Saturday, July 27, 2024
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मसूद पर बैन के लिए अब आया अमेरिका: 10 लाख मुस्लिमों को प्रताड़ित करने वाला चीन है पाखंडी

इस्लामिक आतंकवाद पर पाकिस्तान को प्रश्रय देने की चीन की नीति का अब भांडाफोड़ हो चुका है। इस मामले पर चीन पूरे विश्व में अलग-थलग पड़ गया है। यूरोपियन यूनियन में जर्मनी का प्रस्ताव पेश करने से लेकर फ्रांस द्वारा मसूद की सम्पत्तियों को ज़ब्त करने का फैसला भारतीय कूटनीतिक जीत ही थी।

पुलवामा हमले का गुनहगार और पाकिस्‍तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्‍मद के चीफ मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने को लेकर अब अमेरिका डायरेक्ट मैदान में आ गया है। 27 मार्च 2019 को संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में मसूद अजहर को बैन करने का प्रस्‍ताव अमेरिका द्वारा दिया गया। प्रमुख बात यह भी कि अमेरिका के इस प्रस्‍ताव का फ्रांस और ब्रिटेन ने समर्थन भी कर दिया है।

अमेरिका ने यह प्रस्‍ताव संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्‍यीय काउंसिल को दिया है। इसमें कहा गया है कि मसूद अजहर पर बैन जल्द से जल्द लगाया जाना चाहिए। आतंकी मसूद पर प्रस्ताव में यह भी स्पष्ट किया गया है कि उसकी संपत्तियां जब्‍त करने के साथ-साथ उसकी विदेश यात्राओं पर प्रतिबंध लगाया जाए।

भारत के लिए यह एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है। हालाँकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इस प्रस्‍ताव पर वोटिंग कब होगी। चीन द्वारा इस प्रस्ताव के खिलाफ फिर वीटो लगाने की आशंका को देखते हुए अमेरिका ने उसे भी कड़े शब्दों में चेतावनी दी है। कूटनीतिक चाल चलते हुए अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने चीन की आंतरिक नीतियों और हिंसक इस्लामिक आतंकी समूहों पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाया।

माइक पॉम्पियो ने कहा कि चीन अपने यहाँ लाखों मुस्लिमों को प्रताड़ित करता है, लेकिन वीटो का सहारा लेकर हिंसक इस्लामिक आतंकी समूहों को संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध से बचाता है। जैश-ए-मोहम्‍मद या मसूद अजहर का नाम लिए बिना पॉम्पियो ने ट्वीट किया, “दुनिया मुस्लिमों के प्रति चीन के पाखंड को बर्दाश्त नहीं कर सकती। एक तरफ चीन अपने यहाँ 10 लाख से अधिक मुस्लिमों को प्रताड़ित करता है, जबकि दूसरी तरफ वो हिंसक इस्लामिक आतंकी समूहों को यूएन के प्रतिबंध से बचाता है।”

अमेरिकी विदेश मंत्री ने भले ही अपने ट्वीट में किसी का नाम नहीं लिया हो लेकिन यह स्पष्ट है कि उनका इशारा जैश-ए-मोहम्मद और इसके चीफ मसूद अजहर की ओर ही था। क्योंकि दो सप्ताह पहले ही संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में चीन ने मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने से बचाने के लिए अपने वीटो पावर का इस्तेमाल किया था। तब भी अमेरिका ने चीन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि यदि आतंकियों को संरक्षण देने की आपकी नीति में बदलाव नहीं आता है तो सुरक्षा परिषद के सदस्य देश अन्य कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर होंगे।

आपको बता दें कि इस्लामिक आतंकवाद पर पाकिस्तान को प्रश्रय देने की चीन की नीति का अब भांडाफोड़ हो चुका है। इस मामले पर चीन पूरे विश्व में अलग-थलग पड़ गया है। 20 मार्च को यूरोपियन यूनियन में मसूद अज़हर को ग्लोबल आतंकी घोषित कराने के लिए जर्मनी ने प्रस्ताव पेश किया था। इससे पहले फ्रांस ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अज़हर की सभी फ्रांसीसी सम्पत्तियों को ज़ब्त करने का फैसला किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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