सीएम उद्धव ने दुःख जताते हुए इस घटना में दोषियों को न बख्शने की बात कही। उधर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की माँग की।
शिवसेना नेता अक्षय विजय पनवेलकर ने पत्र में दावा किया कि दोनों राजनीतिक समीक्षक ‘दूसरे समुदायों के खिलाफ घृणा संदेश’ फैला रही थी। उन्होंने इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153A, 295 और 295A के तहत कार्रवाई करने की गुजारिश की।
इससे पहले मुंबई के भाटिया अस्पताल में तीन मरीज कोरोना वायरस से पॉजिटिव मिले थे। इसके बाद इनके संपर्क में आए डॉक्टरों और नर्सों के कोरोना वायरस से पॉजिटिव पाए जाने के बाद से प्रशासन ने सभी कर्मचारियों की जाँच शुरू की दी थी।
खुद को सामाजिक कार्यकर्ता और उद्यमी बताने वाले विनय दुबे भाजपा के खिलाफ लगातार जहर उगलता रहा है। एनसीपी और मनसे के नेताओं से उसकी करीबी दिखाई पड़ती है।
ये सवाल उठता है कि तब पुलिस और प्रशासन क्या कर रहा था, जब ये भीड़ जुटनी शुरू हुई। क्या पुलिस देखती रही और भीड़ जुटती रही? क्या महाराष्ट्र सरकार ने न्यूज़ चैनल से सम्पर्क कर के बताया कि स्पेशल ट्रेनें नहीं चलेंगी?
मजदूर घर जाने के लिए जमा हुए हैं तो इनके हाथों में थैले या बैग वगैरह क्यों नहीं हैं? भीड़ मस्जिद के पास ही क्यों जमा हुई और अल्लाह का नाम लेकर समझाने के पीछे क्या तुक है? महाराष्ट्र में 30 अप्रैल तक का लॉकडाउन पहले से ही घोषित था तो आज हंगामा क्यों हो रहा है?
लोगों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की आलोचना की, जो तीन दलों की संयुक्त सरकार चला रहे हैं। उद्धव के बारे में जिस तरह से सोशल मीडिया के सेलेब्रिटीज ने कसीदे पढ़े हैं, उसके बाद लोग उन्हें मजाक में 'यूनेस्को सर्टिफाइड बेस्ट सीएम' कहने लगे हैं।