सना अमजद ने इस पाकिस्तानी युवक का इंटरव्यू लिया है। सोशल मीडिया में यह वायरल हो रहा है। उसकी समझदारी की तारीफ कर लोग कह रहे- करोड़ों में एक मिला है, जो जाहिल नहीं हैं।
उस समय बजरंग दल व अन्य हिन्दू संगठनों ने उनकी मदद की। उपायुक्त ने भी उन्हें वहाँ रहने की छूट दे दी। इसके बाद वे वर्ष 2006 में रोहतक से फतेहाबाद के रतिया क़स्बे के निकट गाँव रतनगढ़ में आकर रहने लगे। यहाँ वो पिछले 13 सालों से रह रहे हैं।
"पाकिस्तान में आतंकवादियों को सुरक्षित ठिकानों में प्रशिक्षित किया जाता है। बच्चों और युवाओं को किताबों की जगह बंदूक दी जाती हैं, महिलाओं पर अत्याचार किया जाता है, और अल्पसंख्यकों को सताया जाता है।"
उनके अंदर भारत का नागरिक बनने की सम्भावना दिखने की ख़ुशी भी थी लेकिन एक दर्द के साथ। दर्द उन परिजनों के लिए, जो पाकिस्तान में छूट गए। जो भारत में हैं, वो चाहते हैं कि पाकिस्तान के उनके परिजन अपने पुरखों की गलती सुधारते हुए यहाँ आ जाएँ क्योंकि वे सभी हिंदू भी यहीं के हैं।
“मैं दुबई में 6 हज़ार दिरम पर नौकरी करता हूँ, तुम्हारी क्वॉलिफ़िकेशन के लिहाज़ से 10 हज़ार दिरम यानी भारतीय करंसी के अनुसार क़रीब दो लाख रुपया महीना मिल जाएगा। यहाँ आ जाओ।” - पाकिस्तानी नदीम इक़बाल ने ऐसे अपने जाल में फँसाया था मेरठ की हिंदू लड़की को।
तत्कालीन अस्त्र नियंत्रण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के अंडर सेक्रेटरी एंड्रिया थॉम्पसन ने अगस्त में पाकिस्तान के एयर चीफ मार्शल मुजाहिद अनवर ख़ान को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में F-16 फाइटर जेट्स के इस्तेमाल पर उन्हें फ़टकार लगाई गई थी।
"लोग हिंदू-मुस्लिम कर रहे हैं? मुस्लिमों को बताइए यहाँ पर क्या दिक्कत है? उनको क्या परेशानी है? हमारे वहाँ पर हिंदू तकलीफ में हैं। उन पर अत्याचार होते हैं। तभी हम यहाँ आते हैं, कौन चाहता है अपना घर छोड़ना... कॉन्ग्रेस ने ही तो धर्म के नाम पर देश को बाँटा था। कॉन्ग्रेस सरकार में यह मुमकिन नहीं हो पाता।"
एक चतुर लेकिन बौखल वकील बुढ़ापे में यह भूल गया कि किस तरफ़ से बहस करने की फीस मिली है, और जाकर अपने ही मुवक्किल को कातिल साबित करने वाली दलीलें दे आया। तृणमूल के सांसद और हम सबके बचपन के 'बॉर्नवीटा क्विज़ मास्टर' डेरेक ओ'ब्रायन यही मूर्खता आज राज्य सभा में कर आए हैं।
इसके साथ ही नागरिकता की दादी ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे का नाम ‘भारत’ रखा था, तभी से उनके मन में था कि एक दिन वो भारत जरूर जाएँगी। उन्होंने अपनी बेटी का नाम ‘भारती’ रखा और अब अपनी पोती का नाम ‘नागरिकता’ रखा है।
हुमा 8वीं कक्षा में पढ़ती है। पहले हुमा को किडनैप किया गया फिर जबरन धर्म परिवर्तन कराने के बाद अपहरण करने वाले अब्दुल जब्बार से उसका निकाह करा दिया गया। इसके बाद बड़े 'शान' से और 'हिम्मत' के साथ निकाह के कागज हुमा के माता-पिता के पास भेज दिया गया - यह इसलिए क्योंकि समझ जाओ कि बेटी अब दूसरे की हो गई, लापता-मिसिंग-कोर्ट-कचहरी जाने का कोई फायदा नहीं!