कुल 90 सीटों में से कॉन्ग्रेस-शिवसेना के 59 पार्षद थे। वहीं, बीजेपी समर्थित कोणार्क विकास अघाड़ी के पास केवल 31 पार्षद थे। लेकिन, जब अंतिम परिणाम आया तो कॉन्ग्रेस के 47 में से 18 पार्षदों ने बीजेपी के पक्ष में मतदान किया और कोणार्क विकास अघाड़ी की उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल 49 वोटों के साथ मेयर चुनी गईं।
"400 कार्यकर्ता BJP में शामिल हुए हैं। हम सब ख़ुद को ठगा सा महसूस कर रहे थे क्योंकि शिवसेना ने भ्रष्ट और हिन्दू-विरोधी दलों से हाथ मिलाकर सरकार बनाई है। अभी कई और भी कार्यकर्ता हैं, जो शिवसेना के इस क़दम से नाराज़ हैं और वो भी..."
पंकजा ने उन अफवाहों का भी खंडन किया, जिनमें कहा गया था कि पार्टी पर दबाव बनाने के लिए उन्होंने ट्विटर परिचय से ‘‘भाजपा’’ हटाया था। सोमवार को पंकजा ने राजेंद्र प्रसाद को उनकी जयंती पर याद करते हुए ‘कमल’ (भाजपा का चिह्न) की तस्वीर पोस्ट की थी।
“विधानसभा चुनाव में हार के बाद पंकजा मुंडे आत्मनिरीक्षण कर रही हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि वह भाजपा छोड़ रही हैं। दुर्घटनावश बनी सरकार उनके बारे में निराधार खबरें फैला रही है।”
अजित पवार के कदम को शरद पवार का मौन समर्थन हासिल था। उन्हें उम्मीद थी कि भाजपा आखिरकार उनकी मॉंगे मान लेगी। लेकिन, जब मोदी उनके दबाव में नहीं आए तो उन्होंने भतीजे को लौट आने का संदेश भिजवाया।
मुलाकात के बाद अजित पवार ने कहा कि भले ही हम अलग-अलग पार्टियों से हैं, लेकिन एक-दूसरे के साथ संबंध रखते हैं। हालॉंकि उन्होंने फ्लोर टेस्ट पर किसी तरह की चर्चा से इनकार किया है।
चुनावी नतीजे आने के बाद टीएमसी के गुंडों ने उत्तर 24 परगना जिले के पानपुर, नैहाटी, मद्राल और बैरकपुर में स्थित भाजपा कार्यालयों की दीवारों और छतों पर हरे रंग से पेंट कर दिया। इसके बाद उन्होंने भाजपा के कार्यालय पर टीएमसी का झंडा फहराया।
"चारधाम श्राइन बोर्ड में मुख्यमंत्री अध्यक्ष होंगे जबकि संस्कृति विभाग के मंत्री उपाध्यक्ष होंगे। लेकिन इसमें शर्त यह है कि मुख्यमंत्री अगर हिन्दू हो तभी वे अध्यक्ष होंगे अन्यथा सरकार का एक वरिष्ठ मंत्री (जिसका हिंदू होना अनिवार्य होगा) बोर्ड का अध्यक्ष होगा।"
प्रिया चौहान ने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। इसमें उन्होंने कहा है कि राज्य में भाजपा-शिवसेना को जनता ने जनादेश दिया है। इसलिए उन्हें ही मिलकर सरकार बनानी चाहिए।
“अजित पवार के रूप में उन्होंने एक भैंसे को अपने बाड़े में लाकर बाँध दिया है और भैंसे से दूध दुहने के लिए ‘ऑपरेशन कमल’ योजना बनाई है। यही लोग सत्ता ही उद्देश्य नहीं है, ऐसा प्रवचन झाड़ते हुए नैतिकता बघार रहे थे।"