषित किया गया था।
भारत कहता रहा है कि पाकिस्तान पर हिज़बुल विद्रोहियों को हथियार और ट्रेनिंग देता रहा है, जबकि पाकिस्तान इससे इनकार करता रहा है। माना जाता है कि हिज़बुल मुजाहिदीन पहला आतंकी संगठन है जिसमें जरूरी तौर पर कश्मीरियों को सदस्य बनाया गया और जिम्मेदारियाँ दी गईं।
इसे पाकिस्तान समर्थक माना जाता है और 1990 के दशक में कश्मीरी विद्रोहियों का सबसे बड़ा आतँकी ग्रुप माना जाता है। आज भी ये उन कुछ ग्रुप्स में से एक है जो कश्मीर में अपनी मौजूदगी बनाए हुए है। 1989 में बने इस सँगठन के कभी पाकिस्तानी ख़ुफ़िया सेवा आईएसआई के साथ नजदीकी रिश्ते हुआ करते थे।
अमरीकी विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये संगठन आधिकारिक तौर पर जम्मू कश्मीर के भारत से अलग हो कर पाकिस्तान में शामिल किए जाने का समर्थन करता है। अमेरिका के मुताबिक, ये संगठन पाकिस्तान की सबसे बड़े इस्लामी राजनीतिक दल जमाल-ए-इस्लामी का सशस्त्र ब्रांच है। इसका निशाना हमेशा से निशाना भारतीय सुरक्षा बल और जम्मू कश्मीर में मौजूद नेता हैं.ये कश्मीर में विद्रोहियों से मिल कर कई अभियानों को अंजाम देता रहा है।
काबुल के कसाई से है हिज़बुल मुजाहिदीन का करीबी रिश्ता
माना जाता है कि इस हिज़बुल मुजाहिदीन का नजदीकी रिश्ता अफग़ानिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री रहे और 80 के दशक में मुजाहिद्दीनों की अगुवाई करने वाले कबायली नेता गुलबुद्दीन हिकमतयार से भी रहा है। हिकमतियार बुचर ऑफ़ काबुल यानी काबुल का कसाई के नाम से भी मशहूर हैं।
एक वक्त में हिज़बुल लड़ाकों को अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद कैंपों में ट्रेनिंग दी जाती थी। हालाँकि, 1990 के दशक के आख़िर में तालिबान ने इन कैंपों को नेस्तनाबूद कर दिया। इसके बाद ये कैंप पाकिस्तान के हज़ारा इलाके और पाकिस्तानी के जबरन कब्जाए कश्मीर में चले गए।
अफ़ग़ानिस्तान में 90 के दशक में हुए गृह युद्ध में गुलबुद्दीन हिकमतयार का रोल काफी विवादित रहा। हिंसा के इस दौर में अफ़ग़ानों ने तालिबान का वेलकम किया था। ऐसे में हिकमतयार अलग-थलग पड़े और तालिबान के सत्ता में आते ही काबुल से भाग गए।
आईएसआई से है रिश्ता
शिकागो की एक अदालत में साल 2008 में हुए मुंबई बम धमाकों के सिलसिले में सरकारी गवाह डेविड हेडली ने कहा था कि इन हमलों में पाकिस्तान की खुफ़िया एजेंसी आईएसआई और लश्कर-ए- तैयबा दोनों का हाथ था। हेडली का दावा था कि आईएसआई लश्कर,हिज़्बुल मुजाहिदीन और दूसरे आतंकी संगठनों को मदद देता था।
ये आतँकी सँगठन को 2001 में थोड़ा कमजोर पड़ा था जब भारतीय कश्मीर संगठन के शीर्ष क्षेत्र कमांडर माजिद डार ने भारतीय सेना के ख़िलाफ़ एकतरफा युद्धविराम का एलान कर डाला था। इससे पाकिस्तान में संगठन के चीफ सैयद सलाहुद्दीन सकते में आ गया था।
इस वजह से इस आतँकी सँगठन में पड़ी दरार बढ़ी और बाद में माजिद डार का कत्ल कर दिया गया। हालाँकि, सैयद सलाहुद्दीन इसका नियंत्रण करता हैं,लेकिन संगठन के रैंको में कमी आई है और विद्रोह जारी रखने की उसकी काबिलियत पर भी सवाल उठने लगे।
असम में बांग्लादेश का आतंकी संगठन एबीटी का आतंकी गिरफ्तार
अमूमन हर इस्लामिक आतँकी सँगठन का है जो भारत को टारगेट करता रहा है। बांग्लादेश का आतंकी संगठन अंसारुल बांग्ला टीम (एबीटी) भी इससे अछूता नहीं है। असम में शनिवार यानी 5 अगस्त को इसका एक आतँकी पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के धुबरी जिले में पुलिस ने शनिवार को (एबीटी) के एक सदस्य को गिरफ्तार कर लिया। धुबरी पुलिस की टीम ने बिलासीपारा थाना क्षेत्र के नायेराल्गा से उसे सुबह हिरासत में लिया। पुलिस की पूछताछ उससे जारी रही है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट में कहा, “आतंकी अब्दुस सुकुर अली को भारत-बांग्लादेश सीमा के पास पकड़ा गया।”
हाल ही में सीएम बिस्वा ने कहा था कि असम में आतंकी मॉड्यूल को समय-समय पर नष्ट किया गया है और यह आगे भी जारी रहेगा। साल 2023 अप्रैल में धुबरी से एबीटी से जुड़े तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
A member of the Ansarullah Bangla Team (ABT) module, Abdus Sukur Ali, son of Akbar Ali, from Takimari near the Bangladesh border, was apprehended early this morning from a remote area called Nayeralga under Bilasipara Police Station by a team led by @Dhubri_Police . Currently,…
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) August 5, 2023
बीते साल असम पुलिस ने एबीटी और भारतीय उपमहाद्वीप में अल कायदा (एक्यूएलएस)के नौ मॉड्यूल का खुलासा किया था और इससे जुड़े 53 लोगों को गिरफ्तार किया था। इन गिरफ्तारियों के बाद ऐसे प्राइवेट मदरसों को जमींदोज किया गया था जहाँ आतंकी संगठन से जुड़े शिक्षक युवकों को कट्टरपंथ का एबीसीडी पढ़ा रहे थे।