राहुल गाँधी की हालात उस बोर्ड परीक्षा के विद्यार्थी की तरह हुई पड़ी है, जिसे कल सुबह पेपर देने जाना है और वो आज शाम नोट्स बनाने बैठा है। उसे अभी सिलेबस भी खरीदना है, ‘मोस्ट इम्पोर्टेन्ट’ और वेरी-वेरी इम्पोर्टेन्ट सवाल लाल-नीले और तमाम रंगीन पेनों से रंग कर परीक्षा के मैदान में कूदना है।
रॉबर्ट वाड्रा की तरह राहुल गाँधी भी संजय भंडारी से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। गाँधी परिवार का क़रीबी भंडारी एक हथियार डीलर है। राफेल सौदे के दौरान दसौं द्वारा उसे फटकार लगाई जा चुकी है।
कॉन्ग्रेस प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा, “पार्टी के कार्यकर्ता भी चाहते थे कि कॉन्ग्रेस इस तरह की बयानबाजी न करे।
आम लोग चाह रहे थे कि पूरे देश के लोगों को सेना के साथ खड़ा रहना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्यवश कॉन्ग्रेस जैसे भी हो, कहीं न कहीं गलत कदम उठा रही थी। सेना का मनोबल तोड़ने का काम कर रही थी।”
छत्तीसगढ़ में वर्तमान कॉन्ग्रेस सरकार का ये पक्षपातपूर्ण निर्णय ऐसे समय में आया है जब कॉन्ग्रेस पार्टी लगातार मोदी सरकार को घेरने के लिए बलिदानी सैनिकों का सहारा लेकर लगातार राजनीति कर रही है।
उन्होंने कहा कि राहुल जिस तरह की हरकत कर रहे हैं उससे वह अब पप्पू कहलाने के लायक नहीं बचे हैं। उन्होंने कॉन्ग्रेस को गधों की सेना और कॉन्ग्रेस अध्यक्ष को गधों का सरताज कहा।
फ़िलहाल, देखना यह है कि सिद्धारमैया अब अपने बयान पर कायम रहते हैं या अब अपने ही पार्टी के नेताओं के लम्बे टीके को देखते हुए, उनसे भी डरना शुरू कर देते हैं।