कई देशों में 'National day of mourning', अर्थात शोक का दिवस मनाया जाता है। फिर भारत के हिन्दू/सिख अपने साथ हुई त्रासदी व इसके गुनहगारों को क्यों न याद करें?
प्रधानमंत्री का आज का वक्तव्य हमें आशावान बनाता है कि हम भविष्य में दशकों से प्रोपेगेंडा का हिस्सा रहीं कई और स्थापित धारणाओं और मान्यताओं को ध्वस्त होते हुए देखेंगे।
“मुझे खुशी है कि भारत का बँटवारा हुआ क्योंकि अगर भारत का बँटवारा नहीं होता तो हमें कई 'डायरेक्ट एक्शन डेज' देखने पड़ते। ऐसी पहली कार्रवाई हमने जिन्ना के जीवित रहते 16 अगस्त 1946 को देखी थी, उस समय कलकत्ता में हजारों हिंदुओं को मार दिया गया था।"