Thursday, April 25, 2024
Homeदेश-समाजमेरी अंतिम इच्छा है कि मरने से पहले इस मामले को अंजाम तक पहुँचा...

मेरी अंतिम इच्छा है कि मरने से पहले इस मामले को अंजाम तक पहुँचा दूँ: रामलला के 92 वर्षीय वकील

2012 से 2018 तक राज्यसभा सांसद रह चुके पराशरण 70 के दशक से ही अधिकतर सरकारों के फेवरिट वकील रहे हैं। धार्मिक पुस्तकों का उन्हें इतना ज्ञान है कि वह अदालत में बहस के दौरान भी उनका जिक्र करते रहते हैं।

अगर आप अदालती कार्यवाहियों का हिस्सा रहे हैं या फिर आपने यह व्यवस्था देखी है तो आपको पता होगा कि वकील खड़े होकर बहस करते हैं। कम से कम फ़िल्मों में तो आपने देखा ही होगा। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर चली 40 दिन की सुनवाई के दौरान रामलला विराजमान की तरफ से पैरवी कर रहे थे के पराशरण। बहस के दौरान कई ऐसे मौके आए जब उन्होंने अपनी दलीलों से मुस्लिम पक्षकारों को पस्त कर दिया।

सुनवाई के दौरान एक दिन मुख्य न्यायाधीश ने पराशरण से पूछा, “क्या आप बैठ कर दलीलें पेश करना चाहेंगे?” लेकिन, उन्होंने कहा, “मिलॉर्ड आप बहुत दयावान हैं लेकिन वकीलों की परंपरा रही है कि वे सुनवाई के दौरान खड़े होकर दलीलें पेश करते रहे हैं और मैं इस परम्परा से लगाव रखता हूँ।” सीजेआई द्वारा इस सवाल को पूछने की वजह थी पराशरण की उम्र। अदालत में घंटों खड़े होकर दलील देने वाले पराशरण 92 साल के हैं।

तमिलनाडु के अधिवक्ता जनरल रहे पराशरण के अनुभवों के बारे में अंदाजा लगाना हो तो जान लीजिए कि वह इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी के प्रधानमंत्रित्व काल में ही भारत के अटॉर्नी जनरल रह चुके हैं। हालाँकि, 2016 के बाद पराशरण अदालती कार्यवाहियों में कम ही दिखते हैं और और चुनिन्दा मामलों में ही अदालत जाते हैं। चेन्नई से दिल्ली तक के इस सफ़र में उन्होंने न जाने कितने अच्छे-बुरे दौर देखे।

उन्होंने सबरीमाला मंदिर मामले में भी पैरवी की थी। उन्हें हिंदुत्व का विद्वान माना जाता है। 2012 से 2018 तक राज्यसभा सांसद रह चुके पराशरण 70 के दशक से ही अधिकतर सरकारों के फेवरिट वकील रहे हैं। धार्मिक पुस्तकों का उन्हें इतना ज्ञान है कि वह अदालत में बहस के दौरान भी उनका जिक्र करते रहते हैं। मद्रास हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजय किशन कॉल के शब्दों में “पराशरण भारतीय वकालत के पितामह हैं जिन्होंने बिना धर्म से समझौता किए भारतीयों के लिए इतना बड़ा योगदान दिया।”

पराशरण ने सबरीमाला मंदिर विवाद के दौरान महिलाओं की एंट्री की अनुमति न दिए जाने के लिए पैरवी की थी। उन्होंने श्रद्धालुओं की राय अदालत में अपने मजबूत दलीलों के साथ रखी। राम सेतु मामले में तो दोनों ही पक्षों ने उन्हें अपनी साइड करने के लिए सारे तरकीब आजमाए लेकिन धर्म को लेकर संजीदा रहे पराशरण ने रामसेतु सरकार के ख़िलाफ़ पैरवी करना उचित समझा। ऐसा उन्होंने सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट से रामसेतु को बचाने के लिए किया। उन्होंने अदालत में कहा, “मैं अपने श्रीराम के लिए इतना तो कर ही सकता हूँ।

के पराशरण के पिता वेदों के विद्वान थे, अतः कहा जा सकता है कि ये संस्कार उन्हें विरासत में मिले हैं, जिसे उन्होंने एक नया आयाम दिया। बाबरी मस्जिद पक्ष के वकील राजीव धवन को अदालत की रोजाना सुनवाई से दिक्कतें थीं और उन्होंने प्रतिदिन सुनवाई न करने की अपील की थी, जिसे अदालत ने ठुकरा दिया था। लेकिन, क्या आपको पता है इस मामले को लेकर पराशरण का क्या कहना है? वे कहते हैं, “यह मेरी अंतिम इच्छा है कि मरने से पहले मैं इस मामले को अंजाम तक पहुँचा दूँ।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

माली और नाई के बेटे जीत रहे पदक, दिहाड़ी मजदूर की बेटी कर रही ओलम्पिक की तैयारी: गोल्ड मेडल जीतने वाले UP के बच्चों...

10 साल से छोटी एक गोल्ड-मेडलिस्ट बच्ची के पिता परचून की दुकान चलाते हैं। वहीं एक अन्य जिम्नास्ट बच्ची के पिता प्राइवेट कम्पनी में काम करते हैं।

कॉन्ग्रेसी दानिश अली ने बुलाए AAP , सपा, कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ता… सबकी आपसे में हो गई फैटम-फैट: लोग बोले- ये चलाएँगे सरकार!

इंडी गठबंधन द्वारा उतारे गए प्रत्याशी दानिश अली की जनसभा में कॉन्ग्रेस और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता आपस में ही भिड़ गए।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe