प्रस्तावित मेट्रो शेड के कारण व्यापक विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए थे, इसमें विभिन्न एनजीओ और फ़िल्मी सितारे शेड का विरोध करने के लिए एकजुट हुए थे। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि वर्तमान सरकार शहर को तबाह कर रही है, जंगलों को नष्ट कर रही है और सरकार का यह क़दम पर्यावरण विरोधी है।
NGO ने शुरू में दावा किया था कि संबंधित क्षेत्र संरक्षित आर्द्रभूमि है और फिर उसने बताया कि यह प्राकृतिक जलाशय है। आख़िरकार उसने पीठ से कहा कि वह वर्षा जल से बना तालाब है। हालाँकि, सरकारी दस्तावेज़ो से साबित होता है कि वह इनमें से कुछ भी नहीं है।
अपने 'बीच एक्टिविज़्म' के लिए शाह को 'चैंपियन ऑफ़ अर्थ' का ख़िताब संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम से मिल चुका है। शाह के अभियान ने वर्सोवा बीच की कायापलट कर दी।