Saturday, May 11, 2024

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वामपंथ

नहीं महुआ मोइत्रा, दक्षिणपंथी लोग नहीं, वामपंथी ‘आसहोल्स’ हर जगह होते हैं एक जैसे

इससे हास्यास्पद क्या हो सकता है कि वामपंथी, जिन्होंने एक ही मार्क्सवादी फॉर्मूले से रूस, चीन, पूर्वी जर्मनी, कम्बोडिया, क्यूबा, वेनेज़ुएला और न जाने कितने और मुल्कों में कत्लेआम मचाया है, वह अपने विरोधियों पर 'एक जैसा' होने का आरोप लगाएँ।

पत्नी और बच्चों के सामने माओवादियों ने दिनदहाड़े पुलिसकर्मी की हत्या की

माओवादी नक्सलियों ने कादती के परिवार के अन्य सदस्यों को कोई हानि नहीं पहुँचाई। चौंकाने वाली बात यह है कि माओवादियों ने पुलिसकर्मी की हत्या की और फिर बिना किसी डर के वो जंगल में वापस चले गए। कॉन्ग्रेस शासित छत्तीसगढ़ राज्य में अराजकता का यह स्पष्ट उदाहरण है।

कार्ल मार्क्स के जीवन का राज़: नौकरानी हेलेन, अवैध संबंध और बेटा फ्रेड्रिक – जिसे पूरी दुनिया से छिपाया गया

मार्क्स कभी उसे देखने भी नहीं जाते थे, जिस कारण फ्रेडिक देमुथ की शिक्षा-दीक्षा अच्छे से नहीं हो पाई। वो जिंदगी भर मजदूर और कल-पूर्जे बनाने वाला काम करता रहा। आखिरकार 1929 में 78 वर्ष की उम्र में फ्रेडिक देमुथ की मृत्यु हुई, लंदन की एक ग़रीब बस्ती में - वो भी इस विश्वास के साथ कि उसकी माँ...

थरूरों, योगेंद्र यादवों, येचुरियों को जनादेश ने पीट कर सुन्न कर दिया, लेकिन इनकी ऐंठ कायम है

कोई भी पार्टी खुल कर, बिना किसी अगर-मगर के यह तक मानने को तैयार नहीं दिख रहा है कि उनसे मूलभूत स्तर पर कोई गलती हुई है, तो सुधार तो दूर की कौड़ी है।

स्वरा भास्कर का फ़र्ज़ी फेमिनिज़्म और आँकड़े: राहतें और भी हैं ऑर्गेज्म की राहत के सिवा

स्वरा भास्कर के लिए ऑर्गेज्म यानी संभोग के दौरान चरमसुख पाना लैंगिक समानता का मसला हो सकता है, उन तमाम औरतों को लिए नहीं जिनके लिए ज़िंदा रहना ही सबसे बड़ा संघर्ष है।

पीएम पद की गरिमा, भारत रत्न और मोदी को गालियाँ: JNU के कपटी कम्युनिस्टों की कहानी, भाग-4

2014 से वह व्यक्ति देश का पीएम है, लेकिन एक मंदबुद्धि, नशेड़ी, पागल उसे बिना किसी सबूत के चोर कह रहा है, उस पीएम को इतनी गालियाँ दी गईं कि गालियों का शब्दकोश भी शर्मिंदा हो जाए, लेकिन उस व्यक्ति ने जब एक तथ्य मात्र कह दिया, तो लुटियंस के पालतू शर्मिंदा हो गए।

एक झूठ को 100 बार बोलकर सच करने का छल: JNU के कपटी कम्युनिस्टों की कहानी, भाग-3

कम्युनिस्ट वे होते हैं, जो समाज की बराबरी के लिए काम करते हैं, दुनिया में सबके हको-हुकूक का झंडा बुलंद करते हैं, धर्मनिरपेक्ष समाज की स्थापना करते हैं, वगैरा-वगैरा। यह नैरेटिव नहीं 'जहर' है जो गढ़ा गया है, षड्यंत्र के तहत स्थापित किया गया है।

माओनंदन येचुरी जी, रामायण, महाभारत और जिहाद में अंतर है, सन्दर्भ समझिए

कम्युनिस्टों की यही समस्या रही है कि उनके लिए कभी महाभारत कल्पना हो जाती है, कभी इतिहास। येचुरी जी बुजुर्ग हो गए हैं, उनको ऐसे बयान देने से बचना चाहिए।

क्यों वामपंथियो, तुम्हारे कुकर्म इतने भारी हो गए कि अपने लिए वोट माँगने की हिम्मत नहीं बची?

लोगों से अपने नाम पर वोट माँगने लायक इनका मुँह ही नहीं बचा है- इनका दोहरापन दुनिया के सामने है। यह अब दूसरे को हराने की अपील तक सीमित हो गए हैं।

मीडिया गिरोह केजरीवाल के बाद अब ‘लाल सलाम’ के साथ खेलना चाहता है ‘पुण्डा-पुण्डी’

कन्हैया कुमार के LPG सिलेंडर दिखाकर मीडिया गिरोह की TRP में भी उछाल आने के कारण कामरेड की गरीबी पर निष्पक्ष पत्रकारों को खूब चरमसुख मिलता नजर आ रहा है। लेकिन अचानक ‘वन फाइन डे’ इस LPG सिलेंडर न जुटा पाने वाले कामरेड की तस्वीरों से बेगूसराय के लगभग हर हिंदी और अंग्रेजी समाचार पत्र के पहले पन्ने भर गए।

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