Thursday, April 25, 2024

विषय

Ravish Kumar

BJP की बढ़त पर युवाओं को ही कोसने लगे रवीश कुमार, सीटों के साथ बदल रहा NDTV स्टूडियो का माहौल

रवीश बार-बार यह बात भूल जाते हैं कि लोकतंत्र में एक आम आदमी के वोट की कीमत वही होती है जो उनके जैसे परम ज्ञानियों के वोट की है। शायद यही अभिजात्यता और घमंड उन्हें हर मतदान के बाद यह कहने पर मजबूर कर देता है (भाजपा की जीत की स्थिति में) कि युवाओं को रोजगार से मतलब नहीं।

यूनिवर्सिटी दंगों के 6000 लोगों को रोकने के लिए जब कैनेडी ने 30,000 जवान उतार दिए थे

हम ये मान लें कि 'अल्लाहु अकबर' का मतलब 'गॉड इज ग्रेट' होता है? इतने मासूम तो मत ही बनो। दंगा करते वक्त ये नारा उतना ही साम्प्रदायिक है जितना 'हिन्दुओं से आजादी' और ‘हिन्दुत्व की कब्र खुदेगी' है। राजनैतिक विरोध में 'नारा-ए-तकबीर' और 'ला इलाहा इल्लल्लाह' की जगह कैसे बन जाती है?

रवीश कुमार और न्यूजलॉन्ड्री का ऑपइंडिया पर हमला: अजीत भारती का जवाब | Ajeet Bharti on Ravish Kumar and Newslaundry Propaganda

रवीश कुमार ने न्यूज लॉन्ड्री के साथ मिलकर ऑपइंडिया पर हमला करते हुए कहा कि आईटी सेल वालों की दुकान ही चलती है रवीश कुमार के नाम से।

हैदराबाद एनकाउंटर पर रवीश कुमार के प्राइम टाइम की स्क्रिप्ट हुई लीक, NDTV में मचा हड़कम्प

कोई मुझे ये बता दे कि विवाह की पार्टियों में व्यस्त तेलंगाना मुख्यमंत्री केसीआर जी के पास क्या इतना समय रहा होगा कि वो उस 'डीजे… डीजे… प्रतापगढ़… छलकत हमरो जबनिया ऐ राजा' वाले शोर में साइबराबाद पुलिस से बात भी कर पाए होंगे? फिर पुलिस का मुखिया किसको फोन करेगा? जी, केन्द्र के गृह मंत्रालय को।

रवीश जी, रेप में ‘जात’ तो दिख गया आपको, पर मजहबी ‘रेप जिहाद’ पर भी आँख खोलिए

हैदराबाद वाला मामला मजहबी नहीं लगता लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मजहबी बलात्कार होते ही नहीं! रवीश जैसों की कोशिश यह है कि इस घटना का इस्तेमाल कर उन तमाम 'रेप जिहाद' की खबरों को चर्चा से गायब कर दिया जाए जहाँ बलात्कारी का मकसद मजहबी घृणा ही है, और कुछ नहीं।

अमेरिका में बैठ भारतीय युवाओं को भड़काने वाले रवीश जी, मॉलिक्यूल नाक की जगह कहीं और भी धँस सकता है

एनडीटीवी की टीआरपी पाताल में धँसते जा रही है और रवीश नाक में धँसने वाला मॉलिक्यूल बनाने की बात कर रहे हैं। उनका मीडिया संस्थान कंगाल होने की ओर अग्रसर है और वो युवाओं को बौद्धिक रूप से कंगाल बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

पत्रकारिता के अंतिम पैगंबर रवीश जी के अंतरात्मा की आवाज: सुप्रीम कोर्ट बेवफा है!

आने वाले दिनों में विषवमन ज्यादा होगा, रवीश जी ज्यादा लिखेंगे, ज्यादा बोलेंगे और अंतरात्मा को बार-बार बुलाएँगे। फिर भी आप इन धूर्तों को टीवी पर देखा कीजिए, इनके लेख पढ़ा कीजिए ताकि आपको पता चलता रहे कि नैरेटिव बनता कैसे है।

कटाक्ष: सुप्रीम कोर्ट बेवफा है: रवीश के अंतरात्मा की आवाज । Ajeet Bharti on Ravish kumar

सुप्रीम कोर्ट आपकी क्रश थी, अनुरक्त प्रेमिका नहीं कि आप ब्लैकमेल करके कुछ भी करवा लें।

जब पत्रकार निष्पक्षता का चोला ओढ़े वही काम करते हैं जैसे पाक सेना के लिए वहाँ के आतंकी

पाकिस्तानी सरकार के पास 'अच्छे आतंकी' हैं, जो उनके भारत-विरोधी अजेंडे को सेना के शह पर अंजाम देती है जो सेना स्वयं खुल्लमखुल्ला नहीं कर सकती। वैसे ही एनडीटीवी जैसों के पास 'निष्पक्ष' पत्रकार हैं जो 'निजी राय' के नाम पर कॉन्ग्रेस के लिए भाजपा-विरोधी अजेंडा चलाते हैं।

कटाक्ष: लिबरलों को रुदन कक्ष, रवीश-राठी-कामरा के लिए चिराँध योजना। Ajeet Bharti on Liberals meltdown

जहाँ रवीश कुमार को अनपढ़ रवीश भक्तों से जोड़ने के लिए सरकार द्वारा पेपर रोल देने का निर्देश है, वहीं कामरा-राठी जैसे लौंडों के लिए...

ताज़ा ख़बरें

प्रचलित ख़बरें

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe