संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक, हर जगह बलि का बकरा मुझे ही बनाया जाता है। एक दिन पहले मुझे गालियाँ दी जाती हैं, अगले ही दिन मनपसंद परिणाम आते ही उन बातों को भुला दिया जाता है। इस बार मेरी लाज बच गई। चलिए, दिल्ली चुनाव को वणक्कम।
सारे एग्जिट पोल्स में अपनी सरकार बनने की भविष्यवाणियों के बाद भी केजरीवाल एंड पार्टी शायद जमीनी हकीकत से वाकिफ है और इसीलिए प्रतिकूल चुनाव परिणामों के लिए ईवीएम को दोषी ठहराने के बाद अब चुनाव आयोग को निशाने पर लेना शुरू कर दिया है।
“हमारी विधानसभा बाबरपुर में वोटिंग खत्म होने पर सभी EVM मशीन स्ट्रांग रूम भेज दी गई उसके बाद सरस्वती विद्या निकेतन पोलिंग स्टेशन पर एक अधिकारी EVM के साथ पकड़ा गया है। मैं इलेक्शन कमिशन से अपील करता हूँ कि इस पर तुरंत करवाई किया जाए।”
राहुल गाँधी ने बैलेट निर्वाचन की वापसी की माँग उठाने के साथ विधानसभा निर्वाचनों के बहिष्कार का निर्णय लिया है। लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेता उनकी इस योजना से सहमत नहीं दिख रहे हैं।
मायावती ने यूपी में कुछ सीटों पर गठबंधन को मिली जीत को भाजपा की सोची-समझी साजिश बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने ऐसा इसलिए किया है ताकि चुनाव पूरी तरह से प्रभावित नजर न आए और कोई सवाल न उठा सके।
AAP के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी की एक वीडियो क्लिप ट्विटर पर शेयर की। इसमें अर्नब EVM हैकिंग को लेकर विपक्षी दलों पर तंज कसते नज़र आए। इसी वीडियो के जवाब में पागलखाने से लेकर डूब मरने तक की बात लिखी गई।
ऐसे नेताओं को ईवीएम का नट-बोल्ट खोलने के लिए पेचकस और पिलास दे देना चाहिए ताकि वे वोट देने के बाद ईवीएम को खोलें और अंदर झाँक कर देख सकें कि आख़िर उनका वोट गया कहाँ, किस पार्टी को गया? ये नेता वोट देने के बाद ईवीएम को खोलेंगे, झाँक कर देख लेंगे कि उनका वोट इच्छित पार्टी को गया है या नहीं और फिर उसे वापस पेचकस से कस सकते हैं।
इन्होंने सीसीटीवी भी लगा रखे हैं। एक अतिरिक्त टेंट में मॉनिटर स्क्रीन लगाया गया है, जिसमें सीसीटीवी फुटेज पर लगातार नज़र रखी जा रही है और हर आने-जाने वालों पर गौर किया जा रहा है। नाइट विजन टेक्नोलॉजी और दूरबीन का भी प्रयोग किया जा रहा है।
रवीश अब अपने दर्शकों से लगभग ब्रेकअप को उतारू प्रेमिका की तरह ब्लॉक करने लगे हैं, वो कहने लगे हैं कि तुम्हारी ही सब गलती थी, तुमने मुझे TRP नहीं दी, तुमने मेरे एजेंडा को प्राथमिकता नहीं माना। जब मुझे तुम्हारी जरूरत थी, तब तुम देशभक्त हो गए।
एक घमंड है इन पार्टियों के समर्थकों और मोदी के विरोधियों के भीतर। वो घमंड यह है कि वो जो सोचते हैं, वो जिन्हें चाहते हैं, उन्हें अगर बहुमत नहीं मिल रहा तो जनता पागल है। ये अभिजात्य मानसिकता, ये निम्न स्तर का दंभ, उसी तरीके से दिमाग में चढ़ता है जैसे सत्ता में होने पर पावर का नशा।