आध्यात्मिक नेता अक्सर फेक न्यूज के निशाने पर रहे हैं। इससे पहले, हाल ही में एक एक्टिविस्ट डॉक्टर ने किसी शख्स की गोपनीय मेडिकल रिपोर्ट को पोस्ट करते झूठा दावा किया था कि बाबा रामदेव का सहयोगी गाँजा पीता है।
नैतिक रूप से भ्रष्ट होने के कारण भारत में हर कोई अंदर से इतना ‘मरा’ है, कि एक वायरस इन्हें (भारतीयों को) क्या मार सकता है? - यह ट्वीट किया राणा अयूब ने। इसके बाद कल तक उसके खेमे में खड़े होने वाले भी उसे गरियाने लगे।
बंगाल से छपने वाला अखबार होने के बावजूद ममता के शासन में यह पेपर भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या, हर जिले में हो रहे मजहबी दंगों और तमाम अपराधों से जलते बंगाल पर चुप्पी साध लेता है। ऐसे तमाम मौकों पर इनकी बुद्धि घास चरने चली जाती है और बेहूदे हेडलाइन सुझाने वाले एडिटरों की रीढ़ की हड्डी गायब हो जाती है। इनका सारा ज्ञान हेडलाइन में अपनी जातिवादी घृणा, हिन्दुओं से धार्मिक घृणा आदि में ही बहता रहता है।
एक ओर जहाँ विश्व भर में टिकटॉक का खुमार युवाओं में व्यापक स्तर पर चढ़ चुका है कि वो टिकटॉक पर आने वाले हर चैलेंज को अपनी कलाकारी से पूरा करने की कोशिश करते हैं, वहाँ पर ऐसी वीडियो चैलेंज बनाकर डालना कहाँ की समझदारी है? हम मानें या न मानें लेकिन टिकटॉक ने जहाँ लोगों की प्रतिभा को लोगों तक पहुँचने का मंच दिया है, वहीं धूर्त लोगों को भी सामने लाकर रख दिया है।
इशिता ने राहुल गाँधी पर तंज कसते हुए यह ट्वीट किया है। इसी ट्वीट के अन्य कमेंट में उन्होंने लिखा है कि उम्मीद है, वो सिसोदिया को पीकर मैसेज नहीं भेजेंगे। दरअसल, ड्रंक टेक्स्ट का इस्तेमाल अक्सर लोग शराब पीने के बाद पुरानी प्रेमिका को भेजे गए सन्देश के रूप में करते हैं।
दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगों की सच्चाई को सामने लाने का जो प्रयास ऑपइंडिया ने अपनी ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए किया, उसे एक ओर जहाँ बड़े वर्ग का स्नेह और सहानुभूति मिली, वहीं दूसरी ओर एक वर्ग ऐसा भी था जिसे दंगों के इस पहलू के सामने आने से परेशानी भी हुई।
सोशल मीडिया पर चाँदबाग की वो वीडियो सैलाब की तरह तैर रही है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं ने पुलिस अधिकारियों पर पत्थर से हमला कर उन्हें घायल किया। लेकिन, इसके बाद भी सुशांत सिंह पूछते हैं कि दिल्ली की हिंसक भीड़ में औरतें थीं क्या? मैंने तो नहीं सुना। सोचिए कितना शर्मसार करने वाला है सुशांत का ये ट्वीट।