Friday, April 26, 2024

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जवाहरलाल नेहरू

स्वदेशी आन्दोलन के बीच मोतीलाल ने खरीदी विदेशी कार, जवाहर को लिखा – ‘भारत में गाड़ी बनने तक इन्तजार करूँ?’

जब पूरा भारत स्वदेशी आन्दोलन का हिस्सा बना था, ठीक उसी समय मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद में विदेशी गाड़ी खरीदने वाले पहले भारतीय थे।

नेहरू ने दिया था गाँव को ‘चीनी मुक्कु’ नाम, अब गलवान झड़प के बाद स्थानीय कर रहे इसे बदलने की माँग

चुनाव प्रचार के लिए केरल पहुँचे नेहरू को अपने आसपास जब बहुत सारे लाल झंडे दिखे, तो उन्होंने अपने बगल में बैठे शख्स से पूछा- क्या ये चीनी जंक्शन है? इसके बाद...

‘चीन युद्ध नेहरू ने शुरू किया, उनकी ही गलती से भारत हारा, एयरफ़ोर्स तैयार थी लेकिन नेहरू राजनीति में उलझे थे’

"वो राजनीतिक लोग ही थे, जो ये सब नहीं चाहते थे। उसमें खासकर कॉन्ग्रेस थी, जो उस हार के पीछे की कड़वी सच्चाई लोगों को नहीं बताना चाहती थी। जिसका खामियाजा हमारी सेना ने भुगता।"

जब चीनी मीडिया नेहरू को ‘साम्राज्यवाद का दौड़ता कुत्ता’ कहती थी, तब नेहरू लोकसभा में अक्साई चीन को लेकर झूठ बोल रहे थे

'चाऊ-माओ' के बीच अपने लिए वैश्विक छवि तलाश रहे नेहरू ने कभी सीमा पर हो रही सैनिकों की मौत को लेकर जुबान नहीं खोली। उन्हें यह स्वीकार करते दशक बीत गए कि सीमा पर कुछ चिंताजनक हो रहा है।

‘मैं एक महान दिवंगत आत्मा की माँ हूँ’: जब अब्दुल्ला के मित्र नेहरू ने बलिदानी मुखर्जी की माँ की माँग ठुकराई

श्यामा प्रसाद मुखर्जी की माता जोगमाया ने भी पंडित नेहरू को एक भावपूर्ण पत्र लिखकर अपने पुत्र की मृत्यु की निष्पक्ष जाँच की माँग की थी। लेकिन, एक माँ की माँग को भी नहीं माना गया।

भूलों का मसीहा नेहरू: अक्साई चीन, कोको द्वीप, काबू वैली… ‘दूरदर्शिता’ के नायाब नमूने

नेहरू ने तो मानो अपने आदर्श पश्चिमी देशों से भी कुछ नहीं सीखा। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जब सोवियत संघ मित्र राष्ट्रों के साथ खड़ा हुआ, तब उसने विचारधारा की परवाह नहीं की थी और वह पूँजीवादियों के साथ नजर आया।

‘मीरजाफर’ मिलते गए और चाओ-माओ बढ़ते गए: 1949 तक भारत से लगती भी नहीं थी चीन की सीमा

वह असंतोष न चीन के कम्युनिस्टों के हक में होगा और न भारत के वामपंथियों और उनके पोषक कॉन्ग्रेस के। इसलिए, नानजिंग के प्रेसिडेंशियल पैलेस और जनपथ की बेचैनियाँ आज एक सी दिख रहीं।

सितंबर 1957 से अक्टूबर 1962 तक PM नेहरू की विदेश नीति… और चीन के कब्जे में चला गया 37544 वर्ग km

...आखिरकार सितंबर 1962 में PM नेहरू को जानकारी मिली कि लद्दाख की गलवान नदी तक के इलाके में चीनी सेना कब्जा जमा चुकी है। लेकिन...

‘चीन के हाथों 45 सालों बाद जवानों का खून’ वामपंथी मीडिया द्वारा सुनाया जा रहा अक्साई चीन के सच का अधूरा हिस्सा है

भारत ने हाल ही में अक्साई चीन के इस क्षेत्र में सड़क निर्माण किया है। जिसका कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार की ओर से काफी विरोध किया गया। सामरिक दृष्टि से यह क्षेत्र संवेदनशील है।

जब तिब्बत की संस्कृति और लोगों को तबाह कर रहा था चीन, उसके सैनिकों के लिए नेहरू ने भेजे थे चावल

आत्ममुग्ध नेहरू ने ​कई भूल किए। इनमें से एक तिब्बत भी है। विश्वनेता बनने की उनकी चाह ने चीन की सभी इच्छाएँ पूरी की थी।

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