दिवास्वप्न देखना और कॉन्पिरेसी थ्योरी में यकीन करना कॉन्ग्रेस पार्टी का एक पार्ट टाइम पेशा बनता जा रहा है, और शायद इस तरह की संभावनाओं पर भविष्यवाणियाँ कर के कॉन्ग्रेस के नेता अपने लिए 2019 के आम चुनावों के बाद रोज़गार तलाश रहे हैं।
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने संसद में पेश बजट को खिसियाने अंदाज में भाजपा का चुनावी घोषणापत्र बता दिया। लेकिन वह भूल गए कि सरकार के इस फ़ैसले से करीब 3 करोड़ लोगों की जिंदगी आसान हो जाएगी।
राहुल गाँधी ने ट्वीट करते हुए मोदी सरकार को घेरा था कि देश में बेरोज़गारी का स्तर 45 सालों में सबसे ज़्यादा है। राहुल गाँधी के ट्वीट का आधार नौकरी के सृजन से जुड़ा एक रिपोर्ट कार्ड था जो मीडिया में लीक हुआ था।
गरीबों को न्यूनतम आय देने वाली यह योजना अगर अस्तित्व में आती है तो सरकार पर वित्तीय भार बढ़ जाएगा। क्योंकि पहले से ही सरकार गरीबों को सब्सिडी दे रही है और कई राज्यों ने किसान कर्ज़माफ़ी भी शुरू कर दी है।
सभी के सभी 13 सभासद 'अल्पसंख्यक' समाज से आते हैं। कॉन्ग्रेस के लिए यह घाव तब भगंदर बन गया, जब ख़बर में यह भी है कि ना सिर्फ 13 सभासदों ने बल्कि अल्पसंख्यक समाज की कई महिलाएँ और पुरुषों ने भी 'कमल' को ही अपना लिया।
जब गंगा साफ़ दिख रही है तो हिन्दुओं की आस्था पर आक्रमण किया जा रहा है। अब संत में पाप दिख रहा है। संत जिस धर्म के प्रतीक हैं, उसे 'नंगा' कहा जा रहा है। क्योंकि यही धर्म है जहाँ यह कहने और सुनने की गुंजाइश है। वरना मज़हब तो ऐसे भी हैं जो झंडे पर नाम लिखकर, तलवार, बम और बंदूक लेकर उतर जाते हैं।
मायावती ने राहुल के इस वादे पर सवाल उठाया कि ग़रीब को न्यूनतम आय देने का वादा, कॉन्ग्रेस के ‘ग़रीबी हटाओ’ और बीजेपी के ‘अच्छेदिन’ जैसा ही मज़ाक तो नहीं है ।
राहुल गाँधी ने अपने बयान में कहा कि नवीन पटनायक मोदी द्वारा रिमोट कंट्रोल किए जा रहे हैं। नवीन पटनायक से पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने राहुल के इस बयान पर सिर्फ़ दो शब्द ख़र्च करते हुए कहा - "बिल्कुल बकवास।"