यह बिलबिलाहट जनाधार खो चुकी लुटेरी पार्टियों और चाटुकार पक्षकारों का सामूहिक रुदन है। जब तक यह सर्वजन के हित की बात नहीं करेंगे। तब तक इनका भला नहीं होने वाला अब जनता जाग चुकी है, धोखे से न नेता को वोट मिलने वाला है और न ही पक्षकारों को रीडर या दर्शक।
“बापू ने 1947 में कहा था, कॉन्ग्रेस का काम समाप्त, अब कॉन्ग्रेस का विसर्जन कर दो। वो जानते थे कि कॉन्ग्रेस का मतलब अब एक परिवार होने जा रहा है। बापू के सपने को साकार करने के लिए भाई-बहन आ चुके हैं।”
"देवी सीता यहीं ठहरी थीं। उनकी याद में आज भी सीताकुंड घाट है। सुल्तानपुर के गजेटियर में भी इस बात का उल्लेख है कि इसका नाम कुशभवनपुर ही था। बाद में मुगल शासकों ने इसका नाम बदल दिया था।"
सीएम योगी ने लिखा, “हमारी सरकार जब से सत्ता में आई है हमने लंबित 57,800 करोड़ रुपए का गन्ना बकाया भुगतान किया है। ये रकम कई राज्यों के बजट से भी ज्यादा है। पिछली सपा-बसपा सरकारों ने गन्ना किसानों के लिए कुछ नहीं किया जिससे किसान भुखमरी का शिकार हो रहा था।”
भाजपा और कॉन्ग्रेस के मुख्यमंत्रियों की औसत उम्र में डेढ़ दशक का फ़र्क़ है। अगर वंशवाद को हटा दें तो कॉन्ग्रेस में शायद ही कोई बड़ा युवा नेता हो। जबकि विपक्षियों द्वारा रूढ़िवादी कही जाने वाली भाजपा के किसी भी मुख्यमंत्री की उम्र 65 से ज्यादा नहीं है।
एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि लोकसभा चुनावों में भाजपा सरकार फिर से प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाएगी। उनकी मानें तो वे इस बार 74+ का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े सूबे के लिए क्या राहुल या प्रियंका राफ़ेल पर 'बोफोर्स' से हमला करेंगे या कुतुब पर चढ़ 'आसमानी' बातें करेंगे?
अच्छा होता कि अखिलेश यादव अपनी संवेदनहीनता को इस बात तक ही सीमित रखते कि उत्तर प्रदेश में ज़हरीली शराब कौन बना रहा है। उनका ये सवाल उचित होता कि प्रशासन आख़िर क्यों इन शराब की भट्टियों को चलने देता है।