रवीश कुमार का मुख्य लक्ष्य जेएनयू की हिंसा और उसकी जाँच है और इसमें भी कैसे इनकी जाँच, ऑल्ट न्यूज वाले की जाँच और तीन-चार टूटपूँजिया पोर्टल की जाँच पुलिस की जाँच से बेहतर है। शुरू में रवीश जी कह रहे थे कि पुलिस केस क्यों नहीं दर्ज कर रही, पुलिस दोषियों को पकड़ क्यों नहीं कर रही है? और जब पुलिस ने उन्हें पकड़ा है तो रवीश जी ने लंबे-लंबे प्रपंची पोस्ट लिखे हैं।
एबीवीपी के बच्चों के हाथ तोड़े गए, कलाई तोड़ी गई, ऊँगलियाँ तोड़ी गई, सर पर 6-6 टाँके हैं, गर्दन पर रॉड से मारा गया और एक बच्चे को इतना मारा गया कि वो वहीं पर बेहोश हो गया। उसे याद नहीं था कि बेहोश होने के बाद उसे कौन उठाकर ले गया। जिन मीडिया वालों के पास करोड़ों का इंफ्रास्ट्रक्चर है, वो इन बच्चों तक पहुँच नहीं पा रहे हैं। जो बच्चे अपनी आवाज पहुँचाने के लिए ऑपइंडिया जैसी छोटी संस्थान के पास आ रहे हैं, क्या एनडीटीवी की टीम उन बच्चों तक नहीं पहुँच सकती?
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