Friday, April 26, 2024

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बेरोजगारी

चपरासी बनने के लिए इंजीनियरों की लंबी लाइन, दे रहे हैं साइकल चलाने का टेस्ट: सबसे शिक्षित राज्य केरल में बेरोजगारी की मार

केरल में राज्य सरकार द्वारा निकाली गई कक्षा 7वीं पास योग्यता वाली चपरासी की नौकरियों के लिए लगीं इंजीनियरिंग डिग्री धारकों की लम्बी लाइनें।

केजरीवाल ने दिए 9 साल में सिर्फ 857 ऑनलाइन जॉब्स, चुनावी राज्यों में लाखों नौकरियों के वादे: RTI से खुलासा

केजरीवाल के रोजगार को लेकर बड़े-बड़े वादों और विज्ञापनों की पोल दिल्ली में नौकरियों पर डाले गए एक RTI ने खोल दी है।

‘3500 रुपए/महीने दे रही मोदी सरकार, 10वीं पास बेरोजगार करें 31 अक्टूबर तक फॉर्म भर कर भेजें’ – Fact Check

सोशल मीडिया पर एक मैसेज तेज़ी से वायरल हो रहा है कि मोदी सरकार ने बेरोजगारों को 3500 रुपए का मासिक भत्ता देने का निर्णय लिया है। जानिए सच।

ममता सरकार में बेरोजगारी से कराहता बंगाल: मुर्दाघर में ‘डोम’ के 6 पदों के लिए 8,000 इंजीनियर, पोस्ट ग्रेजुएट ने किया आवेदन

कुल आवेदकों में से 84 महिला उम्मीदवारों समेत 784 लोगों को एक अगस्त को होने वाली लिखित परीक्षा के लिए बुलाया गया है।

श्रम ऐप (ShramApp): लॉकडाउन में बेरोजगार श्रमिकों, प्रवासी मजदूरों को उपलब्ध कराएगा रोजगार, है बिल्कुल FREE

श्रम ऐप भारत के नागरिकों द्वारा बनाया गया पूर्ण स्वदेशी ऐप है, जो सभी के लिए नि:शुल्क है। यह मोबाइल ऐप सभी कुशल और अकुशल मजदूरों के लिए है।

कोरोना के बीच बेरोजगारी पर सरकारों को घेरना कितना उचित?

जुलाई में 50 लाख सैलरी वाले लोगों की नौकरी जाने का अंदाजा लगाया गया है, जो कि पूरे कोविड आपदा के दौरान दो करोड़ तक कही जा रही है। ये आँकड़े अच्छे नहीं हैं। न ही इसे किसी भी तर्क से सही कहा जा सकता है।

कोरोना काल में बेरोज़गार हुए 40 लाख कर्मचारियों के लिए खुशख़बरी: तीन महीने तक आधा वेतन देगी ESIC

इस मुद्दे पर संगठन का यह भी कहना है कि कोविड 19 महामारी की वजह से नौकरी गँवाने वाले कर्मचारियों के लिए पहले से तयशुदा नियमों में ढील दी गई है।

रोजगार पर ज्ञान देने वाले ज्ञानी समुदाय के नाम

अगर आप रोजगार के तमाम आँकड़ों को न मान कर ‘मैं जब मुखर्जीनगर पहुँचा तो वहाँ सारे युवा बेरोज़गार थे’ वाला लॉजिक लेकर चलिएगा तो मैं कहूँगा कि ‘मैं जब सायबर हब पहुँचा तो वहाँ सारे लोग लाखों की सैलरी पाने वाले थे, भारत बदल गया है, बेरोज़गारी शून्य प्रतिशत है’।

कभी-कभी लगता है मैं स्वयं ही ‘बेरोज़गारी’ हूँ: रवीश, रोज़गार और आँकड़े

रवीश कुमार ने आँकड़ों को समझने की कोशिश किए बिना, अनुवाद कर दिया। वहाँ उनको 'जॉब' और 'स्लोडाउन' दिखा, बस अनुवाद कर के मोदी को लपेट लिए। जबकि इस लेख में एक ज़रूरी बात छुपा ली गई ताकि मोदी बुरा दिखे।

रोज़गार कहाँ है? पूछने वाले यह ख़बर ज़रूर पढ़ें…

सरकार द्वारा पेश किए गए अंतरिम बजट में बताया गया कि वर्ष 2017 से 2019 के बीच विभिन्न विभागों में 3.79 लाख से अधिक नौकरियाँ दी गईं।

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