आम तौर पर आप देखेंगे कि पुलवामा में 40 सीआरपीएफ जवानों को उड़ाने वाले आदिल अहमद डार जैसे आदमी के साथ भी रवीश जैसा मीडिया एक अलग तरीके से ट्रीटमेंट करता है।
सत्यान्वेषी पत्रकार रवीश कालजयी मुस्कान लेकर जरा देर से अपने प्राइम टाइम में आए लेकिन इससे पहले ही उनकी घातक टुकड़ियों के सिपहसालार ध्रुव राठी से लेकर शेहला रशीद और स्वरा भास्कर ट्विटर पर गोडसे और गो** में तालमेल बैठाते नजर आए।
दीपक चौरसिया और रवीश कुमार दोनों ही वरिष्ठ पत्रकार हैं। अंतर सिर्फ इतना है कि दोनों की सैलरी अलग-अलग जगह से आती है। लेकिन हैं दोनों ही पत्रकार। शायद शाहीन बाग वाले इस बात को समझ नहीं पाए। तभी एक तरफ वो रवीश के साथ याराना रखते हैं जबकि दीपक चौरसिया के साथ मारपीट की जाती है।
रवीश ने कही, इमरान ने सुनी। रवीश की सलाह इमरान ने मानी। अब इमरान ख़ान न अख़बार पढ़ेंगे और न ही टीवी देखेंगे। उन्होंने न्यूज़ शो देखना बंद कर दिया है। रवीश लगातार अपने 'प्राइम टाइम' में कहते हैं कि टीवी न देखें और अख़बार न पढ़ें। उन्हीं अख़बारों की ख़बर वो शेयर भी करते हैं।
शुरू में रवीश जी कह रहे थे कि पुलिस केस क्यों नहीं दर्ज कर रही, पुलिस दोषियों को पकड़ क्यों नहीं कर रही है? और जब पुलिस ने उन्हें पकड़ा है तो रवीश जी ने लंबे-लंबे प्रपंची पोस्ट लिखे हैं।