Friday, April 26, 2024

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Ravish Kumar

2BHK-फटी जेब में पेगासस है, हवस के कई ‘राज’ हैं… खाली हाथ अकेला मैग्सेसे कुमार है

पीछे स्क्रीन काली है। आगे मुनव्वर हैं। बकल टिकैत और आंदोलनजीवी यादव भी। सूत्रधार बने हैं, मैग्सेसे कुमार। सब के सब छलनी। जख्मों से नहीं। पेगासस (Pegasus) से।

रवीश ने दानिश सिद्दीकी को बताया ‘शहीद’, हत्यारों पर डाला पर्दा: तालिबान का जिक्र तक नहीं, ‘बंदूक से निकली गोली’ दोषी

रवीश कुमार ने ये जिक्र कर दिया कि दानिश सिद्दीकी ने जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी, लेकिन उनकी हत्या करने वाले तालिबान का नाम तक न लिया।

पल्स पोलियो से टीके को पिटवा दिया अब कॉन्ग्रेस के कोयला स्कैम से पिटेगी मोदी की ईमानदारी: रवीश कुमार

ये व्यक्ति एक ऐसा फूफा है जो किसी और के विवाह में स्वादिष्ट भोजन खाकर यह कहने में जरा भी नहीं हिचकेगा कि; भोजन तो बड़ा स्वादिष्ट था लेकिन अगर नमक अधिक हो जाता तो खराब हो जाता। हाँ, अगर विवाह राहुल गाँधी का हुआ तो...

‘एक दिन में मात्र 86 लाख लोगों को वैक्सीन, बेहद खराब!’: रवीश कुमार के लिए पानी पर चलने वाले कुत्ते की कहानी

'पोलियो रविवार' के दिन मोदी सरकार ने 9.1 करोड़ बच्चों को वैक्सीन लगाई। रवीश 2012 के रिकॉर्ड की बात कर रहे। 1950 में पहला पोलियो वैक्सीन आया, 62 साल बाद बने रिकॉर्ड की तुलना 6 महीने बाद बने रिकॉर्ड से?

इना-मीना-डीका, सबा-राना-ज़ुबैर झूठा, रवीश कुमार छींका-अरफा चुप्पा; क्योंकि FIR ही आज की सच्चाई है

FIR क्या हुई। आपस में ही उलझ गए जुबैर, राना और सबा। आखिर में तय हुआ रवीश के पास चलने का जो अरफा के साथ बैठे थे। फिर क्या हुआ?

52 महीने ट्वीट नहीं किया फिर भी वेरिफाइड रहा रवीश का ट्विटर हैंडल, 6 महीने इनएक्टिव रहे तो छीन लिया वेंकैया नायडू का ब्लू...

रवीश कुमार ने अगस्त 22, 2015 में एक ट्वीट के बाद सीधा जनवरी 2020 में एक ट्वीट को एक रीट्वीट किया था, अर्थात साढ़े 4 साल का गैप। इसके बाद फिर 1 साल का गैप।

प्लेन से उतार रवीश को सरकार ने किया अरेस्ट: बाल्टी पर बरखा ने की रिपोर्टिंग, ‘वल्चर’ राजदीप ने कहा- शाम बन गई

"रवीश कुमार हिंदी पत्रकारिता के बरखा दत्त थे... भारत की आवाज़ थे। किसी ने उनसे सवाल पूछा तो जवाब में उन्होंने उसे ब्लॉक कर दिया।"

‘2 मई को नहीं हो चुनावी कवरेज’: रवीश कुमार ने दिया था ज्ञान, NDTV ठेंगा दिखा सुबह से चला रही दुकान

रवीश कुमार ने अपनी राय बताते हुए स्पष्ट लिखा था कि किसी चैनल को चुनावी नतीजे के दिन कवर नहीं करना चाहिए और किसी नेता का इंटरव्यू नहीं चलाना चाहिए।

लाशों के सहारे पोस्ट लिखते रहने की फेसबुकी रवीश कुमार की उम्मीद!  

रवीश कुमार दशकों से उम्मीद से हैं। इतने वर्षों तक उम्मीद से रहने के बावजूद उन्होंने कभी खुद को उम्मीदवार घोषित नहीं किया।

रवीश और बरखा की लाश पत्रकारिताः निशाने पर धर्म और श्मशान, ‘सर तन से जुदा’ रैलियाँ और कब्रिस्तान नदारद

अचानक लग रहा है जैसे पत्रकारों को लाश से प्यार हो गया है। बरखा दत्त श्मशान में बैठकर रिपोर्टिंग कर रही हैं। रवीश कुमार लखनऊ को लाशनऊ बता रहे हैं।

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