गोपालकृष्ण मड़ीवाला ने खुद को इसलिए फाँसी लगा ली थी क्योंकि उन्हें शक था कि वह कोरोना वायरस की चपेट में आ गए हैं। मरने से पहले उन्होंने एक चिट्ठी भी लिखी है, जिसमें अपने परिवार से सुरक्षित रहने के लिए कहा है।
चीन के वुहान से शुरू हुआ कोरोना का संक्रमण पूरी दुनिया में पसर चुका है। ऐसे वक्त में भी 'मेड इन चाइना' की क्वालिटी घटिया ही बनी हुई है। चेक रिपब्लिक के बाद अब स्पेन भी उससे जॉंच किट लेकर ठगा महसूस कर रहा है। इससे संक्रमण का खतरा भी बढ़ रहा है।
आइसोलेशन कोच तैयार करने के लिए बाथरूम, गलियारे और दूसरी जगहों पर भी बदलाव किया गया है। बोगियों में आइसोलेशन वॉर्ड के साथ ही मरीजों के लिए साफ-सुथरे टॉयलेट का भी प्रबंध किया है।
अनुपम मिश्रा, हाल ही में केरल के कोल्लम में सब कलेक्टर का पदभार संभालने के लिए आए थे। उन्होंने अपने वरिष्ठों को सूचित किया कि वह अपनी पत्नी के साथ हनीमून पर सिंगापुर में थे, तब उन्हें वहाँ से लगभग 70 किलोमीटर दूर कोल्लम स्थित सरकारी आवास में आइसोलेशन में अलग-थलग रहने का निर्देश दिया गया था।
युवक हाल ही में दुबई से लौटा था, जिस कारण उसे संक्रमण के डर से क़्वारंटाइन किया गया था। उसका कहना है कि उसकी गर्लफ्रेंड के घरवाले उनके रिश्ते का विरोध कर रहे थे, जिस कारण उसे भागकर उसके घर जाना पड़ा। पुलिस ने अब इस युवक की गर्लफ्रेंड को भी आइसोलेट कर लिया है।
वैज्ञानिकों ने आगाह किया था कि ऐसी ही कोई बिमारी भविष्य में भी जन्म ले सकती है। 2002 के उत्तरार्ध में, एक रहस्यमयी निमोनिया जैसी बीमारी के मामले दक्षिण-पूर्वी चीन के गुआंगडोंग प्रांत में सामने आने लगे थे।
धर्म आस्था का विषय है, व्यक्तिगत विषय है। लेकिन शायद सबके लिए नहीं! कर्नाटक के बेलगाम में एक मस्जिद में गई भीड़ के लिए तो बिल्कुल भी नहीं। इस भीड़ के लिए नमाज पढ़ने से ज्यादा मस्जिद में नमाज पढ़ना जरूरी है।
कोरोना वायरस से संक्रमितों में ऐसा ही एक नया नाम सामने आया है। यह नाम है विषाणुओं की खोज में महारत हासिल करने वाले दुनिया के शीर्ष विशेषज्ञों में शामिल डॉ. डब्ल्यू इयान लिपकिन का! विषाणु विज्ञानी डॉ. लिपकिन भी कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं।
स्वामी विवेकानंद ने प्लेग घोषणा पत्र में घर और उसके परिसर, कमरे, कपड़े, बिस्तर, नाली आदि को हमेशा स्वच्छ बनाए रखने की जो बात कही थी वह आज के लिए भी उतनी ही प्रासंगिक हैं।
अगर भारतवासी इन मुश्किल दिनों और कठिन परीक्षाओं के लिए एक परिवार के रूप में, एक राष्ट्र के रूप में एकजुट होते हैं, तो कोरोना को निश्चित रूप से पराजित होना पड़ेगा। भारतीय संस्कृति के आधारभूत विचार ‘वसुधैव कुटुम्बकम्' के निर्णायक आत्मसातीकरण का क्षण निकट है।