यह वीडियो बिहार के बेतिया मंडल कारा का है, जहाँ ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी को साँस लेने में समस्या हुई। जब उनका दम घुटने लगा तो प्रशासन में उनके सहकर्मियों ने उन्हें एम्बुलेंस से अस्पताल पहुँचाया। संक्रमण से लड़ाई में पहली पंक्ति के ये योद्धा खुद के आपातस्थिति में कैसे निपटें, इसके लिए प्रशासन की ओर से यह मॉक ड्रिल किया गया।
सीवान के एक ही परिवार के इतने लोगों के संक्रमित होने की बात सामने आने के बाद राज्य में हड़कंप मचा हुआ है। इस परिवार का एक शख्य ओमान से लौटा था। तीन जिलों सीवान, बेगूसराय और नवादा की सीमाएंँ सील कर दी गई हैं।
काफी संख्या में युवक कब्रिस्तान की तरफ जा रहे थे। एक साथ जाने से रोके जाने पर वे पुलिस से उलझ गए। पहले गाली-गलौज की और फिर हाथापाई करने लगे। कुछ ही देर में उन्होंने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया।
पलायन अवसर भी है और अभिशाप भी। लेकिन देश की हिंदी पट्टी के लिए यह मजबूरी ही दिखती है। आर्थिक सुरक्षा के लिए ही महानगरों में पहुॅंचने वाले लोगों को जब यह सुरक्षा खतरे में दिखी तो उन्होंने घर लौटने में भलाई समझी। लॉकडाउन बढ़ने और घर तक जाने के लिए बस की व्यवस्था की अफवाहों ने उन्हें सड़क पर उतार दिया।
“गाँव में लोगों ने अफवाह उड़ा दी है कि हमने दूसरे मजहब के परिवार से 2 लाख रुपए लेकर मामले को रफा-दफा कर दिया है। ये बिल्कुल गलत बात है। हमने ऐसा कुछ भी नहीं किया है और न ही करेंगे। हम तो कहते हैं कि 1 लाख रुपया मेरे से और ले लो और दोषियों को सजा दो। हमें पैसे नहीं, इंसाफ चाहिए। हमारी माँ चली गई, उनकी मौत नहीं हुई, उनकी हत्या की गई। हमारा एक जान चला गया। हम पैसा लेकर क्या करेंगे? हमें तो बस इंसाफ चाहिए।”
नर्सों की शिकायत पर एक्शन लेते हुए अस्पताल प्रबंधन ने इस वाकये की जानकारी जिला प्रशासन व पुलिस को दी। जिस पर तुरंत कार्यवाही करते हुए जिला एसपी ने एसडीओ के साथ एक पुलिस टीम आइसोलेशन केंद्र भेजी, जहाँ पुलिस को देखते ही जमातियों ने नमाज पढ़ने का नाटक शुरू कर दिया।
अंधराठाढ़ी थाना के गीदरगंज गाँव से चार जमाती और हरना गाँव की एक मस्जिद से 11 बंगाली जमातियों को क्वारंटाइन किया गया था। इन सभी को क्वारंटाइन करने के बाद पुलिस ने मस्जिद को भी सैनिटाइज किया। ब्लीचिंग पाउडर और केमिकल्स के साथ पूरे इलाक़े में अग्निशमन विभाग को लगाया गया था।
“यहाँ पर दो परिवार रहकर इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दे दिया। अगर यहाँ पर हिन्दुओं का सिर्फ दो परिवार होता तो ये लोग कब का उजाड़ कर मार दिए होते, घर में आग लगा दिए होते। आज हमारे साथ हुआ है। कल को किसी और के साथ हो सकता है।”
"सतलखा गाँव में जहाँ पर यह घटना हुई है, वहाँ पर कुछ घर इस्लाम धर्म को मानने वाले हैं। जब हिंदू परिवारों ने उनसे लाइट बंद कर दीप जलाने के लिए कहा, तो वो गाली-गलौज करने लगे। इसी बीच कैली देवी उनको मना करने गईं कि गाली-गलौज क्यों करते हो, ये सब मत करो। तभी उन लोगों उनका गला पकड़कर..."
कौशल्या फाउंडेशन न सिर्फ़ उनलोगों को हाइजेनिक भोजन पहुँचा रहा है, बल्कि उन्हें कोरोना वायरस के ख़तरों के प्रति जागरूक भी कर रहा है। उन्हें सुरक्षा और बचाव के सामान भी दिए जा रहे हैं। इस काम में कई स्वयंसेवक लगाए गए हैं।