CAA समर्थन रैली पर मुस्लिमों ने हमला किया, जिसमें घायल हुए नीरज प्रजापति की रिम्स में मृत्यु हो गई। ऑपइंडिया ने उनके परिवार की मदद के लिए क्राउडफंडिंग का सहारा लिया, जिसके बाद लोगों ने 15 लाख रुपए का अब तक सहयोग किया है। सोरेन सरकार ने कोई मुआवजा नहीं दिया।
सीएए के समर्थन में आयोजित रैली में शामिल नीरज प्रजापति मुस्लिमों की हिंसा का शिकार बने थे। परिजनों ने ऑपइंडिया से बात करते हुए आरोप लगाया कि पुलिस व प्रशासन ने जल्दी-जल्दी अंतिम संस्कार कराने के चक्कर में धार्मिक रीति-रिवाज भी पूरा नहीं करने दिया।
"दंगाइयों ने मेरे पति को दौड़ा कर उनके सिर पर रॉड से वार किया। इसके बाद वो किसी तरह भागते हुए घर पहुँचे। वहाँ पहुँच कर उन्होंने मुझे सारी बातें बताईं। इसके बाद वो अचानक से बेहोश हो गए।" - क्या मुख्यमंत्री सोरेन सुन रहे हैं मृतक की पत्नी की दर्द भरी आवाज़?
CAA का समर्थन करने गए नीरज तो अब नहीं रहे... लेकिन छोड़ गए एक बेटी और एक बेटे को। दोनों ही छोटे हैं। कमाने वाले वो अकेले थे। अब सारा बोझ उनकी पत्नी पर! फिर भी परिजनों की माँग नहीं सुन रही है सोरेन सरकार। क्योंकि CM साहब मंत्रिमंडल विस्तार में व्यस्त हैं। किसी भी मंत्री ने पीड़ित परिजनों की सुध लेने की कोशिश नहीं की।
जिसने माँ सरस्वती की कई मूर्तियाँ अपने हाथों से गढ़ी थी, वो इन मूर्तियों को बेच भी नहीं पाया। सीएए के समर्थन की सज़ा उसे मौत के रूप में मिली। मुस्लिमों की इस हिंसा का शिकार हुए नीरज के पिता भी बीमार रहते हैं और उनके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं। ऊपर से परिजनों पर सरकार का दबाव।
CAA रैली में मुस्लिमों ने लोहे के रॉड से उनके माथे पर पीछे से वार किया। कई दिनों से अस्पताल में भर्ती नीरज की मौत हो गई। प्रशासन व पुलिस पीड़ित परिजनों पर दबाव डाल रहा है कि वो ऐसा बोलें कि नीरज की मौत बाथरूम में गिरने से हुई है। किसे बचाने का प्रयास कर रही हेमंत सरकार?
लोहरदगा में हुई हिंसा में घायल होने के बाद उन्हें राँची के ऑर्किड अस्पताल में भर्ती किया गया था। यहाँ से 2 दिन के इलाज के बाद ब्रेन हेमरेज व स्थिति गंभीर बताकर उसे रिम्स रेफर कर दिया गया था। CAA के समर्थन में निकाले गए तिरंगा यात्रा के दौरान पत्थरबाजी में नीरज घायल हो गए थे।
"यह मामला अपहरण का नहीं बल्कि प्रेम प्रसंग का है। लड़की के दूसरे समुदाय के होने के कारण दबाव में पुलिस हमारे पूरे परिवार और रिश्तेदारों को परेशान कर रही है।" - गिरफ्तार हुए प्रेमी गौरव की माँ ज्योति देवी
"हिन्दू माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं क्योंकि मुस्लिम अपने बच्चों को जिहादी बना रहे हैं। दंगाई मुस्लिम भीड़ ने 'पाकिस्तान ज़िंदाबाद' का नारा लगाते हुए न सिर्फ़ ईंट-पत्थर फेंके बल्कि गोली चलाई और पेट्रोल बम भी दागे। मुस्लिम महिलाएँ मिर्ची पाउडर फेंक रही थीं।"
पूरे शहर में धारा-144 और कर्फ़्यू लगने के बाद भी कई जगहों पर हिंसक झड़पें हुई। बरवा टोली स्थित एक खड़े ट्रक में रात 9:30 बजे उपद्रवियों ने आग लगा दी। पुलिस जब तक वहाँ पहुँची, तब तक ट्रक धू-धू कर जल चुका था। इस घटना के बाद उस इलाके के लोग दहशत में हैं।