तेलंगाना के एकमात्र भाजपा विधायक राजा सिंह को गिरफ़्तार कर लिया गया है। वो भैंसा के पीड़ित हिन्दुओं से मिलने के लिए जा रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के इशारे पर उन्हें हिन्दू वाहिनी के पीड़ित लोगों से मिलने नहीं दिया जा रहा है।
एक पूर्व-बैंकर ने बताया कि 'इज्तेमा' के कारण कई बाहरी लोग इस इलाक़े में आए हुए थे। इज्तेमा में हज़ारों-लाखों की संख्या में मुस्लिम जुटते हैं और अपने मजहबी रीति-रिवाज वगैरह को पूरा करते हैं। इस घटना में 11 लोग घायल हुए हैं, जिनमें 3 पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं।
सिर्फ मूर्तियों को नष्ट किए जाने की कल्पना मात्र और केवल अल्लाह का नाम ही इस दुनिया में रहना चाहिए, ये सोच मात्र ही इस कविता का विरोध करने के लिए काफी होना चाहिए ना? या फिर लिबरल्स को ये लगता है कि उनकी भावनाएँ दूसरों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण हैं?
"मेरी माँ ने 'डायरेक्ट एक्शन डे' के दौर को तब देखा था, जब वह एक बच्ची थीं और उन्हें गहरा आघात पहुँचा था। उन्होंने देखा था कि पार्क सर्कस में अपने घर के पास मुसलमानों द्वारा एक हिन्दू को कैसे मार दिया गया था।"
पत्थरबाजी के कारण पप्पू राठौर की हत्या होती है। 43 लोगों पर केस होता है लेकिन पकड़े जाते हैं सिर्फ पप्पू खां और हाशिम, बाकि सभी फरार। इसके बाद पीड़ित परिवार पर केस वापस लेने का दबाव, और इनकार करने पर धमकी के साथ-साथ उनके बच्चों से मारपीट, बहू-बेटियों से छेड़छाड़। हार मान कर सभी घर बेचने को तैयार!
ये वही इलाक़ा है, जहाँ एक वर्ष पूर्व मिन्हाज अंसारी नामक व्यक्ति ने बीफ का फोटो और भड़काऊ बयान शेयर किया था। बाद में पुलिस की हिरासत में उसकी मौत हो गई थी। कॉन्ग्रेस विधायक डॉक्टर इरफ़ान अंसारी ने 'दहशतगर्दों पर कार्रवाई' की बात कही है।
जहाँ पढ़ने जाती थी हिंदू नाबालिग लड़की, उसी कोचिंग सेंटर के मालिक ने उसको अपने प्रेम जाल में फँसाया। फिर 17 साल की लड़की को फर्जी ऐफिडेविट से 19 साल का बनाया। अंततः लड़की के साथ मस्जिद में निकाह की खबर के बाद फरार...
मजिस्ट्रेट के आदेश के बावजूद वहाँ बुधवार को मस्जिद के निर्माण का काम फिर से शुरू हो गया। आसपास के लोगों ने इसकी सूचना जब पुलिस को दी तो हयात नगर पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस अफ़सर (SHO) रवीन्द्र कुमार मौक़े पर पहुँचे और परिसर में ताला लगा दिया गया।
"एक महिला ज़िले हुमा के नेतृत्व में लगभग 110 मुस्लिम महिलाओं और लड़कियों ने ग़ैर-क़ानूनी रूप से इकट्ठा होकर ईदगाह मैदान में एकत्र होकर नमाज अता की। लगभग 20 मिनट की नमाज पूरी होने के बाद, हुमा ने माइक सँभाला और देश-विरोधी नारे लगाए।"
देश के कई मुस्लिम आज भी कबायली प्रवृतियों का अनुसरण करते नजर आते हैं। अल्पसंख्यक इलाकों में अशिक्षा, भुखमरी, दरिद्रता और तमाम प्रकार की गरीबी आज भी उसी तरह से नजर आती है, जिस हाल में बहादुर शाह जफ़र छोड़कर गए थे।