Sunday, April 28, 2024

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त्यौहार

पटाखों से प्रदूषण, प्रदूषण से कोरोना इसलिए पटाखे न जलाएँ.. मैं भी पूजा करूँगा- अरविन्द केजरीवाल

केजरीवाल ने एक डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि दिल्ली इस समय कोरोना और प्रदूषण से जंग लड़ रही है। दिवाली पर पटाखे न जलाएँ।

कार्तिक मास: मौसम के बदलाव की सूचना भी पर्व से, सिर्फ सभ्यता-संस्कृति नहीं, छिपे हैं अनगिनत वैज्ञानिक तथ्य

मनुष्य द्वारा ऋतु को बदलते देखना, उसकी रंगत पहचानना, उस रंगत का असर अपने भीतर अनुभव करना पर्व का लक्ष्य है। हमारे पर्व-त्यौहार...

जन्माष्टमी: सम्पूर्णता में जीने का सन्देश – श्री कृष्ण की 16 कलाएँ, उनके ग्वाले से द्वारकाधीश होने की सम्पूर्ण यात्रा

कृष्ण की सोलह कलाएँ उनके विशेष सोलह गुणों से सम्बंधित हैं। जो यदि किसी में हों तो जिस अनुपात में इन गुणों की व्याप्ति होगी उसी अनुपात में...

Holi: कहीं लड्डू मार तो कहीं होली पर लड़की भागकर करती है शादी, लोग अंगारों पर चलकर मनाते हैं रंगोत्सव

ब्रज क्षेत्र में फाल्गुन माह लगते ही होली की शुरूआत हो जाती है, लेकिन इसके सबसे खास बरसाने की लड्डू मार होली और लट्ठ मार होली मानी जाती है। वृंदावन मथुरा और खासकर बरसाना में मनाई जाने वाली लट्ठ मार होली और लड्डू मार होली को देखने के लिए देश-विदेश से लाखों की भीड़ एकत्र होती है।

राग-विराग-वैराग की नगरी काशी: क्यों खेली जाती है महाश्मशान के चिता भस्म से होली, जोगीरा-बुढ़वा मंगल की परंपरा

सनातन में ऐसी कहानियों का बहुत गूढ़ अर्थ था। प्रतीक रूप से ऐसा माना जाता है कि प्रह्लाद का अर्थ आनन्द होता है। वैर और उत्पीड़न की प्रतीक होलिका (जलाने की लकड़ी) जलती है और प्रेम तथा उल्लास का प्रतीक प्रह्लाद (आनंद) अक्षुण्ण रहता है।

तमिलनाडु में कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हुआ जल्लीकट्टू, 2000 हजार से ज्यादा साँड़ ले रहे हिस्‍सा

जल्लीकट्टू तमिलनाडु के ग्रामीण इलाकों का एक परंपरागत खेल है जो पोंगल पर आयोजित किया जाता है। इस दौरान स्थानीय युवक सॉंड पर काबू पाने की कोशिश करते हैं।

मकर संक्रांति: जीवन की गतिशीलता का विज्ञान, चरम बोध और अप्रतिम आनंद का उत्सव

"आप गतिशीलता का तभी आनंद ले पाएँगे या उत्सव मना पाएँगे, जब आपका एक पैर स्थिरता में दृढ़ता से जमा होगा। और दूसरा गतिशील।" मकर संक्रांति का पर्व इस बात का भी उद्घोष है कि गतिशीलता का उत्सव मनाना तभी संभव है, जब आपको अपने भीतर स्थिरता का एहसास हो।

धनतेरस पर ‘लोहा लेने’ की तैयारी कीजिए, सोना तो आता ही रहेगा

अपनी दरिद्रता की स्थिति में भी याचक को निराश न करना पड़े, इसलिए घर में मौजूद एकमात्र खाने योग्य वस्तु का दान करते ब्राह्मणी को देख उनके मुख से देवी लक्ष्मी की स्तुति में एक स्त्रोत फूट पड़ा। उन्होंने माँ लक्ष्मी से उस परिवार की निर्धनता दूर करने के लिए जो प्रार्थना की, उसे 'कनकधारा स्त्रोत' के नाम से जाना जाता है।

रक्षाबंधन का इतिहास: फ़र्ज़ी नारीवादियों के कुतर्कों के नाम (लम्पट वामपंथी भी पढ़ें)

हर परंपरा में उच्च स्थान बाँधने वाले को दिया जाता है कि उसका दिया गया सूत्र (धागा) बँधवाने वाले की रक्षा करेगा क्योंकि इसमें उसने अपनी अराधना, आत्मीयता, स्नेह आदि की शक्ति संचित कर दी है। फिर यहाँ स्त्री हीन कैसे है ये समझ से परे है।

एक्सेल वालो, ख़ून के छींटों से बचाने वाली लड़की के इंतज़ार में है मंदिर जाता बच्चा

अपनी बहुसंख्यक आर्थिक ताकत से इस बार कंपनी को यह एहसास करने की कोशिश की जा रही है कि कब तक सहनशीलता को जाँचा जाएगा। जितना आप लोग नैरेटिव गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, उससे ज़्यादा शांति और सद्भाव से यहाँ रह रहे हैं लोग। इस तरह से आग लगाने की ज़रूरत नहीं है।

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