छत्रपति शिवाजी ने आधी रात को 300 सैनिकों के साथ हमला किया। उस वक्त लालमहल में शाहिस्ता खान के लिए 1,00,000 सैनिकों की कड़ी सुरक्षा थी। इस हमले से छत्रपति ने दुनिया को कमांडो ऑपरेशन की तकनीक दिखाई।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ये आरोप लगाने से भी नहीं चूके कि केंद्र सरकार अपनी सारी शक्तियों का इस्तेमाल एक ख़ास अल्पसंख्यक तबके को निशाना बनाने के लिए कर रही है। पवार का मानना है कि देश के मुस्लिमों से ये साबित करने को कहा जा रहा है कि वो इस देश के नागरिक हैं या नहीं?
"मेरे पास अंग्रेजी और हिंदी दोनों संघीय भाषा में बोलने का अधिकार है। लेकिन उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मैं भारत में रहना चाहती हूँ तो मुझे मराठी सीखनी पड़ेगी।”
“मेरा बेटा, जो पेशे से इंजीनियर है, ने करीब 10 साल पहले शादी की थी। अभी उसकी सात साल की बेटी है और हम उसकी देखभाल कर रहे हैं। पिछले साल वह मेरे बेटे के साथ डेनमार्क जाने वाली थी। एक दिन, उसके व्हाट्सएप ने काम करना बंद कर दिया और मेरे बेटे ने....."
जहाँ तक शौकत की बात है, इस घटना के बाद वो और भी ज्यादा फँस गया है। उस पर पुलिसकर्मियों ने और भी कई केस ठोक दिए हैं। उस पर पहले से जो मामले चल रहे थे सो अलग। घर के खाने को लेकर पुलिस से की गई अभद्रता का उसे अच्छा सबक मिला है।
विश्व हिंदू परिषद ने मुस्लिमों को आरक्षण देने पर चिंता जताते हुए कहा था, “शिवसेना से मुस्लिम तुष्टिकरण की उम्मीद नहीं की जा सकती।” रविवार (मार्च 1, 2020) की सुबह शिवसेना ने ट्वीट का जवाब देते हुए कहा, “इस तरह का फैसला विचाराधीन नहीं है।”
अजित पवार खुलकर CAA के समर्थन में आ गए हैं, जबकि उनके चाचा शरद पवार इसका विरोध कर रहे। उद्धव CAA पर तो सहमत हैं लेकिन NRC-NPR पर इनकार कर रहे। अपने CM की लाइन से हटकर अजित पवार ने NRC और NPR के लिए भी समर्थन दे दिया है, वो भी बहुत ही राजनीतिक तरीके से!
"अगर शहर में गोली चलती है और किसी को गोली लगती है, तो कोई केस क्यों दर्ज नहीं किया गया? FIR क्यों दर्ज नहीं की गई? क्या शहर के लोग बेवकूफ हैं? शहर के लोगों को पता नहीं चलता कि गोली चलती है और एफआईआर दर्ज नहीं होती? साहब हम भी समझते हैं कि क्या हालात हैं... अगर इस तरह होता रहा तो शहर की अवाम खामोश नहीं बैठेगी।"
जो शिवसेना कभी महाराष्ट्र में धर्म के आधार पर आरक्षण देने के सख्त खिलाफ थी, उसी ने आज कॉन्ग्रेस और एनसीपी के आगे झुककर इस प्रस्ताव को सहमति दी। मुस्लिम समुदाय को 5% आरक्षण के लिए कॉन्ग्रेस और NCP की तरफ से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर पहले से ही दबाव बनाया जा रहा था।