केरल सरकार में तो ऐसे लोगों के 'कल्याण' के लिए पूरा एक विभाग है जिन्होंने हिंदू धर्म त्यागकर ईसाई पंथ अपनाया। सरकार ने हिन्दू से ईसाई बनने वाले लोगों लिए एक पूरी कंपनी खोल रखी है। हिन्दू धर्म छोड़ कर ईसाई बनने वालों के लिए विशेष तौर पर सुरक्षित किए गए इन पदों का वेतन ₹45,800 से ₹89000 तक है।
कार चलाने के अलावा उन पर कार चलाना सीखने और लाइसेंस बनवाने का भी आरोप है। इसे चर्च ने 'grave violations' (गंभीर उल्लंघन') की संज्ञा दी है। उन पर ऐसे ही कुल 14 आरोप लगाए गए हैं, जिन्हें उन्होंने जाबूझकर अपनी छवि खराब करने की साजिश के रूप में ख़ारिज कर दिया है।
हाल ही में, राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने कोच्चि में अदालत में एक आरोप पत्र दाखिल किया था। जाँच में पता चला कि आरोपित व्यक्ति बहरीन के अल अंसार केंद्र में आयोजित कक्षाओं में भाग लेता था, जिसके लिंक केरल के सलाफी स्कॉलर से भी थे।
केरल के साइरो मालाबार चर्च ने ईसाई समुदाय की केरल की जनसंख्या में घटती हिस्सेदारी पर चिंता प्रकट की है। इसके लिए एक कारण समुदाय के एक लाख से भी अधिक अविवाहित पुरुषों का होना बताया गया है। चर्च के मुताबिक इन 1,00,000 पुरुषों की उम्र 30 वर्ष के ऊपर है।
सीएन चंद्रन के मुताबिक वेद और उपनिषद वैज्ञानिक विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन संघ परिवार के लोग इस विषयों पर अपना एकाधिकार मानते हैं और फिर उनकी गलत व्याख्या करते हैं।
एसपी केजी साइमन ने बताया कि कूडाथई गाँव की जॉली जोसेफ ने परिवार के सभी 6 सदस्यों की हत्या करने का गुनाह कबूल कर लिया है। एसपी केजी साइमन ने कहा कि जॉली की गिरफ्तारी उसके 40 वर्षीय पति रॉय थॉमस की हत्या के मामले में हुई है, जिसमें पुलिस को 2011 में शव परीक्षण के दौरान हत्या के कुछ वैज्ञानिक साक्ष्य मिले थे।
पूर्व केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर तिरुवनंतपुरम सीट से कॉन्ग्रेस के टिकट पर 2009, 2014 और 2019 में जीत दर्ज कर चुके हैं। हालिया लोकसभा चुनावों में उन्होंने पिछले दोनों चुनावों से भी ज्यादा मत प्राप्त कर जीत दर्ज की थी।
2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने मलंकरा चर्च के 1934 के संविधान को बरक़रार रखा था जिसके तहत केरल में 1100 पैरिश और चर्चों के नियंत्रण को ऑर्थोडॉक्स समूह के नियंत्रण में देना था, लेकिन अधिकांश चर्चों को नियंत्रित करने वाले जैकबाइट्स इस बात के लिए तैयार नहीं थे।
इतना सब कुछ सहने के बाद भी पीड़ित बच्ची का दिल अपने माँ-बाप का बुरा सोच कर सिहर उठता है। वो सोचती है कि अगर उसके पिता को सज़ा हुई तो घर का गुज़ारा कैसे चलेगा। घर में बीमार बूढ़ी दादी है, माँ है - इन सबको कौन देखेगा!
"ईसाई महिलाओं का धर्म परिवर्तन इस्लाम में या इस्लाम के लिए नहीं बल्कि इस्लामी आतंक में शामिल करने के लिए करवाया गया। इन महिलाओं को आतंकी क्रियाकलापों के लिए वाहक की तरह इस्तेमाल किया जाता है।"