Saturday, December 21, 2024

विषय

History

इतिहास से छेड़छाड़, पुनः लिखने की जरुरत: शिवाजी, ज्ञानेश्वर, लक्ष्मीबाई, शंकराचार्य… के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं

"पूरी दुनिया भारत को देख रही है। जाति, पंथ, धर्म, लिंग और क्षेत्र पर आधारित सभी मौजूदा सामाजिक बुराइयों को दूर किया जाना चाहिए, क्योंकि हम वन नेशन और वन पीपल हैं। हमें अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए, जो देश में शांति और सद्भाव बनाए रखने के अलावा जीवन जीने का एक तरीका है।"

भरे सदन में नेहरू को सुनाने वाला राष्ट्रकवि जो चाहता था ‘हर-हर-बम’ का महोच्चार

रामधारी सिंह दिनकर भरे सदन में नेहरू की आलोचना से नहीं हिचकते थे। समसामयिक समस्याओं का समाधान वह द्वापर से खोज लाते थे। राष्ट्रकवि दिनकर 'कुरुक्षेत्र' में भीष्म और 'रश्मिरथी' में कर्ण के संवादों में आज के युग के हिसाब से प्रासंगिकता खोज रहे होते हैं।

अशोक से प्रेरित होकर सिंहासन त्यागना चाहते थे युधिष्ठिर: रोमिला थापर का ‘अद्भुत’ इतिहास ज्ञान

रोमिला थापर अपने एक लेख में मानती हैं कि महाभारत का युद्ध 3102 ईसा-पूर्व में हुआ था। यही रोमिला थापर कहती हैं कि 232 ईसा-पूर्व तक राज करने वाले अशोक से 3102 ईसा-पूर्व के बाद राज करने वाले युधिष्ठिर ने प्रेरणा ली। ये कैसा इतिहास ज्ञान है बाबा!

‘केसरी’ का महत्व अक्षय कुमार की पगड़ी का रंग नहीं, बल्कि सारागढ़ी की याद दिलाना है

पठान सही थे या सिख। यह फैसला करना केसरी फिल्म का मकसद नहीं है। चाहे सिख सैनिक अंग्रेज़ों के सिपाही बनकर लड़ें हों या हमला करने वाले पठान आज़ादी के परवाने हों, उन 22 वीरों का 'लास्ट स्टैंड' सब बातों से ऊपर था। इसके बारे में हमें पता होना चाहिए था।

सातवाहन और चालुक्य वंश के बाद तिलक ने गणेश चतुर्थी को बना दिया था स्वतन्त्रता का जन आंदोलन

भारतीय इतिहास में सातवाहन, चालुक्य और राष्ट्रकूट वंशों की, गणेश उत्सव हमेशा ही भारतीय और हिन्दू एकता का प्रमुख केंद्र रहा है।

ब्राह्मणों पर पहली बार जजिया कर लगाने वाले फिरोजशाह तुगलक ने बसाया था ‘कुश्के-फिरोज’

फिरोजशाह द्वारा हिन्दुओं पर जुर्म और बर्बरता करने का एक यह भी कारण था कि उसे एक राजपूत माँ से पैदा होने के कारण अपने समय के उलेमाओं के सामने अपनी कट्टर मुस्लिम छवि को बनाए रखना था। यही वजह है कि इतिहास में उसे एक धर्मांध शासक के रूप में जाना गया।

रंग कुमारी पर बुरी नजर डाली तो बादशाह अकबर की जूतों से हुई पिटाई: इतिहास जो आपसे छिपाया गया

अकबर 'महान' के कथित सेक्युलर चरित्र का गुणगान करते हुए वामपंथी इतिहासकारों ने उसके नेगेटिव पक्ष को दबाया। अकबर कितना बड़ा व्याभिचारी था इसके प्रमाण गुरु गोविंद सिंह रचित सिख ग्रन्थ 'चरित्रोपाख्यान' में मौजूद हैं। जूतों से पिटाई के बाद अकबर ने पराई स्त्रियों के घर में घुसना बंद किया था।

हिन्दुओं के खिलाफ सशस्त्र जिहाद की घोषणा करने वाले अलगाववाद के जनक सर सैयद अहमद खान थे असली ‘वीर’

सावरकर की प्रतिमा पर यह देश बेवजह अपना समय और संसाधन व्यर्थ करता है। सर सैयद अहमद खान के योगदान और उनके ज़हरीले, हिन्दू-विरोधी और हिंसक भाषणों को याद करने भर से ही तय हो जाता है कि इस देश को किन लोगों पर गर्व होना चाहिए।

आजादी कॉन्ग्रेसियों की बपौती नहीं, कालिख पोत कर सावरकर को काला नहीं कर सकते

इनकी सावरकर से दुश्मनी केवल इसलिए है क्योंकि वह हिंदूवादी थे, और कॉन्ग्रेस की राजनीति मुस्लिम तुष्टिकरण की है। हिन्दूफ़ोबिया इनकी वैचारिक नसों में है, तो इसलिए हिन्दू हितों की बात करने वाले को खलनायक या कमज़ोर दिखाना तो हिन्दूफ़ोबिया की तार्किक परिणति होगा ही।

जिसके पिता ने लिखी सत्यनारायण कथा, उसके 3 बेटों ने ‘इज्जत लूटने वाले’ अंग्रेज को मारा और चढ़ गए फाँसी पर

अंग्रेज सिपाही प्लेग नियंत्रण के नाम पर औरतों-मर्दों को नंगा करके जाँचते थे। चापेकर बंधुओं ने इसका आदेश देने वाले अफसर वॉल्टर चार्ल्स रैंड का वध करने की ठानी। प्लान के मुताबिक जैसे ही वो आया, दामोदर ने चिल्लाकर अपने भाइयों से कहा "गुंडया आला रे" और...

ताज़ा ख़बरें

प्रचलित ख़बरें