मेनस्ट्रीम मीडिया और कुछ तथाकथित-धर्मनिरपेक्ष-उदारवादी मारे गए आतंकियों की मौत का शोक मनाने में कभी विफल नहीं होते। वो अक्सर कुख़्यात आतंकियों के अपराधों पर पर्दा डालने पर उतारू हो जाते हैं। मेनस्ट्रीम मीडिया ऐसे आतंकियों को ‘नायक’ या ‘शहीद’ का दर्जा...
भारत में बुर्क़ा पर प्रतिबन्ध लगाने की माँग अकेले शिवसेना ने नहीं की है, हिन्दू सेना नामक संगठन ने भी गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर सार्वजानिक व निजी संस्थानों में सार्वजनिक तौर पर बुर्क़ा या नक़ाब के प्रयोग पर प्रतिबन्ध लगाने की माँग की है।
वह दूसरे मज़हबों ही नहीं, उदारवादी मुसलामानों और सूफ़ियों को भी अपशब्द कहता था - उसके लिए सूफ़ी नशेड़ी थे। इस्लामिक पढ़ाई में उसकी रुचि इतनी ज्यादा थी कि उसने केवल कुरान रटने के लिए अरबी का कोर्स किया और 2006 में एक इस्लामिक अध्ययन केंद्र खोल डाला था।
2016 में ख़बर आई थी कि 32 अच्छी तरह शिक्षित और समृद्ध मुस्लिमों ने ISIS जॉइन किया है। इस वर्ष स्थानीय इस्लामिक आतंकी संगठन तोहिथ जमात के मुस्लिमों से विस्फोटक सामग्रियाँ ज़ब्त की गई। श्रीलंकाई मुस्लिमों ने समाज सुधारने की बजाए सरकार पर ही आरोप लगा दिए।
कोलंबो में आज सैंट एंटनी चर्च के पास एक वैन में विस्फोट हो गया। रॉयटर्स के अनुसार यह धमाका तब हुआ जब बम निरोधक दस्ते के अधिकारी बम को डिफ्यूज करने की कोशिश कर रहे थे। इसके अलावा ईस्टर के मौके पर हुए बम धमाकों के बाद श्रीलंका में एक बस स्टैंड से 87 डेटोनेटर भी बरामद हुए हैं।
राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने देशव्यापी आपातकाल की घोषणा कर दी है। इस बीच, श्रीलंका में ईस्टर संडे के दिन लगातार 8 बम विस्फोटों के पीछे श्रीलंका सरकार ने नेशनल तौहीत जमात (NTJ) नाम के कट्टरपंथी मुस्लिम आतंकी संगठन को श्रीलंका में सीरियल ब्लास्ट का जिम्मेदार बताया है।
श्रीलंका में ईस्टर के मौके पर रविवार को गिरजाघरों और पांच सितारा होटलों में एक के बाद एक सीरियल बम धमाकों में अब तक कम से कम 290 लोगों की मौत को पुष्टि हो चुकी है।
होटल के एक कर्मचारी ने बताया कि हमलावर मोहम्मद अज्जाम मोहम्मद ब्लास्ट के एक दिन पहले ही आकर ठहरा था। सुबह के समय होटल की कैंटीन लोगों से भरी हुई थी, ऐसे में वो नाश्ते की लाइन में आकर सबसे आगे खड़ा हो गया।
हमें पोलिटिकली करेक्ट होकर स्वीकारने में भले ही अनंत काल लग जाए, लेकिन सत्य यही है कि बड़े आतंकी हमलों के केन्द्र में इस्लामी विचारधारा और आईसिस का झंडा है।
"दुनिया मुस्लिमों के प्रति चीन के पाखंड को बर्दाश्त नहीं कर सकती। एक तरफ चीन अपने यहाँ 10 लाख से अधिक मुस्लिमों को प्रताड़ित करता है, जबकि दूसरी तरफ वो हिंसक इस्लामिक आतंकी समूहों को यूएन के प्रतिबंध से बचाता है।"