पीड़ित परिवार ने लखनऊ में कमलेश तिवारी की प्रतिमा लगाने की माँग की है। साथ ही खुर्शीद बाग़ इलाक़े का नाम बदल कर कमलेश नगर करने की माँग की गई है। हिंदुत्ववादी नेता तिवारी की 18 अक्टूबर को उनके कार्यालय में निर्मम हत्या कर दी गई थी।
स्वयंभू राजनीतिक विश्लेषक खान ने एक टीवी डिबेट के दौरान तिवारी की हत्या की निंदा से इनकार कर दिया। ख़ान कई राजनीतिक दलों से जुड़े रहे हैं। कथित तौर पर, वे बीबीएमपी नगरपालिका चुनावों में बसपा के उम्मीदवार थे। उससे पहले वे जेडीएस के प्रवक्ता भी रह चुके हैं।
पहले वीडियो में वह कमरा है जहॉं संदिग्ध हत्यारे ठहरे थे। यहीं से पुलिस ने खून लगा कुर्ता बरामद किया है। दूसरा वीडियो उस समय का है जब अशफ़ाक़ और मोईनुद्दीन होटल में कमरा लेने पहुॅंचे थे। तीसरा वीडियो कमलेश तिवारी के कार्यालय जाने के लिए होटल से निकलने के वक्त का है।
होटल से हत्यारे भगवा कपड़ा पहनकर कमलेश तिवारी से मिलने पहुॅंचे। हत्या के बाद होटल आये और कपड़े बदल कर फरार हो गए। होटल मालिक के पास से आरोपियों की आईडी भी मिली है, जिस पर नाम के साथ सूरत का पता दर्ज है।
हिन्दू ये देख कर सिनेमा नहीं देखता कि उसमें पांडे है कि खान। हिन्दू ये देख कर सामान नहीं खरीदता कि दुकानदार चौधरी है कि मलिक। हिन्दुओं का कोई हलाल सिस्टम है ही नहीं जहाँ बकरे के पैदा होने से ले कर, उसके कटने, छिलने, पैक होने और दुकान में रखे जाने तक बस एक ही मजहब के लोग हैं।
महिला मड़ियांव की रहने वाली है। उसने पूछताछ में बताया कि युवकों ने उससे खुर्शेदबाग कॉलोनी का पता पूछा था। शुरुआती जॉंच के आधार परा पुलिस और एटीएस का कहना है कि तिवारी की हत्या से महिला का कोई संबंध नहीं है।
राशिद पठान दुबई की जिस कंपनी में काम करता था उसका मालिक पाकिस्तानी ही है। वह हाल ही में घर लौटा था। पठान सहित तीन को एटीएस ने सूरत से दबोचा है। अब एटीएस उसके पाकिस्तानी कनेक्शन को खंगाल रही है।
हाल ही में ख़बर आई थी कि पाकिस्तान ने हिज़्बुल, लश्कर और जमात को अलग-अलग टास्क सौंपे हैं। एक टास्क कुछ ख़ास नेताओं को निशाना बनाना भी था? ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कमलेश तिवारी के हत्यारे किसी आतंकी समूह से प्रेरित हों।
मनोज कुमार ने दावा किया कि उनकी हत्या का 2 बार प्रयास हो चुका है। कुमार ने बताया कि उन पर पूर्व में गोली भी चलाई जा चुकी है लेकिन वह किसी तरह बच निकले।
गौरी लंकेश की हत्या के बाद पूरे राइट विंग को गाली देने वाले नहीं बता रहे कि कमलेश तिवारी की हत्या का जश्न मना रहे किस मज़हब के हैं, किसके समर्थक हैं? कमलेश तिवारी की हत्या से ख़ुश लोगों के प्रोफाइल क्यों नहीं खंगाले जा रहे?