कॉन्ग्रेस की यही समस्या है कि वो इतना नकारा तो चौवालीस सीट पाने के बाद भी नहीं महसूस कर पाया जितना विपक्ष में कि इतने नेताओं के महागठबंधन के बाद भी मोदी को घेरने के लिए उसके पास सिवाय अहंकार और अभिजात्य घमंड के और कुछ भी नहीं है।
आज के समय में कॉन्ग्रेस पार्टी की सबसे बड़ी त्रासदी ये है कि उनके सबसे वरिष्ठ और 'कद्दावर पार्टी अध्यक्ष' का NDA सरकार को घेरने के लिए सबसे बड़े सबूत फोटोशॉप्ड तस्वीरें और ''किसी ने कहा है" होते हैं।
अपने समय में इंदिरा गाँधी का रुतबा ऐसा थी कि बड़े-बड़े नेता भी उनसे आँख मिलाकर बात करने में घबराते थे। लेकिन भक्तदर्शन पहाड़ी थे, अपनी 'चौड़ाई' में रहते थे। 71 लोकसभा चुनाव में इंदिरा को जीत चाहिए थी लेकिन अपने आदर्शों के कारण भक्तदर्शन ने अपने प्रधानमंत्री को दो टूक शब्दों में कहा...
रणजीत ने अपने हजारों समर्थकों के सामने इसकी घोषणा की है कि वह राज्य मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की उपस्थिति में वानखेडे स्टेडियम के गरवारे हॉल में बीजेपी में शामिल होंगे।
मीडिया के एक धड़े में कॉन्ग्रेस की संभावित हार को लेकर अफरा-तफरी का माहौल है। शायद इतना ‘दाँव’ पर लगा है कि अब खुलकर भाजपा को हराने की हिमायत उनकी मजबूरी है।
अरुणा के साथ-साथ उनके पिता, पति, भाई, ससुर और देवर- ये सभी विधायक रह चुके हैं। अरुणा राजशेखर रेड्डी और रोसैया की कैबिनेट में मंत्री रह चुकी हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा सत्ता में लौटेगी और नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे।
भाजपा और कॉन्ग्रेस के मुख्यमंत्रियों की औसत उम्र में डेढ़ दशक का फ़र्क़ है। अगर वंशवाद को हटा दें तो कॉन्ग्रेस में शायद ही कोई बड़ा युवा नेता हो। जबकि विपक्षियों द्वारा रूढ़िवादी कही जाने वाली भाजपा के किसी भी मुख्यमंत्री की उम्र 65 से ज्यादा नहीं है।
DMK के घोषणापत्र में एक तरफ जहाँ लोक-लुभावन घोषणाओं की झड़ी लगाकर वोटरों को साधने की कोशिश की गई है, तो वहीं दूसरी तरफ पूर्व पीएम राजीव गांधी के हत्यारे को रिहा कराने का वादा भी किया गया है।