Tuesday, November 19, 2024

विषय

Media Hypocrisy

‘जामिया में पुलिस क्यों घुसी’ से लेकर ‘JNU में पुलिस क्यों नहीं गई’ तक: गिरोह विशेष का दोहरा रवैया

जब जामिया में पुलिस घुसी थी, तो इन्होने ही पुलिस की निंदा की थी। आज ये पूछ रहे हैं कि जेएनयू में पुलिस क्यों नहीं घुसी? कल जब वामपंथी दंगाइयों को गिरफ़्तार किया जाएगा, मीडिया उनके परिवार का इंटरव्यू लेगा और उन्हें निर्दोष बताएगा। दिल्ली पुलिस ही बलि का बकरा क्यों बने?

मजहबी चोले में राणा अयूब ने फैलाया झूठ, हिंसा करती कट्टरपंथियों की भीड़ को बताया शांतिपूर्ण प्रदर्शन

इस समय सोशल मीडिया पर कई सौ या शायद हजारों की तादाद में ऐसे सबूत वायरल हो रहे हैं जो राणा अयूब की फर्जी दावों को झूठा साबित करते हैं। बताते हैं कि सड़कों पर उतरी कट्टरपंथियों की भीड़ न शांतिपूर्ण है और न ही उसका मकसद पाक है।

हिंदुओं का नरसंहार करने वाले इस्लामी अक्रांता सागरिका घोष को लगते हैं देशभक्त और आजादी के परिंदे

लिबरल गैंग को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनका कहा सच है या झूठ। वे केवल अपने एजेंडे की परवाह करते हैं। उसे आगे बढ़ाने के लिए हिंदुओं पर क्रूर अत्याचार करने वाले इस्लामी शासकों का महिमामंडन करते हैं।

शाहीन बाग़ की आवारा भीड़ पर बावली हुई जा रही मीडिया की नज़र में कोटा के बच्चों की जान सस्ती

कोटा में 962 बच्चों की मौत कॉन्ग्रेस सरकार की नाकामी दिखाती है, इसीलिए वहाँ मीडिया सवाल नहीं पूछ रहा। एक बच्ची के स्वास्थ्य के साथ खेल रहे प्रदर्शनकारी मीडिया के लिए ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं। इस देश के मीडिया की दुर्गति यही है कि जब तक ‘भाजपा’ वाला धनिया का पत्ता न छिड़का गया हो, इन्हें न तो दलित की मौत पर कुछ कहना है, न बड़ी संख्या में नवजात शिशुओं की मृत्यु पर इन्हें वो ज़ायक़ा मिल पाता है।

कानून से खेलो, हिंदुत्व की कब्र खोदो… क्योंकि वे जब आएँगे सारे गुनाह दफन हो जाएँगे

वक्त है चेत जाने का। खुद की आवाज बनने का। गिरोह घात लगाए बैठा है। उसे नहीं कुचला तो वह गजवा-ए-हिंद के ख्वाब बुनने वालों के पीठ पर हाथ फेरेगा और आपको भगवा आतंकवादी घोषित कर देगा।

ऑपइंडिया टॉप 10: साल भर की वो खबरें जो सबसे ज्यादा पढ़ी गईं, जिसे वामपंथियों ने छुपाया

वर्ष 2019 जाने वाला है और इसी के साथ ऑपइंडिया हिन्दी के भी एक साल पूरे हो रहे हैं। इस साल राजनीति और समाज से ले कर न्यायपालिका और मीडिया से जुड़ी कई ऐसी खबरें थीं, जिन्हें पाठकों ने खूब पढ़ा और पसंद किया। 2020 में हम और भी उत्साह से बने रहेंगे आपके साथ।

हिंदुओं से आजादी, हिंदुत्व की कब्र, अल्लाहू अकबर याद नहीं… राजदीप को भगवा झंडा देख लगा डर, फैलाई घृणा

CAA विरोध में सिर्फ़ तिरंगा और महात्मा गाँधी की तस्वीर लेकर लोग चल रहे? सब कुछ शांति से हो रहा? देश में कहीं कोई दंगा नहीं? प्रोपेगेंडा पत्रकार राजदीप ने तो यही कहा है। लेकिन सोशल मीडिया पर उन्हें उनकी औकात बता दी गई - फोटो, वीडियो के साथ, प्रमाण देकर।

सरकारी योजनाओं में नहीं होगा फर्जीवाड़ा, घुसपैठ रुकेगा: NDTV के इस वीडियो से समझें NPR के फायदे

"इस रजिस्टर में आपका नाम ज़रूर होना चाहिए, क्योंकि ये आपके बहुत काम आएगा। एनपीआर के बहुत सारे फायदे हैं। इसके जरिए ही 'यूनिक आइडेंटिटी कार्ड' मिलेगा। ये पहचान पत्र सरकारी योजनाओं में ख़ास कर के काम आएगा।"

दंगे में मरने वाले 14 हैं मजहब विशेष से: फर्जी पत्रकार राणा अयूब ने योगी को कहा इस्लाम-विरोधी

पहले मुस्लिमों को हिंसा के लिए उकसाया गया। अब राणा अयूब सोशल मीडिया में मरने वालों का नाम लिख कर लोगों को भड़काने की फिराक में है। इसे मुस्लिम विरोधी नरसंहार बता रही। लेकिन, उन्होंने उन दो हिंदुओं के नाम छिपा लिए हैं जो दंगों की भेट चढ़ गए।

देशी कट्टे से पुलिस पर गोली चला कर होती है UPSC की तैयारी! अपने ‘शहीद दंगाई हीरो’ के बचाव में मीडिया

मोहित की जान की क़ीमत नहीं है क्योंकि वो 'योगी की पुलिस' का हिस्सा हैं। वहीं सुलेमान UPSC की तैयारी करने वाला एक 'आदर्श' छात्र है, जो किसी क़ानून के पारित होने के बाद उसे पढ़ कर नोट्स नहीं बनाता बल्कि देशी कट्टा लहराते हुए आगजनी करने निकल पड़ता है। मीडिया का हीरो कौन?

ताज़ा ख़बरें

प्रचलित ख़बरें